बस्ती।हमारा देश सदियों से गुलाम था,इतिहास से यह ज्ञात होता है कि बाहरी आक्रांता आते गए,और हमारे भलमानस पन और मानवीय भूल पर बिना तरस खाये हम पर राज करते रहे। धीरे धीरे सबका सूरज अस्त हुआ, फिर आये लुटरे अंग्रेज,हमारे राजाओं से व्यापार करने की भीख मांगने।
अब वो व्यापार के साथ साजिश भी करने लगा।उसका ध्यान ना केवल हमे लूटना था,बल्कि हमारा ही खाकर हमारे ही छाती पर चढ़ कर राज करना था।हम देशवाशियो जिसमे हिन्दू मुसलमान,सिख,पारसी,जैन औऱ बौद्ध थे,उनका गला उसे घोटना था।
साम दाम भय भेद अब उसने सब अपना लिया था। देश मे अभी भी कुछ ऐसे राजा था,जो अपने मातृभूमि के लिए जिंदा बाद थे,कुछ ऐसे धर्म गुरु थे,जो भारत माता की जय बोलते थे,कुछ ऐसे युवा थे जिनके लिये भारत माँ ही सब कुछ थी,ये अलग बात था कि,कुछ दोगले भी थे,जो आज भी है।
1757 से 1856 ई0 तक देशभक्तों ने भारत माँ को आजाद कराने के लिए समय समय पर संघर्ष किया।
1857 में सामूहिक रणनीति क्रांति नायकों द्वारा बनी, और अग्रेजो से निर्णायक संघर्ष की सुरुवात हुई।
अपना बस्ती जिला भला इसमें कैसे पीछे रहता,क्रांतिकारी जफर अली के नेतृत्व में सरयू, मनवर के द्वाबा में 6 अंग्रेजो को मार दिया गया।उस समय 6 अंग्रेजो कि हत्या मतलब बहुत बड़ी बात थी।
तत्कालीन जनरल पेपे के आदेश पर अंग्रेजी सिपाहियो द्वारा सुराग लगा कर यह जानकारी एकत्र किया गया,की इस क्रांति में महुवाडाबर गाँव के लोगो का प्रमुख हाथ है।
फिर क्या था लगभग 5000 की आबादी का गाँव अग्रेजो द्वारा जला दिया गया,जो लोग नमाज पढ़ रहे थे उन्हें उसी महुवाडाबर की मस्जिद में जिंदा जला दिया गया। पूरा गांव गैर चिरागी घोषित हो गया।
जनरल पेपे के इस काले कारनामें को गोरो आतातियो ने बहुत बड़ा काम समझा,और उसे इनाम दिया।
महुवा डाबर आज भी इतिहास के पन्नो पर अपना स्वरिम भविष्य ढूढ रहा है।
इसी तरीके से इन्होंने इलाहाबाद में गाँव के गाँव जला डाले,26 नवम्बर को पंजाब में ब्लैक हाल कांड हुआ।
सबसे बड़ी बात थी कि अंग्रेज इस तरीके का जघण्यय हत्या कांड करते थे और कंपनी सरकार द्वारा उन्हें इस पर इनाम और इकराम दोनों मिलता था,जिससे वो नित्य नए पाप करने के उत्सुक रहते थे।
कुछ ऐसा ही इन पापियो ने 13 अप्रेल 1919 को भी करने का प्लान किया था,जनरल डायर ने जलियावाला बाग में भजन कीर्तन और सभा कर रहे लोगो पर कई राउंड गोली ही नही चलवाई बरन लोगो पर घोड़े भी दौड़ाए। लोग पानी पानी चिल्लाते रहे,मगर उन्हें पानी नही मौत मिला।
बिभिन्न किताबो के अध्ययन में मरने वालों की संख्या के आंकड़े अलग अलग है।
फायरिंग का आदेश देने वाला तत्कालीन गवर्नर ओ डायर का भी नागरिक सम्मान उसके रिटायर होने के बाद इंग्लैंड में 13 मार्च 1940 को होने वाला होता है। तभी भारत माँ का बेटा सरदार उधम सिंह इस नर पिशाच को गोली मार कर गिरा देता है।आइये आज के दिनहम सभी भारतीय अपने देश के प्रति अपने पूर्वजों के बलिदान को याद करे।
विशाल पांडेय।