चंडीगढ़ 4 अगस्त 2020 इन्दु/नवीन बंसल (राजनीतिक संपादक) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने
राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये की एक व्यापक योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना का उद्देश्य राज्य में फसल अवशेषों को जलाने से रोकना है। केंद्र सरकार द्वारा इस वर्ष इस योजना के तहत राज्य को 170 करोड़ रुपये मुहैया करवाए गए हैं।
राज्य सरकार ने ‘फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहन योजना के तहत केंद्र सरकार को 639.10 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तुत की है।
इस योजना के तहत फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध के सम्बन्ध में प्रवर्तन उपायों के साथ-साथ फसल अवशेषों का इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन शामिल है। इसके लिए पिछले वर्ष की तरह सभी प्रशासनिक उपाय किए जाएंगे।
राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण वितरित करने, कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने और कृषि एवं किसान कल्याण निदेशालय में राज्य मुख्यालय पर समर्पित नियंत्रण स्थापित करने सहित धान की पुआल के प्रबंधन के लिए हर संभव उपाय कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत गैर-बासमती उत्पादकों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सात दिनों के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने पर्याप्त मशीनें और परिचालन लागत के रूप में 1,000 रुपये प्रति एकड़ प्रदान करके, गैर-बासमती और बासमती की मूच्छल किस्म उगाने वाले छोटे और सीमांत किसानों की मदद की है। इन दोनों उद्देश्यों के लिए, सरकार ने राज्य बजट में पहले ही 453 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
हरियाणा सरकार का इन-सीटू प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए स्ट्रा बेलर इकाइयों की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया गया है। इस पहल के तहत, 5 नवंबर, 2019 तक 64 ऐसी इकाइयां जबकि 6 नवंबर से 11 दिसंबर के बीच 131 इकाइयां स्थापित की गईं। राज्य सरकार ने ऐसी इकाइयों की खरीद के लिए किसानों को 155 परमिट भी जारी किए हैं।
फसल अवशेष जलाने के खिलाफ अपनाए जा रहे सख्त रुख को दोहराते हुए, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने फसल अवशेष जलाने वालों और इन घटनाओं को नियंत्रित करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। इसमें 2,020 एफआईआर दर्ज करना, सात अधिकारियों का निलंबन और 23 अधिकारियों को चार्जशीट करना शामिल है। इसके अलावा, ग्राम स्तर के नोडल अधिकारियों को 499 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
विभाग द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की सूचना देने वाले लोगों को 1000-1000 रुपये का नकद इनाम भी दिया गया है। फसल अवशेष जलाने से जुड़ी 82 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 46 में आग वाले वास्तविक स्थानों का पता लगा। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में, एफआईआर दर्ज करने और चालान जारी करने के प्रवर्तन कदम कृषि विभाग की बजाय हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों द्वारा उठाए जाएंगे।
विभाग द्वारा आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों जैसे गाँव और खंड स्तरीय शिविरों और समारोहों, सोशल मीडिया जागरूकता और प्रदर्शन वैन की तैनाती करके बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया गया। किसानों को इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के संचालन और रखरखाव के लिए प्रशिक्षित किया गया और उनके खेतों में इन-सीटू प्रबंधन तकनीक का प्रदर्शन किया गया। विभाग द्वारा इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग्स और बैनर भी लगाए गए।
आईसीएआर के आंकड़ों के अनुसार, इन प्रयासों के चलते वर्ष 2018 की तुलना में आग की घटनाओं वाले वास्तविक स्थानों में 68.12 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि 6 से 30 नवंबर, 2018 के बीच राज्य में आग की घटनाओं वाले 4,122 स्थान पाए गए थे, जबकि वर्ष 2019 में इसी अवधि के दौरान ऐसे केवल 1,314 पाए गए