बस्ती । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था आपदा को अवसर में बदलना होगा। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे सरकारी विभाग और के तमाम अफसरों ने इसका अपने हिसाब से अर्थ निकाल लिया, और कोरोना काल में शासन से आ रहे भारी भरकम बजट में भी बंदरबांट की परंपरा लागू कर दी। कोरेनटीन सेण्टरों, अस्पतालों, आइसोलेशन वार्डों, वेन्टीलेटरों और एल वन, एल टू अस्पतालों में कोरोना मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर जो लूट मची है, वह किसी से छिपी नही है।
मरीजों को मिलने वाले भोजन, बिस्तर और अन्य सामग्रियों के नाम पर अच्छा खासा बजट आ रहा है लेकिन मरीजों को घटिया किस्म के भोजन, बिस्तर आदि दिये जा रहे हैं। कोरेनटीन किट व मेडिकल किट के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा है। इसमे बाल्टी, मग, वाशिंग पाउडर, साबुन, स्टील गिलास, मंजन, ब्रश, जीभ छिलनी, छोटी बड़ी तौलिया, दवायें दी जाती हैं। किट में घटिया स्तर के सामान देकर जो बचत की जा सकती है उसमें जिम्मेदारों से कोई चूक नही हो रही है। रूधौली स्थित नवोदय विद्यालय एल वन अस्पताल से कोरोना मरीज का वीडिया वायरल हुआ था जिसमे दवा मांगने पर पुलिसकर्मी मारने की धमकी दे रहा था। केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय से लेकर स्थानीय प्रशासन तक अधिकारी इम्यूनिटी बढ़ाने का उपदेश देते नही थक रहे थे।
लेकिन अस्पतालों में कोरोना मरीजों को च्यवनप्राश, गिलोय, आवंला, अश्वगंधा देखने को भी नही मिला। जिला ओपेक चिकित्सालय कैली की बात करें तो यहां जगह जगह बदबूदार नालियां, झाड़ झंखाड़ और कूंड़े प्रशासनिक लापरवाही बयां करने के लिये काफी हैं। जिले में संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है जो महज कागजों और सरकारी विज्ञप्तियों तक सिमट कर रह गया है। अस्पताल हो या शहर के मोहल्ले हर जगह गंदगी का अंबार लगा है। मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, एहतियात के तौर पर अखबारो में खबरें छपवाकर जिम्मेदारी पूरी की जा रही है। जनता की जुबान पर है, लोग कह रहे हैं कि अफसरों और नेताओं ने प्रधानमंत्री के आपदा में अवसर में बदलना है का यही अर्थ निकाल रहे हैं तो सब कुछ ठीक ठाक है, वरना आपदा का धन डकारने वालों का क्या हस्र हुआ है ये एक एक आदमी जानता है।