भारत के बारे में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ज्यादा संख्या में लोगों के टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं इसलिए देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की वास्तविक संख्या नहीं पता चल पा रही है। राज्य सरकारों का भी यही कहना है कि उनके पास पर्याप्त जांच किट नहीं हैं।
संपादकीय । भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 5000 के आसपास पहुँच गये हैं। एक ओर दुनिया में इस अदृश्य वायरस के कारण हाहाकार मचा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर भारत में यह वायरस अपने पैर ज्यादा फैलाने में सफल नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि केंद्र और राज्यों की सरकारों द्वारा अपनाये गये एहतियाती उपायों के चलते कोरोना वायरस भारत में नियंत्रण में है लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष यह है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या में कोरोना जाँच किट नहीं हैं इसीलिए कोरोना संक्रमितों की संख्या कम दिखाई दे रही है। अब यह बात सही है या गलत इस पर नहीं जाते हुए एक हकीकत तो साफ दिखती है कि हम बाहर से मंगायी गयी कोरोना टेस्ट किटों पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं। इसके अलावा महामारी की स्थिति में भी हमारे यहाँ कुछ नियामकीय बाधाएँ बनी हुई हैं जैसे कि देशी टेस्ट किटों को मंजूरी देने में अब भी लंबा समय क्यों लग रहा है।
फिलहाल अगर बात करें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तो यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई और तेज करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत कोरोना की हर दिन परीक्षण क्षमता को एक लाख तक बढ़ाने के साथ कई अन्य चिकित्सकीय उपायों पर विचार किया जा रहा है। आईसीएमआर ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए कोविड-19 की जांच के लिए 200 से ज्यादा सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं, शोध संस्थानों और मेडिकल कॉलेज को अनुमति दी है। यह परीक्षण पीसीआर मशीनों के जरिए किया जाएगा। आईसीएमआर मौजूदा प्रयोगशालाओं में 24 घंटे इम्प्लीमेंटेशन का मॉडल, डॉक्युमेंटेशन समेत अन्य कामों के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार से बातचीत करने के अलावा कोविड-19 जांच में सुविधा के लिए पीसीआर मशीनों का प्रयोग और लैब में औपचारिकताएं कम करने जैसे उपायों पर भी काम कर रही है। अभी तक देखा जाये तो आईसीएमआर लगभग 1 लाख नमूनों की जांच कर चुका है।
भारत के बारे में कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ज्यादा संख्या में लोगों के टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं इसलिए देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की वास्तविक संख्या नहीं पता चल पा रही है। राज्य सरकारों का भी यही कहना है कि उनके पास पर्याप्त जांच किट नहीं हैं, उधर केंद्र सरकार बार-बार कह रही है कि राज्यों की मांग पूरी की जा रही है। अब एकदम से इतनी बड़ी संख्या में जाँच किटों की, मास्क की, सेनेटाइजर की, ग्लब्स की और वेंटिलेटरों की जरूरत पड़ जायेगी इसका अंदेशा किसे था लेकिन यह भारत है जो हजारों सालों से दुनिया को राह दिखाता रहा है, यह वो भारत है जहां का हर व्यक्ति दुनिया में सबसे तेज दिमाग और अपने सपनों को पूरा करने की प्रतिबद्धता रखता है। यही कारण है कि देश में जब चिकित्सा उपकरणों की कमी पड़ी तो हमारी देशी कंपनियां और खासतौर पर बड़ी संख्या में स्टार्टअप सामने आ गये और कम कीमत वाले बेहतरीन चिकित्सा उपकरण पेश किये। आइए डालते हैं इन कुछ उपकरणों पर एक नजर।
सबसे पहले बात करते हैं बैंगलुरु की कंपनी बायोन की। इस कंपनी ने भारत का पहला कोविड-19 होम टेस्ट किट पेश किया है जिसकी मदद से आप घर बैठे कोरोना का टेस्ट कर सकते हैं। इस किट के जरिये मिनटों के अंदर परिणाम सामने आ जाता है और यह ब्लड शुगर टेस्ट करने जैसा ही आसान टेस्ट है। इस टेस्ट किट को नियामकीय मंजूरी हासिल हो गयी है। इस किट को आप कंपनी की वेबसाइट पर जाकर खरीद सकते हैं और इसकी कीमत दो से तीन हजार रुपए के बीच रखी गयी है।
कोरोना जांच किट बाजार में लाने वाली दूसरी कंपनी बनी है Kilpest India। यह भारत की अग्रणी एग्री बायोटेक कंपनी है। इस कंपनी की जांच किट द्वारा किया जाने वाला पीसीआर टेस्ट एक कन्फर्म टेस्ट होता है जिसके बाद कोरोना की जांच की पुष्टि के लिए किसी और टेस्ट की जरूरत नहीं होती है। कंपनी को इस बात की खुशी है कि उनकी इस जांच किट को आईसीएमआर ने मात्र 24 घंटे में ही मंजूरी प्रदान कर दी थी। इसके अलावा भी कई स्टार्टअप कंपनियां रैपिड टेस्ट किट बनाने की तैयारियों में लगी हुई हैं।
इसके अलावा वेंटिलेटरों की कमी को पूरा करने के लिए वैसे तो मोदी सरकार पहले ही बड़ी संख्या में इसकी खरीद के ऑर्डर दे चुकी है लेकिन देशी स्तर पर भी काफी प्रयास शुरू हो गये हैं। आपको मिलवाते हैं चंडीगढ़ के PGIMER में प्रोफेसर डॉ. राजीव चौहान से। जिन्होंने वेंटिलेटर तो नहीं लेकिन उसके अभाव में ठीक वेंटिलेटर की तरह काम करने वाला एक डिवाइस अपनी टीम के साथ मिलकर बनाया है। आइये जानते हैं इसकी खासियत।
यही नहीं उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक स्टार्टअप फर्म Agva Healthcare भी सस्ता वेंटिलेटर लेकर आई है जोकि महंगे वेंटिलेटर की तरह ही काम करता है। कंपनी के संस्थापक दिवाकर वैश का कहना है कि इस समय वेंटिलेटरों की मांग इतनी बढ़ गयी है कि वह हर महीने 12000 यूनिट का निर्माण कर रहे हैं।
इसके अलावा गुजरात जोकि उद्योगपतियों और व्यवसायियों का राज्य है, यहाँ सदैव ऐसे लोग मिल जाते हैं जोकि किसी वस्तु की कमी के समय उसका विकल्प तैयार करने में देरी नहीं लगाते। राजकोट की एक कंपनी ने जब सस्ता वेंटिलेटर बनाया और वह सही से काम करने लगा तो इस कामयाबी की जानकारी मीडिया को खुद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दी।
जैसे-जैसे देश में कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्रभावित क्षेत्रों को सैनेटाइज भी किया जा रहा है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थलों और अस्पतालों आदि को भी दिन में कई बार सैनेटाइज करने की जरूरत पड़ती है। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पुणे में एक स्टार्टअप फर्म यूवी आधारित सैनेटाइजेशन सिस्टम लेकर आई है जोकि 15 मिनट में सारे बैक्टेरिया को मारने का दावा करता है।
अब इंडिया में जुगाड़ की कमी नहीं है। हमारे यहाँ खूब पढ़ लिख कर लोग बड़े से बड़े वैज्ञानिक बने हैं लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जोकि 5वीं पास भी नहीं हैं लेकिन दिमाग इतना है कि इंजीनियर भी इनके आगे नहीं टिकते। अब मंदसौर के नाहरू खान को ही देखिये। 62 वर्षीय खान ने यूट्यूब पर एक वीडियो देखकर खुद ही ऑटोमैटिक सेनेटाइजेशन मशीन बनाकर जिला अस्पताल को दी और अब यह खूब काम आ रही है।
बहरहाल, यह राहत की बात है कि आईसीएमआर को 7 लाख रैपिड एंटी बॉडी टेस्टिंग किट मिलने जा रही हैं। इससे उन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने में मदद मिलेगी, जहां ज्यादा कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि आईसीएमआर को चरणबद्ध तरीके से किट की डिलीवरी मिलेगी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से चूंकि हर देश जूझ रहा है इसलिए दुनिया के स्तर पर मास्क, ग्लव्स और अन्य जीवनरक्षक उपकरणों की कमी हो गयी है और एक देश दूसरे देश की बहुत सोच समझ कर मदद कर रहा है कि पता नहीं कब उसे उक्त वस्तुओं की ज्यादा जरूरत पड़ जाये। ऐसे में हमारे यह देशी जुगाड़ और स्वदेशी कंपनियां खूब काम आ रही हैं।