जानकारी। सामान्य भाषा में समझा जाए तो सर्वर एक कंप्यूटर ही होता है जो 24 घंटे ऑन रहता है, ताकि उस सर्वर में स्टोर डाटा कहीं से भी एक्सेस किया जा सके। आप कल्पना कीजिए कि इंटरनेट पर आप कोई वेबसाइट लॉगइन करते हैं और उस पर कुछ सूचनाएं, तस्वीरें या वीडियो ढूंढते हैं।
सर्वर डाउन चल रहा है!
अमुक वेबसाइट का सर्वर कभी डाउन नहीं होता!
इस तरह के कई वाक्य आप गाहे-बगाहे अवश्य ही सुनते होंगे। देखा जाए तो जैसे-जैसे इंटरनेट पॉपुलर हुआ है, वैसे-वैसे सर्वर शब्द भी काफी प्रचलित हुआ है।
आइये इस लेख में जानते हैं कि यह 'वेब सर्वर' क्या है और यह कैसे कार्य करता है?
साथ ही हम यह भी जानेंगे कि वेब होस्टिंग कितने टाइप के सामान्य तौर पर होते हैं?
सामान्य भाषा में समझा जाए तो सर्वर एक कंप्यूटर ही होता है जो 24 घंटे ऑन रहता है, ताकि उस सर्वर में स्टोर डाटा कहीं से भी एक्सेस किया जा सके। आप कल्पना कीजिए कि इंटरनेट पर आप कोई वेबसाइट लॉगइन करते हैं और उस पर कुछ सूचनाएं, तस्वीरें या वीडियो ढूंढते हैं। ऐसे में आपके कंप्यूटर या मोबाइल से इंटरनेट के माध्यम से रिक्वेस्ट उस कंप्यूटर तक पहुंचती है, जो सर्वर के रूप में स्टेबल है। आपके कंप्यूटर की रिक्वेस्ट पर सर्वर उस वेबसाइट की वह इंफॉर्मेशन ढूंढ कर आपको देता है।
अब चूंकि एक सर्वर पर एक साथ कई रिक्वेस्ट आती है, इसीलिए अगर वह सामान्य कंफीग्रेशन का कंप्यूटर होगा तो निश्चित रूप से हैंग कर जाएगा।
इसीलिए वेब सर्वर के लिए स्पेशल तौर पर हार्डवेयर डिजाइन होते हैं, तो इनके लिए सॉफ्टवेयर भी स्पेसिफिक होते हैं। ऐसी स्थिति में चाहे जितनी रिक्वेस्ट आये, सर्वर डाउन होने के चांसेस कम हो जाते हैं। फिर भी सर्वर डाउन हो ही जाते हैं। इसीलिए अलग-अलग वेब सर्वर की अलग-अलग कैटेगरी निश्चित की जाती है, जो कस्टमर अपने हिसाब से खरीदता है।
शेयर्ड होस्टिंग
सबसे पहले शेयर्ड होस्टिंग होती है जो कोई कस्टमर परचेज करता है। अगर इंटरनेट से आपने डोमेन खरीद लिया है तो उसे आप शेयर्ड होस्टिंग पर पॉइंट करते हैं और ऐसे में जब भी कोई इंटरनेट पर आपका डोमेन सर्च करता है तो वह आपके सर्वर से कनेक्ट हो जाता है। शेयर्ड होस्टिंग अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती है, क्योंकि एक ही सर्वर को अलग-अलग कंपनियां (डोमेन) अलग-अलग समय पर यूज कर सकती हैं।
वस्तुतः यह इस कांसेप्ट पर निर्भर होता है कि एक ही समय पर अलग-अलग डोमेन, आपकी कंप्यूटर की रिसोर्सेज को इस्तेमाल नहीं करेंगे, इसलिए एक साथ कई डोमेन इसे शेयर करते हैं।
यही कारण है कि छोटी कंपनियां शेयर्ड होस्टिंग ही चुनती हैं। हालांकि यह एक निश्चित सीमा तक ही ट्रैफिक वहन कर सकता है।
बीपीएस
वर्चुअल प्राइवेट सर्वर, यानी बीपीएस, शेयर्ड होस्टिंग की अगली कैटेगरी है। यह अपेक्षाकृत महंगी पड़ती है और इसका कारण बड़ा साफ है कि अगर आप अपने 1 डोमेन के लिए बीपीएस इस्तेमाल करते हैं तो उसे कोई और शेयर नहीं कर सकता। ऐसे में सर्वर (कंप्यूटर) की पूरी रिसोर्सेज पर आपके डोमेन का ही अधिकार होता है। इसमें डेडीकेटेड आईपी भी लोग इस्तेमाल करते हैं। मतलब जो ट्रैफिक रूट होता है उसमें आपका ही डाटा ट्रैवल करता है। इसके डाउन होने की संभावना अपेक्षाकृत कम रहती है। हालाँकि, यह पूरी तरह डेडिकेटेड नहीं होता है।
डेडीकेटेड सर्वर
यह पूरी तरह से आपके डोमेन के लिए डेडीकेटेड होता है, जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है। डेडीकेटेड होस्टिंग तब इस्तेमाल में लाई जाती है जब आपकी वेबसाइट पर हैवी ट्रैफिक आ रहा हो। निश्चित रूप से यह उपरोक्त दोनों होस्टिंग से महंगी पड़ती है, लेकिन इसमें सभी रिसोर्सेज पूरी तरह से डेडिकेटेड होती है, तो सामान्य तौर पर सर्वर डाउन नहीं होता है।
इन्टरनेट पर आपको बिगरॉक, गोडैडी, ब्लू होस्ट जैसी कई कम्पनियां मिल जाएँगी, जो होस्टिंग सेल करती हैं। अगर आप भी अपने डोमेन के लिए यह खरीदना चाहते हैं तो कई कम्पनियां एक होस्टिंग से दूसरी होस्टिंग का कम्पैरिजन भी प्रस्तुत करती हैं, जिसे खरीदने से पहले आपको अवश्य ही देखना-समझना चाहिए।