बस्ती :- मुख्यालय स्थित एक निजी चिकित्सालय में हुई महिला की मृत्यु और उसकी कोरोना पॉज़िटिव पॉय जाने तथा उसके दो बेटों के भी कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने से सिस्टम और अस्पताल की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया खुल कर सामने आ गया है। मामला के खुलासा होने के बाद से ही जिम्मेदार अपने सहित सबको बचाने और उचित ठहराने में लग गए है।
प्रकरण मुख्यालय के काशी राम आवासीय कालोनी की महिला की निजी अस्पताल में हुई मृत्यु से जुड़ा है। महिला की तबियत खराब होने पर कैली हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।जहां तबियत और बिगड़ने के बाद महिला को बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया।महिला के परिजन उसे गोरखपुर न ले जा कर श्री कृष्णा मिशन हॉस्पिटल ले गए।एसीएमओ डॉक्टर फखरे यार हुसैन की माने तो महिला को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गयी। मृत महिला का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया जबकि मृत महिला का शव उसके परिजनों को दे दिया गया। सैंपल की रिपोर्ट पॉज़िटिव आने के बाद उसके दो पुत्रों का भी सैंपल टेस्ट किये जाने पर पॉजिटिव निकला। दोनो बेटों को एल1 हॉस्पिटल रुधौली भेज दिया गया।
समूचा घटना क्रम अपने मे तंत्र के विभिन्न हिस्सों की लापरवाही उजागर करती है।
प्रश्न जो उठता है -
जब महिला कैली अस्पताल पहुंची तो क्या उसकी कोरोना के प्राथमिक लक्षणों की जांच की गई थी ?
उस महिला को हैंडल करने वाले स्टाफ का क्या हुआ?
जब उसे बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर किया गया तब भी उसके लक्षणों पर ध्यान क्यो नही दिया गया?
प्राथमिक जांच वहाँ की गई थी कि नही? अगर नही।
श्रीकृष्ण मिशन अस्पताल ने बिना प्राथमिक जांच और केस हिस्ट्री जाने एडमिट कैसे कर लिया?
मृत्यु के पश्चात अगर महिला का स्वैब जांच के लिए भेजा गया तो प्रोटोकाल का उल्लंघन करते हुए संदिग्ध का शव परिजनों को कैसे दे दिया?
क्या पॉज़िटिव रिपोर्ट आने के बाद कैली में प्रोटोकाल के मुताबिक कोरोना फ्री करने की कोई कवायद की गई ?
इसी प्रकार जिस निजी अस्पताल ने भर्ती किया ,पॉज़िटिव निकलने के बाद ,सेनेटीज़शन, कोरेण्टाइन,आइसोलेशन या हॉटस्पॉट क्लियर किया गया। हॉस्पिटल के स्टाफ ये क्यो कह रहे कि महिला की मौत एम्बुलेंस में ही हो गयी ? सैंपल जांच में भेजने के बाद शव कैसे परिजनों को दे दिया गया ?
इन तमाम सवालों के उत्तर श्रीकृष्ण मिशन हॉस्पिटल,कैली हॉस्पिटल , सीएमओ सहित जिले प्रशासन के पास होना चाहिए.