चंडीगढ़ 31 जुलाई 2020 इन्दु/नवीन बंसल (राजनीतिक संपादक) सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर की तरह ही अब पंजाब
और हरियाणा के बीच विधानसभा में जगह को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद पंजाब के राज्यपाल और यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनोर के यहां भी पहुंच चुका है। फिलहाल हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता प्रशासक के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अगर राजभवन से भी समाधान नहीं निकला तो फिर यह मामला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचेगा।
पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह द्वारा हरियाणा को विधानसभा में अतिरिक्त जगह देने से साफ इनकार करने के बाद ज्ञानचंद गुप्ता ने चंडीगढ़ के प्रशासक बदनोर को पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद बदनोर ने कहा था कि वे मामले के समाधान के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन करेंगे। कमेटी में दोनों विधानसभाओं के सचिव के साथ चंडीगढ़ के चीफ इंजीनियर को शामिल किया जाना था। अभी तक इस कमेटी का गठन भी नहीं हो सका है।
इसी के चलते अब हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने एक बार फिर से यूटी प्रशासक को पत्र लिखने का फैसला लिया है। एक-दो दिन में ही वे वीपी सिंह बदनोर को चिट्ठी लिखेंगे। उनका कहना है कि अगर यूटी प्रशासक की ओर से भी समस्या का हल नहीं निकाला गया तो गृह मंत्रालय में हरियाणा विधानसभा दस्तक देगी। पंजाब सरकार ने विधानसभा में हरियाणा का हिस्सा भी दबाया हुआ है। दोनों राज्यों के बीच चंडीगढ़ स्थित भवनों का 60 अनुपात 40 में बंटवारा हुआ था। सिविल सचिवालय में जिस तरह से 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब के पास है और 40 प्रतिशत हरियाणा के पास, उसी तरह से विधानसभा बिल्डिंग को भी दोनों राज्यों ने इसी अनुपात में बांटा। हरियाणा का कहना है कि व्यावहारिक रूप से हरियाणा के पास 28 प्रतिशत के करीब जगह है। बाकी 72 प्रतिशत पर पंजाब का कब्जा है। हरियाणा बंटवारे के तहत अपने बाकी 12 प्रतिशत हिस्से की मांग कर रहा है ताकि विधानसभा सचिवालय की गतिविधियां सामान्य रूप से चल सकें।
*कमेटी को जांचना था रिकॉर्ड*
यूटी प्रशासक ने तीन अधिकारियों की कमेटी गठित करने का फैसला इसीलिए लिया था ताकि विधानसभा के कागजी रिकार्ड को खंगाला जा सके। लेकिन अभी तक कमेटी ही नोटिफाई नहीं हो सकी। ऐसे में यह काम अधर में लटका हुआ है। पंजाब विस के स्पीकर राणा केपी सिंह हरियाणा के स्पीकर की लिखित चिट्ठी के जवाब में कह चुके हैं कि उनके पास कोई अतिरिक्त जगह नहीं है। ऐसे में हरियाणा को विधानसभा में अतिरिक्त जगह नहीं मिलेगी। इसी के बाद यह मामला यूटी प्रशासक के पास पहुंचा है।