बस्ती। कुआनो नदी 30 वर्ष पहले वाले तेवर में लौटते दिख रही है। पुरानी धाराओं को छोड़कर इधर-उधर बहने वाली जिले की इस प्रमुख नदी की धारा इस बार पुरानी राह पकड़ते दिख रही है।
पहले जिन घाटों पर बारिश में भी पानी की कमी से बहाव रुक गया था, वहां काफी गहरी धारा बहने लगी है। इसकी बानगी भदेश्वरनाथ मंदिर के पीछे देखी जा सकती है, जहां मंदिर के पास से होकर धारा बह रही है। जिले में कुआनो नदी के घाटों की बात करें तो शिवाघाट, अइला घाट, बेलवरिया घाट के अलावा अमहट, मोहटा घाट उसके आगे देवरांव, दबिला घाट, गौरा घाट और लालगंज घाट पर पुल बनकर तैयार हो गया। जानकार बताते हैं कि 50-55 किलोमीटर के बीच दर्जन भर पुल बनने से भी नदी की धारा का वेग काफी कम हो गया। हाल के कुछ वर्षों में नदी में जलकुंभी पट गई थी। इसके कारण पानी का बहाव कम हो गया था। कई जगह नदी सूखने लगी थी, मगर इस बार की बारिश ने सारे पैमाने तोड़ दिए।
पौराणिक है भदेश्वरनाथ मंदिर
भदेश्वरनाथ जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी पर कुआनो नदी के तट पर स्थित है। भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। कुछ लोगों का कहना है कि यह मंदिर रावण ने स्थापित किया था। इस शिव लिंग और भदेश्वरनाथ का नाम शिवा महापुराण में भी लिखा गया है। गांव भदेश्वरनाथ में अधिकांश ब्राह्मण गोस्वामी की आबादी हैं। इस गांव की जनसंख्या करीब 500 है। कुआनो नदी बहराइच जिले के पूर्वी निचले भाग से प्रारंभ होकर गोंडा के बीचोबीच होकर रसूलपुर में बस्ती मंडल को स्पर्श करती है। यह बस्ती पूर्व, बस्ती पश्चिम, नगर पश्चिम, नगर पूर्व, महुली पूर्व तथा महुली पश्चिम परगनों को पृथक करती है। गोरखपुर में यह घाघरा में विलीन होकर स्वयं को समाप्त कर लेती है। कुआनो नदी से दूरदराज के इलाकों में नाव द्वारा सामान की ढुलाई भी पहले होती थी। रवई, मनवर तथा कठनइया आदि इसकी अनेक सहायक नदियां हैं।
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