(WHO) के अनुसार पूरी दुनिया में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 10 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है, वहीं 53 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। ऐसे में खांसने, छींकने से फैलने वाली इस बीमारी से मरने वालों का अंतिम संस्कार भी बहुत सावधानी से हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार को लेकर दिशा-निर्देश तय किये गए हैं। गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना वायरस के चलते मरीज की मौत होने के बाद उसका अंतिम संस्कार आसपास ही करना होगा। आइए जानते हैं कि बाकी देशों में कोरोना से मरने वाले संक्रमित शवों को कैसे निस्तारण किया जाता है। ऐसे में World Health Organization (WHO) का कहना है कि शव को ठीक तरह से दफनाया या जलाया जाना चाहिए। चीन में तुरंत जलाने का आदेश इसे देखते हुए चीन सरकार ने कोरोना संक्रमित मृतकों के शवों को दफनाने की बजाए जलाने के दिशा-निर्देश दिए। अस्पतालों को जारी नोटिस में National Health Commission ने कहा कि मृतकों को जितना जल्दी हो सके, जलाना होगा। परिवार इसकी इजाजत न दे तो भी अस्पताल खुद ये काम करें। मृत शरीर को अस्पताल से हटाते हुए कई औपचारिकाएं पूरी करनी होती है। अगर इन औपचारिकताओं को पूरा करने या कहीं भी हस्ताक्षर करने से परिवार के सदस्य आनाकानी करें, तो अस्पताल को ये अधिकार है कि वो खुद मृतक का अंतिम संस्कार कर दे। इस कदम के पीछे का उद्देश्य ये था कि जलाना, दफनाने से कम समय लेने वाली प्रक्रिया है। और चीन में कोरोना का संक्रमण और उससे होने वाली मौतें जितनी तेजी से बढ़ीं, उन हालातों में दफनाने की प्रक्रिया अपनाना व्यवहारिक रूप से मुमकिन नहीं थी। हालांकि चीनी सरकार के इस सख्त रवैये पर आम लोगों का गुस्सा भी सोशल मीडिया पर दिखा। वैसे कोरोना वायरस के शुरुआती मामलों में चीन सरकार ने अंतयेष्टि पर कोई खास पाबंदी नहीं लगाई थी, सिवाय इसके कि अंतिम क्रिया जल्दी होनी चाहिए और ज्यादा लोग न जुटें लेकिन मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ सरकार को सख्ती लगानी पड़ी। इटली में शवदाहगृह कर रहे चौबीसों घंटे काम चीन के बाद Covid-19 के मामले इटली में सबसे ज्यादा देखने को मिले। यहां मरीजों के इलाज और संक्रमण रोकने के अलावा एक चुनौती ये भी है कि मृतकों का अंतिम संस्कार कैसे हो? इटली में ऐसे भी मामले आए हैं, जहां दाह-संस्कार स्थल ने भी अपने यहां मृतक को जलाने से इनकार कर दिया था। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार इस शहर के शवदाहगृह चौबीसों घंटे काम कर रहे है। यहां तक कि शवों को जलाने के लिए वेटिंग लिस्ट तैयार हो चुकी है। अस्पतालों के मुर्दाघरों में मृतकों के शव बॉडी बैग में अपनी बारी का इंतजार में थे। बता दें कि 8 मार्च से इटली में सख्त लॉकडाउन हो चुका है। ऐसे में मृतक की अंतिम क्रिया के दौरान भी 10 से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। भारत में ये है व्यवस्था पिछले दिनों दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके दाह संस्कार को लेकर काफी विवाद हुआ था। इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक गाइडलाइन तैयार की। गाइडलाइन के अनुसार अगर Covid-19 संक्रमण से किसी की मौत होती है तो उसके परिवारवाले और मित्र मृतक के अंतिम दर्शन तो कर सकते हैं लेकिन किसी भी तरह से उसके पास नहीं जा सकते। यानी मृत शरीर को छूना, चूमना या गले लगाना एकदम मना है। इसके अलावा कई रीति-रिवाजों का भी पालन नहीं किया जा सकता। मसलन कई धर्मों में मृतक को नहला-धुलाकर उसके शरीर पर सुगंधित लेप किया जाता है, सजाया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं। इसकी सख्त मनाही है। यहां तक कि किसी भी जांच के लिए शव की ऑटोप्सी यानी चीरफाड़ भी नहीं की जा सकेगी क्योंकि इस दौरान चीरफाड़ करने वालों के वायरस की चपेट में आने का खतरा होता है। लेकिन ऑटोप्सी अगर एकदम ही जरूरी हो तो स्वास्थ्य कर्मचारी इंफेक्शन रोकने के सारे उपाय अपनाते हुए ही ऑटोप्सी करेंगे। गाइडलाइन में यह भी साफ है कि अंतिम संस्कार के दौरान बड़ी संख्या में लोग जमा नहीं हो सकते है। ज्यादा लोगों के जमा होने पर सोशल डिस्टेंसिंग का नियम टूट सकता है और हो सकता है कि आने वाले लोग भी किसी तरह से संक्रमित हो जाएं। भारत में हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कि कोरोना के मृतक के अंतिम दर्शन के लिए बॉडी बैग को केवल एक ही बार खोला जा सकता है और ये काम भी सिर्फ मेडिकल स्टाफ ही कर सकता है, न कि परिवार के लोग। इस दौरान धार्मिक रिवाज जैसे कोई धार्मिक ग्रंथ पढ़ना या फिर शरीर पर गंगाजल छिड़कना जैसे नियमों की इजाजत है क्योंकि इनमें शरीर को छूने की जरूरत नहीं पड़ती है। क्या शव से भी फैल सकता है ये वायरस कोरोना वायरस के संक्रमण से किसी की मृत्यु होने के बाद उसके शरीर में मौजूद वायरस किसी अन्य को संक्रमित न कर दें। उसके शव का प्रबंधन कैसे किया जाए और क्या सावधानियाँ बरती जाएं, इस बारे में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ बातों का ध्यान रखने के लिए कहा है जैसे- शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग करें. पीपीई एक तरह का 'मेडिकल सूट' है जिसमें मेडिकल स्टाफ़ को बड़ा चश्मा, एन95 मास्क, दस्ताने और ऐसा एप्रन पहनने का परामर्श दिया जाता है जिसके भीतर पानी ना जा सके। मरीज़ के शरीर में लगीं सभी ट्यूब बड़ी सावधानी से हटाई जाएं. शव के किसी हिस्से में घाव हो या ख़ून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढका जाए। शव को प्लास्टिक के लीक-प्रूफ़ बैग में रखा जाए। उस बैग को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित बनाया जाए। इसके बाद ही शव को परिवार द्वारा दी गई सफेद चादर में लपेटा जाए। इन बातों का रखें ख्याल भारत सरकार के अनुसार COVID-19 से संक्रमित शव को ऐसे चेंबर में रखा जाए जिसका तापमान क़रीब चार डिग्री सेल्सियस हो। शवगृह को साफ़ रखा जाए और फ़र्श पर तरल पदार्थ ना हो। COVID-19 से संक्रमित शव की एम्बामिंग पर रोक है। यानी मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए उस पर कोई लेप नहीं लगाया जा सकता। कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति की ऑटोप्सी यानी शव-परीक्षा भी बहुत ज़रूरी होने पर ही की जाए। शवगृह से COVID-19 शव निकाले जाने के बाद सभी दरवाज़े, फ़र्श और ट्रॉली सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ़ किए जाएं। सबसे जरुरी मेडिकल स्टाफ़ को यह दिशा-निर्देश मिले हैं वे मृतक के परिवार को भी ज़रूरी जानकारियां दें और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काम करें।