संतकबीरनगर । (जितेंद्र पाठक) जनपद पहले से ही कोरोना संक्रमण की चपेट में चल रहा है अब बरसात शुरू होने वाली है जलभराव के कारण मच्छर पैदा होने से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा भी रहेगा और ऐसी स्थिति में संक्रामक रोगों पर नियंत्रण पाना। हमारे लिए एक चुनौती है शासन स्तर से संक्रामक रोगों की रोकथाम की तैयारी के निर्देश भी दिए गए हैं ।एक जुलाई से संचारी रोगों की रोकथाम के लिए अभियान शुरू कर दिया जाएगा और बरसात के मौसम में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए नाली और नालों की सफाई का भी काम तेजी से चल रहा है। मच्छरों से बचाव के लिए फागिंग शुरू करा दी गई है इसके अलावा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटाइजेशन का भी काम चल रहा है इस स्थिति में नगरीय क्षेत्रों में वातावरण सही बनाने के लिए लोगों से व्यक्तिगत स्वच्छता के उपाय खुले में शौच न करने शुद्ध पेयजल का प्रयोग करने तथा मच्छरों की रोकथाम के लिए जागरूक होना जरूरी है जैसे ही बरसात के दिन शुरू होते हैं ।मौसम में परिवर्तन होते हैं अत्यधिक बरसात के कारण जगह जगह पानी भर जाते हैं जिस से तरह-तरह के नए कीटाणु, रुके हुए पानी में पैदा होने लगते हैं जो अपने साथ अनेक रोगों को जन्म भी देते हैं। जिसका प्रभाव मानव शरीर पर सबसे ज्यादा पड़ता है और इस तरह से इन लोगों को मौसमी बीमारी, संक्रामक बीमारियां, संचारी रोग कहते हैं ।संचारी रोग यानी संक्रामक रोग जो किसी न किसी रोगाणुओं जैसे प्रोटोजोआ, कवक, जीवाणु, विषाणु इत्यादि के कारण होते हैं। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है । इसमें मुख्य रूप से मलेरिया, टाइफाइड, चेचक, इनफ्लुएंजा, आदि संक्रामक रोग मुख्य है। संक्रामक रोग हवा ,पानी से मिलकर बहुत ही तेजी से फैलते हैं और इसका सीधा असर मानव शरीर पर देखने को मिलता है। जिसमें ज्यादातर छोटे बच्चे और वृद्ध व्यक्ति प्रभावित होते हैं क्योंकि इस आयु के लोगों के शरीर की क्षमता संक्रामक रोगों से लड़ने में कम होती है और इस कारण से इस आयु के लोग इन बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं ।संचारी रोग में मुख्य रूप से चेचक, हैजा, डेंगू, ज्वर, इनफ्लुएंजा, टिटनेस ,हेपेटाइटिस ए ,हेपेटाइटिस बी ,हेपेटाइटिस सी ,हेपेटाइटिस डी आदि प्रमुख हैं संचारी रोग बहुत तेजी से फैलने वाले रोग होते हैं जो सामान्यता बच्चे अधिक प्रभावित होते हैं ।और इन लोगों के लक्षण में दस्त, बुखार, दिमागी बुखार, चढ़ उतरकर बुखार आना, जुकाम, अनियमित खांसी, बहुत तेज खांसी, उल्टी जैसे अनेक लक्षण होते हैं। जो कि इन बीमारियों के आवागमन का पता चलता है। इन सभी रोगो के पैदा होने की वजह गंदे पानी होते हैं तो इनका असर बरसात के दिनों में सबसे अधिक देखने को मिलता है। इससे एक दो लोग ही नहीं पूरा शहर ही या पूरा गांव प्रभावित होता है इन रोगों की रोकथाम की जिम्मेदारी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि समाज के सभी व्यक्ति और सरकार पर होती है जब सभी मिलकर इस रोग के खिलाफ जुटते हैं तभी इन रोगों पर नियंत्रण किया जा सकता है। संचारी रोग से बचाव के लिए गंदे पानी का इकट्ठा होना सबसे बड़ा कारण बनता है ऐसे में बरसात के दिनों में टूटे-फूटे सामानों में या पात्रों में पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। संचारी रोग गंदी नालियों में कीड़े विषाणु के पैदा होने से होते हैं ऐसे में यदि घरों के आसपास कोई नाली टूटी फूटी या खुली दिखाई दे रही हो तो उसे सही करा कर ढक कर रखना चाहिए। जिससे इनसे निकलने वाले कीटाणु हवा में ना फैले संचारी रोग से नियंत्रण के लिए स्वच्छता बहुत आवश्यक है। हमें अपने आसपास का वातावरण साफ सुथरा रखना चाहिए। संचारी रोग से बचने के लिए लोगों को खुले में शौच करने से रोकना चाहिए। जो कि अन्य बीमारियों के जन्म के कारण बनते हैं संचारी रोग जैसे मलेरिया ,फाइलेरिया, डेंगू, मस्तिष्क ज्वर, जो कि मच्छर के काटने से फैलते हैं। इसलिए शुद्ध पेयजल, जलभराव, कूड़े कचरे का इकट्ठा होना इस पर रोक लगानी चाहिए।। संचारी रोग से बचने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।। मच्छरों के फैलने से रोकने के लिए कीटाणु नाशक धुए, नीम की पत्ती ,के धुए आदि करना चाहिए ।जिससे मच्छरों का प्रकोप कम हो सके।। संचारी रोग से बचाव के लिए छोटे बच्चों को जन्म से अनेक टीके मौजूद है इन्हें डॉक्टर की उचित सलाह पर रोगों से रोकथाम के लिए टीके अवश्य लगवानी चाहिए। बहुत सारे संचारी रोग गंदे पानी पीने से भी होते हैं जिन से उल्टी, दस्त आदि प्रमुख हैं अतः लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की संचित व्यवस्था होनी चाहिए और पीने का पानी हमेशा ढक कर रखना चाहिए ।इन रोगो के प्रभाव में अगर कोई आ जाता है तो पानी को हमेशा उबालकर ठंडा करके ही पीना चाहिए। संचारी रोग के प्रभाव में यदि कोई व्यक्ति आ जाता है तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उनके सलाह पर दवाई चिकित्सा और खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।