सम्पादकीय। एक ओर जहां देश में कोरोना की दवा को लेकर तमाम चर्चाएं चल रही हैं। वहीं इसी बीच बाबा रामदेव ने इसकी दवा कोरोनिल (coronil)को बनाने का दावा कर सभी को चौंका दिया है, लेकिन अब उनका यही दावा उन्हें लगातार मुश्किलों में डालता नजर आ रहा है। दरअसल पतंजलि (patanjali) की ओर से मंगलवार को दवा लॉन्च करने के बाद से ही बाबा रामदेव विवादों के घेरे में घिरते नजर आने लगे हैं।
जयपुर में परिवाद
जहां एक ओर दवा लॉन्च होने के बाद ही बाबा रामदेव की मुश्किल मंगलवार को ही बढ़ गई। वहीं इसी बीच जयपुर में भी उनके खिलाफ गांधी नगर थाने में परिवाद दर्ज की गई है। परिवाद जयपुर के डॉ. संजीव गुप्ता ने लगाई है। उनका कहना है कि बाबा रामदेव कोरोना की दवा बनाने का दावा करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
निम्स के ट्रायल पर भी उठे सवाल
जहां इस संबंध में बाबा रामदेव के खिलाफ परिवाद दर्ज की गई है। वहीं पतंजलि के साथ जयपुर की संस्था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (NIMS) पर भी सवाल उठने लगे हैं। निम्स और बाबा रामदेव की ओर से यह दावा किया गया था कि उन्होंने इस दवा का ट्रायल किया है, लेकिन आयुष मंत्रालय ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं। जानकारी के अनुसार मंत्रालय अब इस संस्था के भी ट्रायल की जांच करेगा और संस्था को ट्रायल से जुड़ा ब्यौरा पेश करना होगा।
रामदेव बुनियादी तौर पर फ्रॉड है। अपने इसी फ्रॉड की बदौलत आज वह हजारों करोड़ का व्यापार नियंत्रित करता है। बीस साल के भीतर कनखल के एक टुंटपुजिया साधु ने आज हजारों करोड़ का बिजनेस एम्पायर खड़ा कर लिया हहै। तो कुछ बात तो होगी ही।
रामदेव के फ्रॉड पर रिसर्च हो तो उसके ऊपर पूरी किताब लिखी जा सकती है लेकिन ये चार सौ बीस अपने फ्रॉड से बाज नहीं आता। ताजा मामला उसके कोरोना की दवा का है। जिस दिन से भारत में कोरोना संक्रमण शुरु हुआ है ये व्यापारी परेशान है कि कैसे आपदा में अवसर तलाशा जाए। मार्च के महीने से यह समाचार चैनलों पर कब्जा जमाये बैठा है। कभी गिलोय बेचता है। कभी कुछ और। जब इसने देखा कि ये सब माल नहीं बिक रहा तो तत्काल इसने कोरोना संक्रमण की दवा बनाने का प्लान शुरु कर दिया।
जयपुर की एक प्राइवेट युनिवर्सिटी के साथ मिलकर इसने दवा भी खोज ली, क्लिनिकल ट्रा़यल भी कर लिया और दवा बाजार में भी उतार दी। लेकिन सरकार को कानोकान खबर नहीं। न तो आइसीएमआर को पता है कि देश में रामदेव ने इतनी बड़ी कोरोना क्रांति कर दी है और न ही उस आयुष मंत्रालय को जिसके तहत आयुर्वेद विभाग आता है।
असल में रामदेव अपने इस फ्रॉड के जरिए सैकड़ों करोड़ रूपये बटोर लेगा। लोग ठीक हों या न हो, उसकी इसकी कोई जिम्मेवारी होगी नहीं। और इसने क्योंकि किसी सरकारी विभाग के साथ मिलकर न तो कोई ट्रायल किया है और न ही सरकार द्वारा अनुसंशित किसी संक्रमित को इलाज से ठीक किया है जिसको सरकार अपनी मंजूरी दे दे। इसलिए इसके दावे में कोई प्रामाणिक दम नहीं है। बस ये तो कोरोना संक्रमण की बहती गंगा में कुछ सौ करोड़ बटोर लेना चाहता है।
यह फ्रॉड न्यूज चैनलों को विज्ञापन के नाम पर इतना पैसा बांटता है कि कोई भी न्यूज चैनल सवाल उठायेगा नहीं। बल्कि यह तो उन्हीं न्यूज चैनलों का इस्तेमाल करके अपने झूठे और फ्रॉड दावे का प्रचार कर रहा है। सवाल उठायेगा तो कौन उठायेगा?
बहरहाल, आयुष मंत्रालय ने रामदेव के कोरोनिल के प्रचार पर रोक लगाकर आयुर्वेद के नाम पर होने जा रहे फर्जीवाड़े पर रोक लगा दिया है। पहले सरकारी स्तर पर पुष्टि हो, तभी इस दवा को आम जन तक पहुंचाया जाए।
फिर भी आगे आप की मर्ज़ी