बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में बाढ़ ने हजारों लोगों का जन-जीवन संकट में डाल रखा है। जुलाई में हुई भारी बारिश के अलावा नेपाल की ओर से नदियों छोड़े गए पानी से तराई वाले इलाके डूबने लगे। महीनेभर से यहां सरयू नदी की जलप्रलय देखने को मिल रही है। अब तो नाव पर ही बहुत से बाढ़ पीड़ितों का चूल्हा जल रहा है। उनके बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं। 30 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ के संकट से जूझ रहे हैं। उफनी हुई सरयू तीन तहसील क्षेत्रों के सैकड़ों गांवों में कहर बरपा रही है। यूपी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उधर, भारत से जारी तनाव के चलते नेपाल सीमावर्ती जिलों के लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ा रहा है। जुलाई की शुरूआत में ही नेपाल की ओर से बाराबंकी जिले की नदी में ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया।
संवाददाता ने बताया कि, लोगों के घरों में कई फुट तक पानी भरने से वे संकट में हैं। अपने-अपने घरों को छोड़कर तटबंध पर शरण ले रहे हैं। रास्ते के बाढ़ के पानी से घिरने के कारण गावों के संपर्क भी कट गए हैं। रास्तों से गांव के लोगों का आवागमन ठप हो गया है। चारों तरफ बाढ़ ने ऐसा हाहाकार मचा रखा है कि कई गावों में तो लोग नाव पर ही अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
हालात ऐसे हैं कि महिलाएं नाव के ऊपर ही किसी तरह चूल्हा जलाकर अपना और अपने परिवार का पेट भर रही हैं। सरयू नदी का पानी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर पहुंच गया है। यह इस साल नदी का सबसे ज्यादा जलस्तर है। बाढ़ के पानी से घिरे लोगों को नावें नहीं मिल पा रही हैं। इससे तमाम लोग मकान की छतों पर डेरा डाले हुए हैं। ऐसे लोगों का गांव से बाहर निकल पाना मुश्किल हो रहा है।
मकान गिरने की आशंका के चलते कई परिवार गहरे पानी के बीच से तटबंध पर पहुंच रहे हैं। हालांकि नदी का जलस्तर बढ़ने की सूचना पर बाराबंकी जिला प्रशासन के अघिकारी मौके पह पहुंचकर लोगों को हर संभव मदद का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन ग्रामीण लगातार प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं।
आलम ये है कि घरों में डबाडब पानी भरने के चलते महिलाएं अपनी ग्रहस्थी का सारा सामन लेकर नांव पर चली आई हैं और बाढ़ पीड़ित महिलाएं नाव पर ही चूल्हा जलाकर गीली लकड़ियों से किसी तरह भोजन बना रही हैं और अपने परिवार के लिए दो रोटी का जुगाड़ कर रही हैं। हालांकि इसमें खतरा भी काफी है, लेकिन उनका कहना है कि इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
बाढ़ पीड़ितों को नहीं पता कि सरयू की इस विनाशलीला का अभी और कितने दिनों तक उन्हें सामना करना पड़ेगा। घाघरा के किनारे बसे तराई इलाके के हर गांव का कमोवेश यही हाल है। हर तरफ बाढ़ से चीख-पुकार मची हुई है। तहसील सिरौली-गौसपुर के गोबरहा गांव के बाढ़ पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। लोग इस भयंकर बाढ़ के बीच भी अपने बच्चों और परिवार के साथ पानी के बीच में रहने को मजबूर हैं। उनके बच्चे भूखे मर रहे हैं। उनके सामने कोई रास्ता नहीं है।
वहीं, बाराबंकी के जिलाधिकारी (डीएम) डॉ. आदर्श सिंह ने कहा कि जनपद की तीन तहसीलें सिरौली-गौसपुर, रामसने ही घाट और रामनगर के तमाम क्षेत्रों के लगभग पैंतीस हजार की आबादी बाढ़ प्रभावित हैं। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। हालांकि, लोगों को बंधे के दूसरी तरफ सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है, साथ ही बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
डीएम ने लोगों से अपील करते हुए भी कहा है कि जो लोग अभी भी गांव में मौजूद हैं, वह तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे। क्योंकि नदी का जलस्तर अभी और ज्यादा बढ़ने की आशंका है। मालूम हो कि, वनइंडिया पर बाराबंकी की बाढ़ से जुड़ी कई खबरें लग चुकी हैं। जिनमें विभिन्न इलाकों की पीड़ा सामने आ रही है।