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नई दिल्ली : 'विश्व स्तनपान सप्ताह' हर साल अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान एवं कार्य को दृढ़तापूर्वक एक साथ करने का समर्थन देना है। नवजात बच्चों को मां के दूध की उपलब्धता को लेकर यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के करीब 77 करोड़ नवजात या हर दो में से एक शिशु को मां का दूध पहले घंटे में नहीं मिल पाता है। यह आंकड़ा शिशु मृत्यु दर के लिए बेहद अहम है। दो से 23 घंटे तक मां का दूध न मिलने से बच्चे के जन्म से 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर का यह आंकड़ा 40 फीसदी होता है, जबकि 24 घंटे के बाद भी दूध न मिलने से मृत्यु दर का यही आंकड़ा बढ़कर 80 प्रतिशत तक हो जाता है।
यूनिसेफ के मुताबिक अगर जन्म से छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराया जाए तो लगभग आठ लाख शिशुओं को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है। यह शोध पिछले 15 वर्षों के अध्ययन के आधार पर तय की गई है। भारत में वर्ष 2000 में 16 फीसदी ऐसे शिशु थे जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाया था। वर्ष 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 45 फीसदी तक हो गया है।
-विश्व में केवल 38 प्रतिशत बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाता है। भारत में यह आंकड़ा पिछले दस वर्षो में 46 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया है, जो कि सराहनीय है। हालांकि उत्तर प्रदेश में इसी आंकड़े में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कि चिंताजनक है।
- विश्व में सिर्फ 23 राष्ट्र हैं जिनमें कम से कम 60 प्रतिशत शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। इनमें नेपाल व श्रीलंका शामिल हैं, पर भारत नहीं।
- WHO के अनुसार अगर विश्वभर में सभी शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो भविष्य में पांच वर्ष तक की आयु वाले लगभग पांच लाख बीस हजार बच्चों को मृत्यु से बचाया जा सकता है। ऐसा करने पर अगले दस वर्षो में विश्व को लगभग दो सौ खरब रुपयों का आर्थिक लाभ होगा।
शिशु मृत्यु की बढ़ती दर
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार जहां शिशु मृत्यु दर का वैश्विक औसत प्रति एक हजार पर 49.4 है वहीं भारत का औसत 38 है। नवजात शिशु मृत्युदर (प्रति एक हजार पर 39) और जन्म के पहले पांच सालों में होने वाली मौतों (प्रति एक हजार पर 48) के मामले में भी भारत आगे है, जो कि चिंताजनक है। शिशु मृत्यु पर रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय न्यूनतम विकास लक्ष्य अभी भारत की पहुंच से कोसों दूर है।
कुपोषित बच्चे
देश में नवजात शिशुओं की मौत की सबसे बड़ी वजह मां का दूध नहीं पिलाया जाना भी है। इसलिए बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में 5 साल से कम आयु के 42.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं और 69.5 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से जूझ रहे हैं। दुनिया के 10 अविकसित बच्चों में से चार भारतीय होते हैं और पांच साल से कम उम्र के लगभग 15 लाख बच्चे हर साल भारत में अपनी जान गंवाते हैं।
मां के दूध का बैंक
राजधानी दिल्ली में 2016 में मां के दूध का पहला बैंक खोला गया था, जिसका नाम अमारा रखा गया। यहां महज दो महीनों में ही करीब 80 लीटर से ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क इकट्ठा किया गया। इससे पहले राजस्थान के उदयपुर जिले में 'दिव्य मदर मिल्क बैंक' की स्थापना की गई थी। इसी तरह दिव्य मदर मिल्क बैंक की तर्ज पर ही जयपुर में ही 'जीवनधारा' नाम का मदर मिल्क बैंक खोला गया है जो राज्य का पहला सरकारी और उत्तर भारत का दूसरा मदर मिल्क बैंक है।
मां के दूध का संरक्षण
मां का दूध तो शिशु का सर्वोत्तम आहार है ही लेकिन कई बार उच्च रक्तचाप, अधिक रक्तस्राव या तेज बुखार के चलते मां शिशु को दूध नहीं पिला पाती हैं। उस स्थिति में किसी दूसरी मां का दूध ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है, लेकिन यह सीधा शिशु को नहीं दिया जा सकता है। उससे पहले कुछ सेफ्टी टेस्ट करने पड़ते हैं और सावधानियां भी बरतनी होती हैं। डोनर मदर का स्वस्थ होना जरूरी है।
दूसरी मांओं का दूध
दूसरी मां का दूध बच्चे को देने से पहले कुछ टेस्ट से गुजरना पड़ता है। ऐसी मांओं से इलेक्ट्रिक पंप की सहायता से दूध निकाला जाता है, जिसे बैंक में 62.5 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर 30 मिनट तक पॉश्च्युराइज करने के बाद 4 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ठंडा किया जाता है। इसके बाद जांच होती है।
जागरुकता अभियान
स्तनपान के प्रति जन जागरूकता लाने के उद्देश्य से अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को पूरे विश्व में स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। स्तनपान सप्ताह के दौरान मां के दूध के महत्त्व की जानकारी दी जाती है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। शिशुओं को जन्म से छह माह तक केवल मां का दूध पिलाने के लिए महिलाओं को इस सप्ताह के दौरान विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।
अमेरिकी माएं मिल्क डोनेशन में सबसे अव्वल हैं। 1569.79 लीटर मिल्क डोनेशन का गिनीज रिकॉर्ड है। यह आंकड़ा जनवरी वर्ष 2011 से मार्च 2014 तक का है।
एशिया का पहला मिल्क बैंक भारत में नवंबर 1989 में मुंबई के लोकमान्य तिलक हॉस्पिटल में खुला था। विश्व का पहला ब्रेस्ट मिल्क बैंक 1911 में विएना में खुला था।
संध्या दीक्षित