विश्व डॉक्टर्स डे पर विशेष
बस्तीः प्रभारी चिकित्सा अधिकारी (एमओआईसी) कुदरहा ने कोरोना से जंग में जान की भी बाजी लगा दी। वह संक्रमण का शिकार हुए, स्वस्थ होने के बाद एक बार फिर कोरोना मरीजों की सेवा करना चाहते हैं। वे संक्रमण का शिकार होने वाले जिले के पहले कोरोना वॉरियर हैं। कम्युनिटी में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सीएचसी, पीएचसी पर तैनात डॉक्टर्स वहां आने वाले मरीजों में संभावित कोरोना मरीजों की पहचान कर उनकी जांच करवा रहे हैं। टीम बनाकर जांच के लिए गांव तक पहुंच रहे हैं।
विश्व डॉक्टर्स डे (01 जुलाई) पर इन चिकित्सकों की हिम्मत व हौसले को सलाम है। एमओआईसी कुदरहा का कहना है कि उन्होंने मरीजों से कभी भेदभाव नहीं किया। अन्य स्टॉफ से भी वे हमेंशा कहा करते हैं कि अस्पताल स्टॉफ की अच्छी बातों से मरीज का आधा दर्द दूर हो जाता है। लेवल-वन अस्पताल रुधौली व मेडिकल कॉलेज बस्ती में चार दर्जन से अधिक चिकित्सकों की टीम अपनी और अपने परिवार की परवाह किए बगैर दिन रात संक्रमित मरीजों की सेवा में लगी है। ड्यूटी के दौरान कम से कम दो बार मरीज का हाल-चाल लेना व उनकी स्थिति पर नजर रखना यह डॉक्टर नहीं भूलते हैं।
माझा क्षेत्र की सीएचसी कुदरहा अंतर्गत अब तक कोविड-19 के 10 से ज्यादा मरीज निकल चुके हैं। मरीज के परिवार को क्वारंटीन कराने से से लेकर इनके संपर्क वालों की जांच कराने तक की जिम्मेदारी एमओआईसी ने बखूबी निभाया। कोरोना के प्रशिक्षक व मेडिकल ऑफिसर डॉ. आफताब रजा का कहना है कि एन-95 मॉस्क में भी पांच प्रतिशत संक्रमित होने की संभावना रहती है। इसके अलावा काम के दौरान एक छोटी सी चूक आप को संक्रमित करने के लिए काफी है। ओपीडी में आने वाले मरीजों से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना चिकित्सकों के लिए बड़ी चुनौती बन रही है। इन तमाम खतरों के बावजूद डॉक्टर्स अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं।