बस्तीः बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वाले लोग न केवल अपने जीवन से खिलवाड़ करते हैं बल्कि घर-परिवार की जमा पूँजी को भी इलाज पर फूंक देते हैं। इस पर काबू पाने के लिए सरकार और स्वास्थ्य महकमे के साथ ही विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी लोगों को जागरूक कर रही हैं। इस बार कोरोना के संक्रमण को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन संभव नहीं है, इसलिए सोशल मीडिया, फेसबुक लाइव, रेडियो, वीडियो प्रसारण व विज्ञापनों के जरिये धूम्रपान के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस बार कार्यक्रम की थीम युवाओं पर आधारित है “प्रोटेक्टिंग यूथ फ्रॉम इंडस्ट्री मैनिपुलेशन एंड प्रिवेंटिंग देम फ्रॉम टोबैको एंड निकोटिन यूज”।
जिला अस्पताल में तैनात डा. पीके चौधरी का कहना है कि बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों के सेवन से होने वाली मौतों को कम करने के लिये सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा हरसंभव प्रयास किये जा रहे है। इसके अलावा इन्हीं विस्फोटक स्थितियों को देखते हुए सार्वजनिक स्थलों और स्कूलों के आस-पास बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के लिए केंद्र सरकार सन 2003 में सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) ले आई है, जिस पर सख्ती से अमल की जरूरत है, तभी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। डॉ. पीके चौधरी का कहना है कि युवा शुरू-शुरू में महज दिखावे के चक्कर में सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की गिरफ्त में आता है जो कि उसे इस कदर जकड़ लेती है कि उससे छुटकारा पाना बड़ा कठिन हो जाता है।
आयुष चिकित्साधिकारी डा. वीके वर्मा कहते हैं तम्बाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारी अपने चपेट में ले लेती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं। इसके अलावा इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है, जिससे संक्रामक बीमारियों की चपेट में भी आने की पूरी सम्भावना रहती है। यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान नहीं करते हैं।
धूम्रपान से आती है नपुंसकताः डॉ. वीके वर्मा का यह भी कहना है कि धूम्रपान के चक्कर में पड़कर युवा नपुंसकता का शिकार हो रहा है। धूम्रपान शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल की थीम भी युवाओं पर केन्द्रित है ताकि उनको इस बुराई से बचाया जा सके।
क्या कहते हैं आंकड़े
वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण-2 (गैट्स-2) 2016-17 से यह साफ़ संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश में तम्बाकू का सेवन करने वालों का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है। आज से दस साल पहले यानि 2009-10 में प्रदेश में करीब 33.9 फीसद लोग गुटखा व अन्य रूप से तम्बाकू का सेवन कर रहे थे जो कि 2016-17 में बढ़कर 35.5 फीसद पर पहुँच गया है। तम्बाकू उत्पादों का सेवन करने वालों की तादाद 2009-10 में 25.3 प्रतिशत थी , वह 2016-17 में बढ़कर 29.4 प्रतिशत पर पहुँच गयी है ।
क्या कहता है अधिनियम
सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा)-2003 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए लाया गया। इसके तहत पांच प्रमुख धाराएँ हैं जो कि इस पर अंकुश लगाने के लिहाज से प्रमुख हैं। धारा-4ः इसके तहत सार्वजनिक स्थलों जैसे-बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, रेलवे प्रतीक्षालय, न्यायालय परिसर, शैक्षणिक संस्थान, कैंटीन, कैफे, क्लब, होटल, रेस्टोरेंट आदि पर धूम्रपान पर पूरी तरह से रोक है। इस रोक का उल्लंघन करने पर 200 रूपये जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है, जिसके लिए सब इन्स्पेक्टर स्तर का अधिकारी अधिकृत है।
धारा-5 :
इसके तहत सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से विज्ञापन, प्रोत्साहित करने और प्रेरित करने पर रोक का प्रावधान किया गया है। इसका उल्लंघन करने पर एक हजार रूपये का जुर्माना या दो साल की सश्रम कैद या दोनों का दण्ड मिल सकता है।
धारा-6 ए
इसके तहत सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों को 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा बेचे जाने पर पूरी तरह रोक का प्रावधान किया गया है।
धारा-6 बी
शैक्षणिक संस्थाओं से 100 गज की दूरी में सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगायी गयी है, इस दायरे में कोई भी इस तरह के उत्पाद नहीं बेच सकता। इसका उल्लंघन करने पर 200 रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
धारा-7
इसके तहत सिगरेट-गुटखा व अन्य तम्बाकू उत्पादों के रैपर पर 85 फीसद हिस्से में इसके सेवन से होने वाली बीमारी की चित्रित चेतावनी और भय पैदा करने वाली तस्वीर लगाना अनिवार्य किया गया है।