कोरोना की चिलचिलाती धूप में कई अधिकारी कोरोनोत्सव मना रहे हैं। इसी बीच एक सेवाभावी अस्पताल ने बसन्तोत्सव मना कर नया आगाज किया हैं।
महर्षि वशिष्ठ के सानिध्य में आयोजित वसन्तोत्सव में कोरोना माई को कड़ाही (कराही) चढाने वाले तो कराही चढ़ा रहे हैं। इसके लिए लकड़ी ,बर्तन, आटा, तेल आदि का इंतजाम करने वाले तो मगन हैं।
लेकिन उनसे ज्यादा प्रफुल्लित वह लोग हैं जिन्हें बिना कराही चढाये हलवा पूड़ी रूपी भोजन प्रसाद मुफ्त में प्राप्त हो रहा हैं। अलग अलग स्थानों पर कोरोना माई के लिए कराही चढ़ाने वाले तो कोरोना माई को मनाने में लगे हैं।
लेकिन प्रसाद बटोरने वाले बिना किसी मसक्कत के प्रसाद बटोर रहे हैं। सबको प्रसाद प्राप्त हो इसका ख्याल स्वयं वशिष्ठ मुनि प्रत्येक तम्बू तक विचरण कर देख रहे हैं। किन्तु प्रसादी गण तरह तरह के नखरे कर रहे हैं।
किसी का कहना हैं कि पूड़ी टेड़ी हैं तो कोई हलुआ में मीठा कम बता रहा हैं लेकिन दबा कर खाने से कोई परहेज नही कर रहा हैं।
कुछ निघरघट्ट टाइप के भक्त बसन्तोत्सव में इस तरह मगन हैं कि उन्हें याद भी नही हैं कि कोरोना माई कराही प्रसाद की हलुआ पूड़ी से नही जाएंगी बल्कि सेनेटाइजेशन , आइसोलेशन, क्वारन्टीन मन्त्र के गुंजायमान ध्वनि के बीच जाँच पड़ताल से जाएंगी।
वही वसन्तोत्सव में भीड़ बड़ रही हैं मेला अपने सबाब पर हैं दूर कही भक्तो का एक दल भजन भी कर रहा हैं।आवाज आ रही हैं....
ऐसी लागी लगन, सब हुए हैं मगन।
वो कोरोना कोरोना चिल्लाते रहे।
भक्त हलवा और पूड़ी चबाते रहे।
प्यार उनको न था पर दिखाते रहे।
भजन के स्वर लगातार उच्चता की ओर अग्रसर हैं और भक्त ताली पीटे जा रहे हैं। वही कई अस्पताल में प्रसाद में प्राप्त केले को खाकर फेके गये छिलके पर कई कोरोना पॉजिटिव के पैर पड़ चुके हैं।
लोगो को ऐसे वसन्तोत्सव से दूर रह कर कोरोना माई के प्रकोप से खुद कैसे बचा पाएंगे यह तो प्रसादी ही जाने ?
वैसे यह कोई पहला अस्पताल नही हैं जो कोरोना माई के काल से जनता को बचाने के उत्सव का आयोजन नही कर रहा हैं।
एक नारंगी भक्त अस्पताल में भी यह उत्सव चल रहा था तो उन्होंने एक मृत बच्चे पार्थिव देह को देने के लिए भी प्रसाद याचना कर डाली।
अस्पतालों की यह चौधराहट पहली बार नही हैं। जो इन उत्सवों की ही मुरीद हैं।ऐसे उत्सवों को महोत्सव में तब्दील करने के लिए कई कलम कमांडो सुरक्षा चक्र बना कर वैदिक मंत्रों के जाप से हलवा पूड़ी की गुणवत्ता सुधारने के साथ इस बात को लेकर आनन्दित हैं।
कि उन्हें तो प्रसाद प्राप्त हो ही जायेगा। कराही कोई भी चढाये खैर इस बसन्तोत्सव में हो रहे भजन कीर्तन से कोरोना माई मगन हैं। सुर,असुर,नाग,किन्नर,
गंधर्व,सब प्रसाद ग्रहण कर भजन ,प्रसाद का आनन्द ले रहे हैं।
प्रसाद के लिए चूल्हा जलाने वाले तो नए उत्सव की कराही चढाने के लकड़िया बटोरने फिर व्यस्त हो गए हैं। लेकिन हर दिल अजीज भक्तो को अपार आनन्द की अनुभूति हो रही हैं।
--जितेन्द्र कौशल सिंह