संतकबीरनगर (जितेन्द्र पाठक) । निरंतर पूरे जनपद का भ्रमण कर गरीब और असहाय की मदद कर रहे सूर्या एकेडमी के निदेशक वरिष्ठ समाजसेवी डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी के क्षेत्रीय भ्रमण से सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है और लोग यह कयास लगा रहे हैं कहीं डॉक्टर उदय प्रताप चतुर्वेदी के पांव राजनीतिक गलियारों में तो नहीं उतरने वाले हैं लेकिन बिना किसी बयानबाजी के डॉक्टर उदय प्रताप चतुर्वेदी पूरे जनपद में भ्रमण कर गरीब और मजलुमो की मदद कर रहे हैं। जिले को यूं तो पूर्वांचल की राजनीति का सियासी अखाड़ा माना जाता है। इसीलिए तो समय समय पर गैर जनपदों के भी सियासी जादूगर अपनी नजरबंदी के चाल में यहां के जनमानस को फंसा कर नेतृत्व का हक हथियाते रहे हैं। इससे सबसे अधिक नुकसान जिले की गरीब, बेबस और लाचार आवाम को उठाना पड़ा है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते जब लाकडाउन शुरू हुआ तो ऐसे चमत्कारी लोग भूमिगत हो गये। ऐसे मे जिले के ही कुछ चुनिंदा समाजसेवियों के साथ ही कुछ नेताओं ने भी जरूरत मंदों की मदद किया। पूर्वांचल मे शैक्षणिक संस्थानों की जली अलख को आगे बढाने मे जुटे सूर्या इण्टरनेशनल एकेडमी के एमडी डा उदय प्रताप चतुर्वेदी ने गांव के गरीबों से लगायत ईंट भठ्ठों के मजदूरों और बेबस राहगीरों मे न सिर्फ राशन, फल, सब्जियां, मास्क बल्कि नकद आर्थिक सहायता वितरित करके गरीबों की मदद का प्रयास किया। गरीबों के चूल्हों की लौ तेज करने के साथ ही इन्सानियत और मानवता से टूट रही बेसहारा परिवारों की आस को भी अपने प्रयासों की बदौलत जिन्दा रखा। गरीबी और बेबसी के चलते अपने दादी के शव को ठेले पर लाद कर अंतिम संस्कार को ले जाते छितही निवासी मंगल कन्नौजिया का रहबर बन कर डा चतुर्वेदी ने उसके दादी के अंतिम संस्कार का पूरा जिम्मा उठाया। उन्होंने न सिर्फ खुद आर्थिक सहयोग किया बल्कि लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया। महुली थाना क्षेत्र के ग्राम तरयापार निवासी राम मिलन पाण्डेय के परिवार पर हुए वज्रपात से समूचा इलाका ही दहल गया था। मां नूतन और पिता नितिन की हुए असमय मौत के चलते अपने दादा राम मिलन पाण्डेय और दादी इन्द्रावती के सहारे पल रहे मासूम हर्षिता और आयु पाण्डेय के सिर से अचानक दादा की छत्रछाया भी उजड़ गयी। सूचना जब डा चतुर्वेदी को मिली तो उन्होंने न सिर्फ मृतक राम मिलन के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी एक बेटे की तरह पूरी किया बल्कि दोनों मासूम बच्चों का नामांकन अपने ही शैक्षणिक संस्थान एसआर इण्टरनेशनल एकेडमी मे करा कर उनकी परवरिश का बीड़ा भी उठाकर आम आवाम के दिलों मे अपना अलग मुकाम हासिल कर लिया। संवेदनशीलता की उनकी जिम्मेदारी का यह कारवां यहीं नही रुका बल्कि लाकडाउन मे मुम्बई से ट्रक मे सवार होकर घर लौट रहे वसियाजोत निवासी बेहद गरीब परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य भोला यादव की रास्ते मे ही मौत हो गई थी। भोला की मौत के बाद इस परिवार के सामने ब्रह्मभोज संस्कार पूरा करने के लिए भी आर्थिक संकट रोड़ा बन गया था। शोषल मीडिया पर इस परिवार के दर्द की दास्ताँ सुन डा चतुर्वेदी ने उनके घर पहुंच कर आर्थिक मदद पहुंचाया। यह डा चतुर्वेदी की पहल ही थी कि संतकबीर सेवा समिति ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ब्रह्मभोज कार्यक्रम को सकुशल संपन्न करा कर इस गरीब परिवार की समाज के प्रति आस को जिन्दा रखा। हालांकि डा चतुर्वेदी द्वारा शुरू की गई पहल की प्रेरणा लखनऊ के गलियारों तक पहुंची और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी कोष से इस परिवार के लिए एक लाख रूपए की बडी सहयोग राशि भेजवा कर मदद की मुहिम को मुकाम तक पहुंचाया। मझौवा एकडंगा निवासी मजदूर रामाज्ञा गौड़ की हरिहरपुर नगर पंचायत मे कार्य करते समय मिट्टी के मलबे मे दबने से हुई मौत के बाद इस मजदूर परिवार के चूल्हे की आग ठण्डी पड गई। हजारों की नकदी और राशन, फल सहित ब्रह्मभोज संस्कार का सभी सामान पहुंचा कर इस परिवार की आस को टूटने से बचाया। मानवता की विसात पर इन्सानियत की लौ जलाते हुए चुपचाप आगे बढ रहे डा उदय प्रताप चतुर्वेदी की इस चाल ने सियासी गलियारों मे हलचल मचा दिया है। सवाल यह है कि क्या गरीब आवाम के दिलों से होकर समाज के बीच महसूस की जा रही डा उदय प्रताप की उपयोगिता ने राजनीति के मठाधीशों की जमीन को दरकाना शुरू कर दिया है?
निरंतर बेबस और असहाय लोगों की मदद के लिए बढ़ रहे डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी के हाथ
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June 08, 2020
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