भोपाल, भरतमुनि का नाट्यशास्त्र रामायण और महाभारत काल के पहले का है। वैसे तो इसमें नाट्य के सिद्धांत हैं, किन्तु नाट्यशास्त्र के सम्बन्ध में कहा जाता है कि दुनिया में ऐसा कुछ नहीं, जो इसमें नहीं है, या कहें कि इस दुनिया में जो कुछ है, वह सब नाट्यशास्त्र में सम्मिलित है। इसमें विश्व के सभी विषयों का समावेश है। सभी प्रकार के संचार के सिद्धांत भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में मिलते हैं। संचार को लेकर इसमे कई संभावनाएं हैं। यह विचार संचार शोध के विशेषज्ञ एवं काठमांडू विश्वविद्यालय, नेपाल के प्राध्यापक डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने व्यक्त किये। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के आयोजन ‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत उन्होंने ‘भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में संचार के सूत्र’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
डॉ. निर्मल मणि अधिकारी ने बताया कि जिस समय नाट्यशास्त्र बना था, उस समय केवल आठ रसों का वर्णन था। 9वां रस अभिनव गुप्त ने जोड़ा, जो शांत रस है। उन्होंने यह भी बताया कि संचार का सहृदयीकरण मॉडल सीधे नाट्यशास्त्र से नहीं आया बल्कि इसका प्रादुर्भाव बाद में संचारी विद्वानों ने किया। इसी तरह सहृदयता भी विविधता में एकता के साथ आ गई। मतलब यदि आप ऐसा संचार करते है जो सेंडर से रिसिवर तक सीधे पहुचकर हलचल पैदा कर दे, आपका संचार पूर्ण होता है। संचार करनेवाले में संचार करने की शक्ति होती है कि वह रिसिवर को अभिप्रेरित कर सके।
उन्होंने बताया कि सभी के अंदर भावना और रस का निवास होता है, संचार प्रकिया में हम इसे ही जाग्रत करने का प्रयास करते हैं। हम स्पर्श भाषा से भी लोगों के बीच के संचार भाव को जाग्रत कर सकते हैं। इस तरह नाट्यशास्त्र अपने आप मे एक विश्वकोश है। डॉ. अधिकारी ने कहा कि सजीव और निर्जीव के बीच होने वाले संचार को विभिन्न विषयों में बात कर अध्ययन और अध्यापन करने की आवश्यकता है। इस विषय मे भरपूर शोध हेतु संभावनाएं भी है।
आज रचनात्मक लेखन पर तंजानियां से लाइव होंगी कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम :
‘हिन्दी पत्रकारिता सप्ताह’ के अंतर्गत 2 जून को शाम 4:00 बजे ‘रचनात्मक लेखन’ विषय पर तंजानियां से चर्चित कहानीकार सुश्री प्रियंका ओम चर्चा करेंगी। उनकी दो पुस्तकें ‘वो अजीब लड़की’ और ‘मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है’ युवाओं और साहित्य जगत में काफी चर्चित हुई हैं। यह व्याख्यान भी विवि के फेसबुक पेज लाइव रहेगा।