संतकबीरनगर राजकीय कन्या इंटर कॉलेज खलीलाबाद कि सोनिया मैम ने बताया की जल ही जीवन का आधार है,और इसके बिना प्राणी जगत और वनस्पति जगत का जीवन संभव नहीं है। जल जीवन का आधार होने के साथ-साथ मानवीय जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों तथा दैनिक गतिविधियों के लिए भी बहुत आवश्यक है ।और हमारे शरीर तथा स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। मनुष्य की प्यास की तृप्ति केवल जल से ही हो सकती है ।जल मनुष्य के समस्त कोशिकाओं के निर्माण में भी बहुत महत्वपूर्ण है। पाचन क्रिया के लिए भी जल उपयोगी हैं। जल की उपस्थिति में ही भोजन। घुलित अवस्था को प्राप्त करता है । तथा भोजन घु लित आहार का ही पाचन तथा शोषण संभव हो पाता है। जल के अभाव में आहार का पाचन संभव नहीं है। शरीर के समस्त क्रियाओं के संचालन के लिए जल आवश्यक है। जल शरीर के ताप क्रम के नियमन में भी महत्वपूर्ण है। शरीर में विद्यमान जल शरीर के ताप क्रम को बढ़ने से रोकता है। शरीर की त्वचा, स्वास्थ्य, तथा सुंदरता के लिए जल उपयोगी हैं ।और इस तरह जल का बहुत महत्व है। तो आज हमारे लिए जल का संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। और हम अपने रोजमर्रा के जीवन में जिस तरह जल का दुरुपयोग करते हैं उस पर रोक लगाने की जरूरत है ।दुनिया के कई देशों को जल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है ।और भारत के कई राज्यों में लोगों को पानी के लिए दूर -दूर तक जाना पड़ता है। हम जल का सही उपयोग करके और जल के स्रोतों को बढ़ाकर जल की समस्या से निजात पा सकते हैं ।जल संरक्षण के लिए हमें बरसात का पानी संग्रह करना चाहिए ।वर्षा के जल को संग्रह करने के लिए जगह-जगह छोटे- छोटे तालाब तथा जलाशय बना सकते हैं। यह काम कर सकते हैं तो हमें अपने नदी तालाब, जलाशय ,को स्वच्छ रखना है ।और हमें चाहिए हम अपने नदी, तालाब ,आदि में प्रदूषण ना करें और उन्हें शुद्ध रखें। भूगर्भ जल के संरक्षण पर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ।घरों में पानी के मीटर लगाने की जरूरत है ।जिससे लोगों को पानी का महत्व समझ में आएगा और पानी का दुरुपयोग बंद होगा। खेतों की सिंचाई के लिए टपक पद्धति, तथा फुआ रे के उपयोग करने से पानी को बचा सकते हैं ।घरों में नहाने, बर्तन धोने, शौचालय में ढेर सारा पानी इस्तेमाल होता है। वहां समझदारी से पानी का उपयोग करना चाहिए । वनों की कटाई के कारण वर्षा पर प्रभाव पड़ता है ।इनका विस्तार बढ़ाना चाहिए। वर्षा जल संरक्षण से पशुपालन ,तथा जल के अन्य प्रयोग में मदद मिलती है ।जल के संरक्षण से मछली पालन, तथा खेती में लाभ पहुंचता है। वर्षा जल संचयन के कई लाभ हैं जैसे- ग्रामीण परिवेश में वर्षा जल संचयन, जो वर्षा का जल प्रवाह के माध्यम से बहता है और बर्बाद होता है उसका संग्रह तथा उपयोग किया जा सकता है । भू- जल की गुणवत्ता में सुधार लाया जाए सरल , किफायती, और पर्यावरण अनुकूलन संरचनाओं की आवश्यकता है। आज जिस तरह से जल का दुरुपयोग हो रहा है जल संकट को जानते हुए तथा समझते हुए हमें इसे बचाने का प्रयास नहीं किया तो निश्चित ही भविष्य में स्थितियां और भी भयानक हो सकती हैं जल के प्रबंधन में भारत की जनसंख्या, तथा गरीबी बहुत बड़ी चुनौती है ।इस पर गंभीरता पूर्वक कदम उठाने की आवश्यकता है। तथा प्रदूषित जल से जनता को बचाना होगा शुद्ध जल जहां एक और अमृत है ,वहीं प्रदूषित जल विष तथा महामारी का आधार । आज के समय में जल संसाधन, संरक्षण, संवर्धन ,की आवश्यकता है। जिसमें जनता का सहयोग और जागरूकता अनिवार्य है। आज जल संकट भी मानवीय चूक से उत्पन्न एक समस्या है ।हमने सभ्यता की प्रगति साथ साथ प्रकृति का दोहन भी किया है ।इसलिए हमें अपनी गलती का सुधार करते हुए कुशल प्रबंधन के जरिए जल को सहेजना होगा ।भूमिगत जल के पुनर्भरण आसान तकनीक से देश के किसानों को जागरुक करना होगा। किसानों को बताया जाना चाहिए कि जहां पानी बरस कर भूमि पर गिरे, उसे वही यथासंभव उसे रोका जाए ।खेत के किनारे फलदार वृक्ष लगाने चाहिए। इस तरह के विभिन्न संरक्षण किया जा सकता है। हम सभी को अपने अपने घरों में जल संरक्षण की भी व्यवस्था करनी चाहिये.।