बस्तीः पहली जून को श्री कृष्णा मिशन में इलाज के दौरान मृत महिला की रिपोर्ट दो दिन बाद पाजिटिव आई, उसके दो बेटों की भी रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई और उन्हे रूधौली स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय एल 1 अस्पताल में एडमिट किया गया है। महिला का नाम रचना श्रीवास्तव ‘रूचि’ बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो वह कांशीराम कालोनी में रहती थी और मड़वानगर में भी उसका मकान था।
हैरान करने वाली खबर ये है कि बगैर रिपोर्ट आये उसकी डेड बॉडी को बगैर किसी के प्रोटाकल के अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सुपुर्द कर दिया, अंतिम संस्कार भी मनमाने तरीके से हुआ। मोहल्ले के लोग और महिला के करीबी इसमे शामिल हुये। ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब न तो अस्पताल प्रबंधन के पास है और न ही स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों के पास। महिला की रिपोर्ट आने के बाद न तो अस्पताल की सील किया गया और न ही डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोरेनटीन किये गये। बिलकुल उसी अव्वल दर्ते की लापरवाही सामने आ ही है जैसे जनपद के पहले कोरोना पाजिटिव हसनैन के मामले में आई थी।
अस्पताल प्रबंधन की ऊंची रसूख और आर्थिक सम्पन्नता के आगे सारे नियम कानून बौने साबित हो गये। इस प्रकरण में प्रभारी सीएमओ डा. फकरेयार हुसेन ने बताया कि अस्पताल को 24 घण्टे में दो बार सेनेटाइज करने को बोला गया था। महिला के परिजनों को प्राटोकाल की जानकारी दे दी गयी थी। जबकि मृत महिला और उसके दोनो बेटों की कान्ट्रैक्ट ट्रेसिंग भी कम्प्लीट नही हुई। स्थानीय प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारी तक श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल सूत्रों से जानकारी ली गई तो पता चला महिला की मौत एंबुलेंस के अंदर ही हो गई थी।
उस वक्त स्वास्थ्य महकमे के लोग भी आए थे प्रभारी सीएमओ ने स्वीकार किया कि महिला श्री कृष्णा हॉस्पिटल में एडमिट की गई थी।
उन्होंने बताया की करो ना संदिग्ध पाए जाने पर ओपेक अस्पताल कैली में एडमिट की गई थी।
यहां से स्थिति गंभीर होने पर बीआरसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
लेकिन परिजन वहां न ले जा कर उसे कृष्णा मिशन हॉस्पिटल ले गए जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई 2 दिन बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
जबकि भानपुर में इलाज कराने पहुंचे मजदूर की मौत बरामदे में हो गई और अस्पताल सील कर दिया गया था।श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल में क्रोरोना संदिग्ध मृत महिला और उसके दो बेटों की रिपोर्ट आई पाजिटिव, स्थानीय प्रशासन रहा मौन
बस्तीः पहली जून को श्री कृष्णा मिशन में इलाज के दौरान मृत महिला की रिपोर्ट दो दिन बाद पाजिटिव आई, उसके दो बेटों की भी रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई और उन्हे रूधौली स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय एल 1 अस्पताल में एडमिट किया गया है। महिला का नाम रचना श्रीवास्तव ‘रूचि’ बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो वह कांशीराम कालोनी में रहती थी और मड़वानगर में भी उसका मकान था।
हैरान करने वाली खबर ये है कि बगैर रिपोर्ट आये उसकी डेड बॉडी को बगैर किसी के प्रोटाकल के अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को सुपुर्द कर दिया, अंतिम संस्कार भी मनमाने तरीके से हुआ। मोहल्ले के लोग और महिला के करीबी इसमे शामिल हुये। ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब न तो अस्पताल प्रबंधन के पास है और न ही स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों के पास। महिला की रिपोर्ट आने के बाद न तो अस्पताल की सील किया गया और न ही डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ कोरेनटीन किये गये। बिलकुल उसी अव्वल दर्ते की लापरवाही सामने आ ही है जैसे जनपद के पहले कोरोना पाजिटिव हसनैन के मामले में आई थी।
अस्पताल प्रबंधन की ऊंची रसूख और आर्थिक सम्पन्नता के आगे सारे नियम कानून बौने साबित हो गये। इस प्रकरण में प्रभारी सीएमओ डा. फकरेयार हुसेन ने बताया कि अस्पताल को 24 घण्टे में दो बार सेनेटाइज करने को बोला गया था। महिला के परिजनों को प्राटोकाल की जानकारी दे दी गयी थी। जबकि मृत महिला और उसके दोनो बेटों की कान्ट्रैक्ट ट्रेसिंग भी कम्प्लीट नही हुई। स्थानीय प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारी तक श्रीकृष्णा मिशन अस्पताल सूत्रों से जानकारी ली गई तो पता चला महिला की मौत एंबुलेंस के अंदर ही हो गई थी।
उस वक्त स्वास्थ्य महकमे के लोग भी आए थे प्रभारी सीएमओ ने स्वीकार किया कि महिला श्री कृष्णा हॉस्पिटल में एडमिट की गई थी।
उन्होंने बताया की करो ना संदिग्ध पाए जाने पर ओपेक अस्पताल कैली में एडमिट की गई थी।
यहां से स्थिति गंभीर होने पर बीआरसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
लेकिन परिजन वहां न ले जा कर उसे कृष्णा मिशन हॉस्पिटल ले गए जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई 2 दिन बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
जबकि भानपुर में इलाज कराने पहुंचे मजदूर की मौत बरामदे में हो गई और अस्पताल सील कर दिया गया था।