अयोध्या । उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में बुधवार सुबह रामलला की मूर्ति एक अस्थायी स्थान पर स्थानांतरित कर दी गयी। विपक्ष ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू नियमों के उल्लंघन पर मुख्यमंत्री की आलोचना की है। मूर्ति को स्थानांतरित करने से राम मंदिर के निर्माण के लिए स्थान खाली हो गया है। रामलला की मूर्ति नए ढांचे में 9.5 किलोग्राम के चांदी के सिंहासन पर रखी गयी। राम मंदिर के निर्माण तक यह मूर्ति यहीं रहेगी। मूर्ति को स्थानांतरित करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान सोमवार को ही शुरू हो गया था। बुधवार तड़के तक यह अनुष्ठान चला।
इस दौरान आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के कुछ नेता भी मौजूद थे। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन के चलते स्थानीय प्रशासन ने लोगों को इस अवसर पर इकट्ठा होने की अनुमति प्रदान नहीं की। मूर्ति को रखे जाने के बाद मुख्यमंत्री ने राम मंदिर के ट्रस्ट सचिव चंपत राय की मौजूदगी में विशेष पूजा अर्चना की। आदित्यनाथ ने निजी हैसियत से राम मंदिर के निर्माण के लिए 11 लाख रुपये दान भी दिये। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि आयोजन में हिस्सा लेकर उन्होंने अच्छा उदाहरण पेश नहीं किया। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा, ‘‘योगी लोगों को मंदिर और मस्जिद नहीं जाने के लिए कह रहे हैं और कोरोना वायरस के मद्देनजर यह बिल्कुल सही भी है। लेकिन मुख्यमंत्री खुद अपने बयान के उलट काम कर रहे हैं। ’’
उत्तरप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आदित्यनाथ ने खुद कहा है कि लोगों को मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा नहीं जाना चाहिए और अपने घरों पर ही रहना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘लेकिन मुख्यमंत्री खुद अपने बयान के उलट जा रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि आदित्यानाथ घर पर ही पूजा कर उदाहरण कायम करते। आम आदमी पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सभजीत सिंह ने कहा कि जिम्मेदार लोग जो अपील कर रहे हैं, खुद उसका पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोजन में अगर सभी सावधानियां बरती गयीं होंगी तो भी वहां कुछ लोग तो रहे ही होंगे। सिंह ने कहा, ‘‘ मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान वहां बड़ी संख्या में अधिकारी भी मौजूद रहे होंगे। बेहतर होता यदि योगी इस कार्यक्रम को स्थगित कर देते