संपादकीय । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में कोविड-19 से ठीक होने वालों की दर बुधवार को 70 प्रतिशत से अधिक हो गई तथा देश में एक दिन में सर्वाधिक संख्या में 56,110 मरीजों ने इस महामारी को शिकस्त दी। मंत्रालय ने कहा कि अब तक 16,39,599 लोग इस महामारी को शिकस्त दे चुके हैं। उपचाराधीन मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल मामलों का 27.64 प्रतिशत है। इसके साथ ही मरने वालों की दर में और कमी आई है तथा यह 1.98 प्रतिशत तक रह गई है। इसने कहा कि एक दिन में सर्वाधिक संख्या में 56,110 मरीजों का ठीक होना बीमारी को रोकने के लिए प्रभावी रणनीति, जांच क्षमता में व्यापक और तीव्र वृद्धि तथा मरीजों की मानक स्तर की चिकित्सकीय देखभाल जैसे कदमों का परिणाम है। मंत्रालय ने कहा कि केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के समन्वित प्रयासों से रोगियों के ठीक होने की दर में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने कहा, ‘‘जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोजाना औसतन 15 हजार लोग ठीक हो रहे थे। अगस्त के प्रथम सप्ताह में यह संख्या बढ़कर 50 हजार से अधिक हो गई।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘क्योंकि अधिक रोगी ठीक हो रहे हैं और उन्हें अस्पतालों तथा गृह-पृथक-वास (हल्के और मध्यम स्तर के मामलों की स्थिति में) से छुट्टी मिल रही है, इस तरह स्वस्थ हो चुके मरीजों की संख्या 16 लाख के आंकड़े को पार कर गई है तथा ठीक होने की दर बढ़कर 70.38 प्रतिशत के आंकड़े पर पहुंच चुकी है।’’ देश में इस समय कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 6,43,948 है। यह संख्या देश में अब तक सामने आए इस महामारी के कुल मामलों की 27.64 प्रतिशत है। ये लोग सक्रिय चिकित्सकीय निगरानी में हैं। मंत्रालय ने कहा कि मरीजों के लगातार ठीक होने के कारण बीमारी को हरा चुके लोगों तथा उपचाराधीन मरीजों के बीच लगभग 10 लाख का अंतर हो चुका है। अस्पतालों में अच्छे और प्रभावी चिकित्सकीय उपचार, मरीजों को समय पर उचित इलाज उपलब्ध कराने के लिए एंबुलेंस सेवा पर अधिक ध्यान दिए जाने जैसे कदमों का परिणाम सफलता के रूप में निकला है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, भारत में मृत्युदर वैश्विक मृत्युदर की तुलना में कम रही है। वर्तमान में यह 1.98 प्रतिशत है।’’ इसने कहा कि भारत में मंगलवार को पिछले 24 घंटे में 7,33,449 नमूनों की जांच की गई। कुल जांच संख्या अब 2.6 करोड़ से अधिक हो गई है। प्रति 10 लाख की आबादी पर जांच का आंकड़ा बढ़कर 18,852 तक पहुंच गया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत में प्रयोगशाला नेटवर्क को लगातार मजबूत किया जा रहा है। देश में इस समय कोविड-19 जांच संबंधी 1,421 प्रयोगशालाएं हैं जिनमें से 944 सरकारी और 477 निजी प्रयोगशालाएं हैं। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की कुल संख्या बढ़कर बुधवार को 23 लाख के पार हो गई और एक दिन में 60,963 नए मामले सामने आए तथा 24 घंटे में 834 और लोगों की मौत हो गई। सुबह आठ बजे तक के आंकड़ों के अनुसार देश में कोविड-19 से जान गंवाने वालों की कुल संख्या 46,091 हो गई है।
विशेषज्ञ समूह ने चर्चा की
कोविड-19 का टीका उपलब्ध कराने के लिये गठित राष्ट्रीय विशेष समूह ने बुधवार को अपनी पहली बैठक की। इसमें टीकाकरण के लिये आबादी के प्राथमिकता वाले समूहों को निर्धारित करने वाले सिद्धांतों के साथ-साथ घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित टीकों की खरीद तंत्र पर भी विचार-विमर्श किया गया। बैठक के अध्यक्ष नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के. पॉल ने, जबकि सह-अध्यक्षता सचिव (केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय) ने की। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक समूह ने सभी राज्यों को यह सलाह भी दी कि वे टीके की खरीद के लिये अलग-अलग राह नहीं चुनें। समूह के सदस्यों ने देश के लिये कोविड-19 के टीके के चयन को दिशा निर्देशित करने वाले मापदंडों पर चर्चा की। उन्होंने टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की स्थायी तकनीकी उप-समिति से जानकारी भी मांगी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘विशेषज्ञ समूह ने अंतिम गंतव्य स्थान पर विशेष रूप से जोर देने के साथ टीकाकरण प्रक्रिया की निगरानी सहित टीके के प्रबंधन एवं वितरण तंत्र के लिये डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने को लेकर प्रणाली बनाने और क्रियान्वित करने पर चर्चा की।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘समूह ने घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित, कोविड-19 के दोनों तरह के टीकों के लिये खरीद प्रणाली के साथ-साथ टीकाकरण के लिये आबादी के समूहों की प्राथमिकता निर्धारित करने वाले सिद्धांतों पर भी विचार विमर्श किया।’’ विशेषज्ञ समूह ने टीके की खरीद के लिये जरूरी वित्तीय संसाधन और वित्त मुहैया करने के लिये विभिन्न विकल्पों पर भी चर्चा की। टीके के वितरण के लिये उपलब्ध विकल्पों, कोल्ड चेन और टीकाकरण के लिये संबद्ध बुनियादी ढांचा तैयार करने पर भी चर्चा हुई। मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा टीके का न्यायसंगत एवं पारदर्शी वितरण सुनिश्चित करने के लिये सभी संभव परिस्थितियों पर रणनीति एवं बाद में किये जाने वाले कार्यों पर भी चर्चा की गई। मंत्रालय ने कहा कि टीके के सुरक्षित होने और निगरानी पर तथा पारदर्शी सूचना के जरिये समुदाय को शामिल करने की रणनीति तथा जागरूकता पैदा करने से जुड़े विषय भी बैठक में उठे। अहम पड़ोसी देशों और टीकों के विकास साझेदार देशों को भारत के सहयोग पर भी चर्चा हुई। मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञ समूह ने यह चर्चा की कि भारत घरेलू टीका विनिर्माण क्षमता को प्रोत्साहित करेगा और टीके को न सिर्फ भारत में बल्कि निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में उपलब्ध कराने के लिये भी सभी अंतरराष्ट्रीय हितधारकों के साथ काम करेगा।
जांच का मूल्य 300 रुपये कम किया
महाराष्ट्र सरकार ने प्रयोगशालाओं में की जाने वाली कोविड-19 जांच की दरों में 300 रुपये की कटौती कर उनकी कीमत 1,900 रुपये से 2,500 रुपये तक कर दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘जांच के लिए अधिकतम शुल्क अब 1,900 रुपये, 2,200 रुपये और 2,500 रुपये है। कोई प्रयोगशाला इन निर्धारित दरों से अधिक पैसे नहीं ले सकती है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘यह निर्णय राज्य द्वारा नियुक्त समिति द्वारा कोविड-19 जांच शुल्क को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है ताकि मरीजों को किसी भी आर्थिक बोझ का सामना न करना पड़े।’’ पीपीई किट और अन्य आवश्यक उपकरणों के मूल्य को लेकर टोपे ने कहा, ‘‘आपूर्ति में वृद्धि के कारण इन वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है।’’
शव वैन में रखे मिले, जांच का आदेश
महाराष्ट्र के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि ने आरोप लगाया है कि कोविड-19 मरीजों के शवों को अहमदनगर शहर के शवदाह गृह ले जा रही वैन में 12 शव एक के ऊपर एक रखे हुए थे। एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि स्थानीय निकाय ने शवों के परिवहन की जिम्मेदारी संभाल रहे व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अहमदनगर नगरपालिका को पत्र लिखकर शिवसेना के नगर सेवक बालासाहेब बोराटे ने यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं रविवार को सदर अस्पताल गया था, क्योंकि मेरे मित्र के पिता की मृत्यु हो गई थी। मैंने देखा कि कोविड-19 मरीजों के शव एक वैन में ऐसे ही रखे हुए थे और उन्हें शवदाह गृह ले जाया जा रहा था।’’ नगरसेवक ने दावा किया है कि अस्पताल प्रशासन से संपर्क करने पर वे संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। उन्होंने बताया कि आठ पुरुषों और चार महिलाओं के शव थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उसकी तस्वीरें निकालीं और इस मुद्दे को नगर आयुक्त श्रीकांत एम. के समक्ष उठाया।’’ नगर आयुक्त ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
कर्नाटक में संक्रमण के 7,883 नए मामले
कर्नाटक में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 7,883 मामले सामने आए और 113 मरीजों की मौत हो गई। इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 1,96,494 हो गई और कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़कर 3,510 पर पहुंच गई। इस दौरान कोविड-19 के 7,034 मरीज ठीक हो गए। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बुधवार को सामने आए मामलों में से 2,802 मामले अकेले बेंगलुरु (शहरी) से थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 12 अगस्त की शाम तक राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 1,96,494 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें कोविड-19 के 3,510 मरीजों की मौत हो चुकी है और 1,12,633 मरीज ठीक हो चुके हैं। बुलेटिन के अनुसार अभी 80,343 मरीज उपचाराधीन हैं, जिनमें से 79,642 मरीज निर्दिष्ट अस्पतालों में पृथक-वास में हैं और 701 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं। संक्रमण के नए मामलों में से बेंगलुरु शहरी में सर्वाधिक 2,802 नए मरीज सामने आए।
मिजोरम में कोविड-19 के 25 नये मामले
मिजोरम में बुधवार को पांच बीएसएफ कर्मियों सहित 25 और लोगों को कोविड-19 से संक्रमित पाया गया, जिससे इस पूर्वोत्तर राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 648 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइजोल और कोलासिब जिलों में संक्रमण के 10-10 मामले सामने आए, जबकि लुंगलेई में पांच नये मामले सामने आए। अधिकारी ने बताया कि आइजोल में संक्रमित पाए गए नए रोगियों में तीन और सात साल की उम्र के दो बच्चे शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कोलासिब जिले में संक्रमित पाए गए सभी नये लोग वे ट्रक चालक हैं, जो पड़ोसी राज्य असम से आए थे। अधिकारी ने बताया कि लुंगलेई जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पांच कर्मियों को पृथक-वास में रखा गया है। उन्होंने बताया कि संक्रमण के इन नये मामलों के साथ राज्य में उपचाराधीन रोगियों की संख्या 318 पहुंच गई है, जबकि 330 लोग अब तक इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। इस बीच, मिजोरम सरकार ने यात्रियों, ट्रक चालकों और उनके सहायकों के लिए राज्य में प्रवेश करने के लिए रैपिड एंटीजन जांच कराना अनिवार्य कर दिया है।
संपूर्ण लॉकडाउन में पांचवीं बार बदलाव
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यव्यापी संपूर्ण लॉकडाउन में एक दिन की कमी कर पांचवीं बार बदलाव किया। राज्य में अब 28 अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन नहीं होगा। मुख्य सचिव राजीव सिन्हा द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया कि 28 अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन वापस लेने का फैसला कई जगह से आग्रह के बाद लिया गया। इन आग्रहों में महीने के अंतिम सप्ताह में दो दिन- बृहस्पतिवार-शुक्रवार (27 और 28 अगस्त) को संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से कारोबारी और बैंकिंग कामकाज में मुश्किल आने की बात कही गई। इसके बाद 31 अगस्त (सोमवार) को फिर संपूर्ण लॉकडाउन होना है। सरकार के पूर्व के आदेश के अनुसार इन तीन दिनों में संपूर्ण लॉकडाउन होना था। राज्य में पूर्व के आदेश के अनुसार इस महीने पांच दिन का संपूर्ण लॉकडाउन होना था, जो अब चार दिन होगा। आदेश में कहा गया कि इस महीने संपूर्ण लॉकडान की तारीख अब 20, 21, 27 और 31 अगस्त होंगी। इस महीने के शुरू में पांच और आठ अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन रहा था।
केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक संक्रमित
केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक ने बुधवार को कहा कि वह कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं और वह अपने घर में पृथक-वास में हैं। आयुष और रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने घर में पृथक रहना इसलिए चुना क्योंकि उनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं और उनकी हालत स्थिर है। नाइक ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट में कहा, “मैंने आज कोविड-19 की जांच करवाई और उसमें संक्रमण की पुष्टि हुई। मुझमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं। मेरी तबियत ज्यादा खराब नहीं है इसलिए मैं घर में पृथक-वास में हूं। पिछले कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आने वाले लोगों को जांच कराने और आवश्यक एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।”
उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के 4583 नये मामले
उत्तर प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के 4583 नये मामले सामने आये जबकि 54 और मरीजों की मौत होने से बुधवार को मृतक संख्या बढ़कर 2230 हो गई। अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में विगत 24 घंटे में 4583 नये मामले सामने आये जबकि संक्रमण के उपचाराधीन मामलों की संख्या 49, 347 है। प्रसाद ने बताया कि कुल 84,661 लोग पूर्णतया उपचारित होकर अपने घर चले गये हैं जबकि संक्रमण के कारण कुल 2230 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश में 1,36,238 मामले कोरोना संक्रमण के हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की बुलेटिन के अनुसार बीते 24 घंटे में सबसे अधिक सात मौतें राजधानी लखनऊ में हुईं। कानपुर नगर में छह, गोरखपुर में पांच और बरेली में चार लोगों की मौत क्रमण के चलते हुई। संक्रमण की वजह से अब तक सबसे अधिक 284 मौतें कानपुर नगर में हुई हैं। लखनऊ में 168, मेरठ में 119, वाराणसी में 110 और आगरा में 102 लोगों की मौत इस संक्रमण से हो चुकी है। बुलेटिन के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 475 नये मामले लखनऊ में सामने आये है। बस्ती में 306, कानपुर नगर में 232, प्रयागराज में 227 और गोरखपुर में 224 नये मामले सामने आये। प्रसाद ने बताया कि मंगलवार को 97, 911 नमूनों की जांच की गई और अब तक कुल 34,12,346 नमूनों की जांच हो चुकी है। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जो हर दिन सर्वाधिक जांच कर रहा है। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मंगलवार को पूल टेस्टिंग के माध्यम से पांच-पांच सैम्पल के 3083 पूल लगाये गये, जिनमें से 522 पॉजिटिव निकले जबकि दस-दस सैम्पल के 164 पूल लगाये गये, जिनमें से 23 पॉजिटिव पाये गये। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुल एक्टिव केसेज में से 21,758 लोग होम आइसोलेशन यानी घर पर ही एकांतवास में हैं। ये लोग लक्षण विहीन हैं और घर पर रहकर ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। प्रसाद ने बताया कि 39,678 लोग अब तक घर पर पृथकवास में भेजे जा चुके हैं जबकि 17,920 लोगों का घर पर पृथकवास समाप्त हो चुका है। भुगतान के आधार पर निजी चिकित्सालयों में 1627 लोग इलाज करा रहे हैं जबकि सेमी पेड एल—1 प्लस सुविधाओं यानी होटलों में 196 लोग हैं, जिनका इलाज सरकारी चिकित्सक दल कर रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक अगस्त से 11 अगस्त के बीच जो नमूने जांचे गए, उसके आधर पर पॉजिटिविटी का प्रतिशत 4.8 प्रतिशत है यानी कुल मिलाकर पॉजिटिविटी पांच प्रतिशत से कम रही है। इस महीने में संक्रमण की संख्या ज्यादा होने के बाद भी यह कम रही है। भारत सरकार कहती है कि पॉजिटिविटी पांच प्रतिशत के अंदर रखने का प्रयास करना चाहिए। प्रसाद ने बताया कि सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी पांच जनपदों कानपुर नगर, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज और लखनऊ में रही जबकि अगस्त महीने में सबसे कम पॉजिटिविटी हाथरस, बागपत, महोबा, कासगंज और बुलंदशहर में रही। उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु ऐप का हम निरंतर उपयोग कर रहे हैं और अब तक 8,42,800 ऐसे लोगों को कॉल किया जा चुका है, जिन्हें आरोग्य सेतु के माध्यम से एलर्ट आये। फोन स्वास्थ्य विभाग के नियंत्रण कक्ष और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से किये गये। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि ई—संजीवनी पोर्टल का भी अब लोग काफी उपयोग कर रहे हैं। आप आसानी से अपने फोन नंबर से इसका पंजीकरण करा सकते हैं। अगर आपके पास इंटरनेट सुविधा है तो फोन, लैपटाप या टैबलेट के जरिए आप डाक्टर की सलाह प्राप्त कर सकते हैं। इसमें चिकित्सक से वीडियो कालिंग होती है और वह परामर्श देते हैं तथा दवाई भी बताते हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को 1523 लोगों ने ई—संजीवनी के माध्यम से घर बैठे डाक्टरों की सलाह प्राप्त की। अब तक 24,663 लोग इस पोर्टल का लाभ उठा चुके हैं। इस कार्य में बहराइच आगे चल रहा है। हरदोई और मेरठ के लोग भी लगातार इसका लाभ उठा रहे हैं। ये तीन जनपद इस पोर्टल का सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं। प्रसाद ने प्रदेश की जनता से अनुरोध किया कि वह इस पोर्टल का लाभ उठायें, खासकर बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और पहले से बीमार लोग इसका लाभ उठायें। ऐसे लोगों को अत्यंत अपरिहार्य परिस्थितियों में ही घर से बाहर निकलना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड-19 हेल्पडेस्क का निरंतर संजाल फैल रहा है और हम लगातार नेटवर्क बढ़ा रहे हैं। अब तक कार्यालयों और सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में 61,831 कोविड-19 हेल्पडेस्क बनाये जा चुके हैं। इन हेल्पडेस्क पर इन्फ्रारेड थर्मोंमीटर, पल्स आक्सीमीटर और सेनेटाइजर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होती है। इसके अच्छे परिणाम आये हैं और कुल 6,43,991 लक्षण वाले लोगों को हम चिन्हित कर चुके हैं। उनके नमूने लेकर जांच की गयी है। निगरानी के बारे में प्रसाद ने बताया कि निगरानी का कार्य 53,913 इलाकों में किया गया और 1,69,12,280 घरों में 8,51,85,977 लोगों का इसके तहत सर्वेक्षण किया गया।
दिल्ली में कोविड-19 के 1,113 नए मामले
दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,113 नए मामले सामने आए हैं जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 1.48 लाख से ज्यादा हो गई। इस खतरनाक वायरस से 14 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या 4,153 हो गई है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार पिछले 24 घंटे में 6,472 आरटी-पीसीआर जांच और 12,422 रैपिड एंटिजेन जांच हुई हैं। दिल्ली में अब कुल संक्रमितों की संख्या 1,48,504 है। अब तक कुल 1,33,405 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, यहां से बाहर जा चुके हैं या फिर उन्हें अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है। वहीं फिलहाल 10,946 मरीजों का इलाज चल रहा है। पिछले 24 घंटे में 14 और लोगों की मौत हुई जिसके बाद मृतक संख्या 4,153 हो गई। केंद्र शासित प्रदेश में कुल निरूद्ध क्षेत्रों की संख्या 523 है। दिल्ली में संक्रमण से ठीक होने की दर 89.83 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 1,021 मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को कोविड-19 के 1,257 नए मामले सामने आए थे जबकि आठ मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
तमिलनाडु में 5,871 नए मामले
तमिलनाडु में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 5,871 नए मामले सामने आए और 119 मरीजों की मौत हो गई, जिसके बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,14,520 हो गई और मृतकों की संख्या बढ़कर 5,278 पर पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बुधवार को 5,633 मरीज ठीक हो गए। बुलेटिन के अनुसार राज्य में कोविड-19 के 52,929 मरीज उपचाराधीन हैं। अब तक तमिलनाडु में कोविड-19 के 2,56,313 मरीज ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के नए मामलों में से चेन्नई में 993 मरीज सामने आए और कांचीपुरम, तिरुवल्लूर और चिंगलपेट से कुल मिलाकर 1,217 रोगी सामने आए। राज्य में सामने आए कुल मामलों में से चेन्नई में 1,12,059 मरीज सामने आ चुके हैं।
मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के 870 नए मामले
मध्य प्रदेश में बुधवार को कोविड-19 के 870 नये मामले सामने आए जिससे संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 41,604 हो गयी। राज्य में पिछले 24 घंटे में संक्रमण से 15 और व्यक्तियों की मौत हो गई है जिससे मरने वालों की संख्या बढकर 1,048 हो गयी। मध्य प्रदेश के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले 24 घंटे के दौरान प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से भोपाल में छह, ग्वालियर में दो और इंदौर, जबलपुर, सागर, मंदसौर, देवास, विदिशा एवं रायसेन में एक- एक मरीज की मौत हुई है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य में अब तक कोरोना वायरस से सबसे अधिक 337 मौत इन्दौर में हुई है। भोपाल में 232, उज्जैन में 75, सागर में 38, जबलपुर में 41, बुरहानपुर में 25, खंडवा में 20 एवं खरगोन में 19 लोगों की मौत हुई है। बाकी मौतें अन्य जिलों में हुई हैं।’’ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में बुधवार को कोविड-19 के सबसे अधिक 169 नये मामले इंदौर जिले में सामने आये, जबकि भोपाल में 91, ग्वालियर में 36, जबलपुर में 40, सीधी में 31 और खरगोन एवं रीवा में 28-28 नये मामले आये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 41,604 संक्रमितों में से अब तक 31,239 मरीज स्वस्थ होकर घर चले गये हैं और 9,317 मरीजों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि बुधवार को 643 रोगियों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 3,240 निषिद्ध क्षेत्र हैं।
दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार रूका
भूटान में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में जायगांव के रास्ते होने वाले भारत-भूटान कारोबार को फिलहाल रोक दिया गया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अलीपुरद्वार जिले के एक अधिकारी ने बताया कि पड़ोसी देश में मंगलवार से सम्पूर्ण लॉकडाउन प्रभावी होने के बाद भारत के जायगांव और भूटान के फुएनत्सोलिंग के सीमा द्वार बंद कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया, ‘‘जायगांव सीमा से होने वाला कोरबार पूरी तरह से रूक गया है। इसके बावजूद, दोनों आरे की सीमाओं पर कोई वाहन नहीं फंसा हुआ है क्योंकि भूटानी प्रशासन ने अलीपुरद्वार जिला प्रशासन को लॉकडाउन की पूर्व सूचना दे दी थी। इससे हमें समुचित कदम उठाने का मौका मिल गया।’’ पश्चिम बंगाल के तीन जिलों- अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी और कलिम्पोंग- की सीमा भूटान के साथ लगती है लेकिन इस पड़ोसी देश के साथ ज्यादातर कारोबार जायगांव-फुएनत्सोलिंग रास्ते से ही होता है। सूत्रों ने बताया कि भूटान जायगांव के रास्ते मुख्य रूप से पारंपरिक परिधान, आभूषण, शहद, अदरक, और दुग्ध उत्पाद निर्यात करता है और सब्जियां, अनाज, दवाएं, कपड़े और चाय आयात करता है।
भारतीय रेल के 167 साल के इतिहास में यह शायद पहली बार हुआ होगा जब उसने टिकट बुकिंग से हुई आय से अधिक यात्रियों को वापस किया है। कोविड-19 संकट से प्रभावित चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रेलवे की यात्री श्रेणी से आय में 1,066 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह जानकारी मध्य प्रदेश के चंद्रशेखर गौर द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी में सामने आयी है। इसके मुताबिक अप्रैल-जून अवधि में रेलवे की यात्री श्रेणी से होने वाली आय जहां नकारात्मक रही। वहीं मालभाड़े से होने वाली आय अपने स्तर पर बनी रही। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगे यात्रा प्रतिबंधों की वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रेलवे की सामान्य यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन बंद रहा। इस दौरान रेलवे के यात्रियों को टिकट किराया वापस करने से अप्रैल में 531.12 करोड़ रुपये, मई में 145.24 करोड़ रुपये और जून में 390.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रेलवे के प्रवक्ता डी.जे. नारायण ने कहा कि दरअसल यह नुकसान की राशि रेलवे के अपनी आय से ज्यादा लोगों को रिफंड करने के आंकड़े दिखाती है। पिछले साल रेलवे ने अप्रैल में 4,345 करोड़ रुपये, मई में 4,463 करोड़ रुपये और जून में 4,589 करोड़ रुपये की कमाई की थी। रेलवे ने कहा कि महामारी के चलते चालू वित्त वर्ष में रेलवे को करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। हालांकि इस दौरान उसकी मालभाड़े से आय बनी रही। रेलवे ने मालभाड़े से अप्रैल में 5,744 करोड़ रुपये, मई में 7,289 करोड़ रुपये और जून में 8,706 करोड़ रुपये की आय की। वित्त वर्ष 2019-20 में रेलवे ने इस मद से अप्रैल में 9,331 करोड़ रुपये, मई में 10,032 करोड़ रुपये और जून में 9,702 करोड़ रुपये की आय की थी। रेलवे ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य पहुंचाने के लिए रेलवे ने ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों का परिचालन किया। इससे भी रेलवे को करीब 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
300 बिस्तर का नया कोविड-19 अस्पताल तैयार करने का निर्देश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज का दौरा किया और संबद्ध अधिकारियों को 30 अगस्त तक नया 300 बिस्तर का कोविड-19 अस्पताल तैयार करने का निर्देश दिया। योगी ने 500 बिस्तर के निर्माणाधीन बाल चिकित्सालय का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कोरोना वायरस मरीजों की स्थिति और उपचार के बारे में जानकारी ली। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राज्य में 70 हजार टीमें कोविड-19 मरीजों का पता लगाने के लिए घर-घर सर्वेक्षण कर रही हैं। हर रोज एक लाख से अधिक नमूने जांचे जा रहे हैं। अधिक संख्या में जांच होने से राज्य में अधिक संख्या में कोविड-19 मरीजों की पहचान आसान हो रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समय राज्य में कोविड-19 मरीजों के लिए 1.51 लाख से अधिक बिस्तर उपलब्ध हैं। जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं हैं, उन्हें घर पर पृथकवास में भेजा जा सकता है। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि अगर घर पर शौचालय सहित पृथक कमरा नहीं है तो मरीज को कोविड-19 अस्पताल जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों, नेपाल के तराई वाले इलाकों और पश्चिमी बिहार के मरीज इलाज कराने गोरखपुर आते हैं। मरीजों की संभावित संख्या को ध्यान में रखते हुए 'मैंने निर्देश दिया है कि बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल चिकित्सालय में 300 बिस्तर का नया कोविड-19 अस्पताल तैयार किया जाए।' योगी ने कहा कि 100 बिस्तर वाले टीबी चिकित्सालय में एल—2 और एल—3 की सुविधाओं सहित वेंटिलेटर और उपकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस को हराने के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है और उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि नये कोविड-19 अस्पतालों और सुविधाओं पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ-साथ प्रशिक्षण पर भी जोर रहना चाहिए। उन्होंने महाराजगंज, कुशीनगर और देवरिया में कोविड-19 अस्पताल तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 के उपचार के लिए सुविधाओं और दवाइयों की कमी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भारत ने कोविड-19 महामारी की चुनौती का कुशलता से सामना किया है। सरकार के लिए हर नागरिक का जीवन महत्वपूर्ण है और हम लोगों को कोरोना वायरस महामारी से बचाने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।
एंटीबॉडी दवा की जांच में जुटी दवा कंपनियां
कोरोना वायरस के टीके के आने में अभी कई महीने लगने के बीच कंपनियां अब एक एक नयी चीज यानी एक ऐसी दवा के परीक्षण में जुट गयी जो इस वायरस को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी बनाएगी। एंटीबॉडी ऐसे ऐसा प्रोटीन है जिसे शरीर संक्रमण के गिरफ्त में आने के बाद बनाता है। वह वायरस के साथ जुड़ जाता है और उसे नष्ट कर देता है। टीका दूसरे सिद्धांत पर काम करता है। टीकाकरण या संक्रमण के बाद टीके को सबसे प्रभावी एंटीबॉडी बनाने में एक या दो महीने लग सकते हैं। प्रयोग से गुजर रहीं दवाइयां विशिष्ट एंटीबॉडी के सांद्र संस्करण देकर उस प्रक्रिया को दूर कर देती हैं और उनका प्रयोगशाला और पशुओं पर परीक्षण में बहुत अच्छा असर रहा है। उत्तरी कोरोलिना विश्वविद्यालय के विषाणु विज्ञान डॉ. मैरोन कोहेन ने कहा, ''किसी टीके को काम करने, एंटीबॉडी के विकास कराने में वक्त लगता है। लेकिन जब आप किसी को एंटीबाडी देते हैं तो उसे तत्काल सुरक्षा मिल जाती है।’’ समझा जाता है कि इन दवाइयों का एक या अधिक महीने तक असर रह सकता है और यह उच्च संक्रमण जोखिम वाले लोगों जैसे डॉक्टरों और कोविड-19 से संक्रमित व्यक्त के परिवार के सदस्यों को तत्काल प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है। ये दवाइयां प्रभावी साबित होती हैं और यदि टीका उम्मीद के अनुसार नहीं आ पाता है या सुरक्षा दे पाता है तो इन दवाओं पर व्यापक इस्तेमाल के लिए विचार किया जा सकता है।
रूस के कोविड-19 टीके के बारे में वैज्ञानिकों को संदेह
रूस के कोविड-19 का टीका विकसित करने पर संदेह को लेकर भारत समेत दुनिया के कई वैज्ञानिकों का कहना है कि समय की कमी को देखते हुए इसका समुचित ढंग से परीक्षण नहीं किया गया है और इसकी प्रभावशीलता साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हो सकते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उनके देश ने कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला टीका विकसित कर लिया है जो कोविड-19 से निपटने में बहुत प्रभावी ढंग से काम करता है। इसके साथ ही उन्होंने खुलासा किया था कि उनकी बेटियों में से एक को यह टीका पहले ही दिया जा चुका है। इस देश को अक्तूबर तक बड़े पैमाने पर टीके का निर्माण शुरू होने की उम्मीद है और आवश्यक कर्मचारियों को पहली खुराक देने की योजना बना रहा है। हालांकि विज्ञान समुदाय के कई लोग इससे प्रभावित नहीं हैं। पुणे में भारतीय विज्ञान संस्थान, शिक्षा और अनुसंधान से एक प्रतिरक्षाविज्ञानी विनीता बल ने कहा, ‘‘जब तक लोगों के पास देखने के लिए क्लीनिकल परीक्षण और संख्या समेत आंकड़े नहीं हैं तो यह मानना मुश्किल है कि जून 2020 और अगस्त 2020 के बीच टीके की प्रभावशीलता पर सफलतापूर्वक अध्ययन किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या वे नियंत्रित मानव चुनौती अध्ययनों के बारे में बात कर रहे हैं? यदि हां, तो यह सबूत सुरक्षात्मक प्रभावकारिता की जांच करने के लिए भी उपयोगी है।’’ अमेरिका के माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर फ्लोरियन क्रेमर ने टीके की सुरक्षा पर सवाल उठाए। क्रेमर ने ट्वीटर पर कहा, ‘‘निश्चित नहीं है कि रूस क्या कर रहा है, लेकिन मैं निश्चित रूप से टीका नहीं लूंगा जिसका चरण तीन में परीक्षण नहीं किया गया है। कोई नहीं जानता कि क्या यह सुरक्षित है या यह काम करता है। वे एचसीडब्ल्यू (स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता) और उनकी आबादी को जोखिम में डाल रहे है।’’ भारतीय प्रतिरक्षा विद् सत्यजीत रथ ने क्रेमर से सहमति जताई। नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी से प्रतिरक्षाविज्ञानी ने कहा, ‘‘हालांकि यह इसका उपयोग प्रारंभिक सूचना है, लेकिन यह इसकी प्रभावशीलता का सबूत नहीं है। इसकी प्रभावशीलता के वास्तविक प्रमाण के बिना वे टीके को उपयोग में ला रहे हैं।’’ वायरोलॉजिस्ट उपासना रे के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने टीके के निर्माताओं को निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। रे ने कहा कि रूसी अधिकारियों के पास चरण एक और दो के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन चरण तीन को पूरा करने में इतनी तेजी से विश्वास करना मुश्किल होगा जब तक कि आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध न हो। डब्लूएचओ के अनुसार सिनोवैक, सिनोपार्म, फाइजर और बायोएनटेक, ऑस्ट्रलिया ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ एस्ट्राजेनेका और मॉडर्न द्वारा बनाये गये कम से कम छह टीके विश्व स्तर पर तीसरे चरण के परीक्षणों तक पहुंच गए हैं। कम से कम सात भारतीय फार्मा कंपनियां कोरोना वायरस के खिलाफ एक टीका विकसित करने के लिए काम कर रही हैं।