सिद्धार्थनगर, भारत नेपाल बार्डर पर सीमा निर्धारण के लिए लगाए गए पिलर गायब हो रहे हैं। नो मैंस लैंड पर बस्तियां बसने लगी हैं। रही सही कसर राप्ती पूरा कर रही है। अनेक पिलर राप्ती की धारा में समा चुके हैं। हालत यह है कि अब नो मैंस लैंड पर मानव बस्तियां बसने के कारण देश की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।
मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल श्रावस्ती में ही मुख्य व सब पिलर मिलाकर 24 खंभे क्षतिग्रस्त हैं। जबकि सात पिलर गायब हैं। इसमें से तीन मुख्य पिलर हैं।
इसके बाद भी भारतीय अधिकारी इस बाबत चुप्पी साधे हैं। श्रावस्ती जिले में नो मैंस लैंड पर स्थित पिलर संख्या 645, 644/2, 644/1, 644, 643/2, 643/1 व जमुनहा का 643 गायब हैं। इसी प्रकार पिलर संख्या 645/1, 637/17, 637/11, 636/17 व 633/6 क्षतिग्रस्त हैं।
मुख्य पिलर 629, सब पिलर 128/1, मुख्य पिलर 628, 627, 626, 625/1, 625, 624,623/1, 623, 622, 621 के साथ 620, 619, 618/2, 618, 917 व 616(65) पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त है। इसके चलते जहां मुख्य व सब पिलर गायब हैं वहां सीमा निर्धारण की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
दोनों तरफ के लोग इस क्षेत्र में अतिक्रमण किए हैं। एसएसबी के अधिकारियों ने लगभग तीन वर्ष पूर्व जिला प्रशासन के साथ गृह मंत्रालय को गायब पिलर के संबंध में रिपोर्ट भेजी थी। इसके बावजूद न तो गायब पिलर लगाए गए और न ही क्षतिग्रस्त पिलर की मरम्मत की गई।
बहराइच में सीमा स्तंभ चुराने की हो चुकी घटना
बहराइच में नो मैंस लैंड पर स्थिति पिलर संख्या 65 को कुछ वर्ष पूर्व एक नेपाली नागरिक खोद कर निकाल ले गया था। बाद में वह पिलर उसके घर से बरामद हुआ। उस समय तैनात एसएसबी के अधिकारियों ने नेपाल के अधिकारियों को सूचना दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह पिलर अभी तक अपने स्थान पर नहीं लग सका है।
सीमा क्षेत्र से पिलर गायब होने की जानकारी है। इसकी रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई थी। पिलर बदलने के लिए कुछ वर्ष पूर्व सर्वे भी हुआ था। अभी तक पिलर बदलने की अनुमति नहीं मिली है।