बस्ती । अखिल भारतीय पंचायत परिषद के राष्ट्रीय महासचिव व समाजसेवी राना दिनेश प्रताप सिंह ने कहा है कि वह जनहित के लिए फांसी के फंदे पर भी चढ़ने को तैयार है यह तो पुलिस केवल मुकदमा ही लगाया है। दर्जनों बेगुनाह मरीजों की मौतों का जिम्मेदार शाशन प्रशासन अपनी कमियां छिपाने के लिए अब फर्जी हथकण्डे पर उतर आया है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता अगर आम जन से जुड़ी मेरी मांगे मानकर बस्ती के हृदय रोगियों को राहत पहुँचाने का काम किया गया होता।
विदित हो कि बीते दिनों पांडेय बाजार निवासी 05 वर्षीय माही को हार्ट की गम्भीर बीमारी के चलते जिला अस्पताल से लखनऊ पीजीआई रिफर कर दिया गया था। पीजीआई पहुँचने पर उसे मेडिकल कालेज भेज दिया गया परंतु वहाँ भी भर्ती नही किया गया। पूरी रात परिजन सरकारी एंबुलेंस में लखनऊ की सड़को पर भटकते रहे जहाँ मासूम बच्ची का निधन हो गया था। इसे चिकित्सकीय लापरवाही मानते हुए श्री राना आहत होकर शुक्रवार को गांधी प्रतिमा के समक्ष भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। काफी प्रशाशनिक मान मनउव्वल और जिलाधिकारी की पहल पर देर शाम अनशन तो खत्म हो गया परंतु मुकामी पुलिस द्वारा आंदोलनरत राना व समर्थकों पर आपराधिक मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया। एक वर्ष पहले भी शिक्षक नेता शांति भूषण त्रिपाठी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो जाने के बाद समाजसेवी श्री राना जिले में हृदय रोग विशेषज्ञ तैनाती को लेकर अपर निदेशक स्वास्थ्य कार्यालय ताला बन्दी कर अनशन पर बैठ गए थे।
श्री राना अपने व समर्थकों पर कोतवाली पुलिस द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने पुलिसिया कार्यवाही को फर्जी और मंनगढंत बताते हुए कहा है कि उनकी आवाज दबाने का मंसूबा कभी कामयाब नही हो सकेगा।उन्होंने कहा कि मैने कोई कानून नही तोड़ा है । अकेले भूख हड़ताल करने पर अन्य लोगों के ऊपर मुकदमा दर्ज करनाऔचित्यहीन है। श्री राना ने तल्ख लहजे मे कहा है कि जब तक बस्ती में हृदयरोग विभाग संचालित नही होगा वह चैन से बैठने वाले नही हैं। जरूरत पड़ी तो जल्दी ही जिला मुख्यालय पर बड़े आंदोलन की रूपरेखा तय कर आर पार की लडाई का आगाज किया जाएगा।