राजनीति में प्रवेश करने वाले किसी भी नेता को कभी भी खासकर सत्ता के मद में चूर होकर नियम−कायदों को धता बताने की हिमाकत नहीं करना चाहिए, वर्ना उसका हश्र वैसे ही होता है जैसा आजम खान परिवार का हुआ है। माना जा रहा है कि यह तो अभी बस एक शुरुआत है।
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की कारगुजारी जानने−समझते के बाद भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव, खान परिवार के जेल जाने से काफी बेचैन नजर आ रहे हैं। जिस कारगुजारी के चलते खान परिवार को सलाखों के पीछे जाना पड़ा है उसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का योगी सरकार पर लांछन लगाना सियासत से अधिक कुछ नहीं है। मगर अखिलेश हैं कि सियासत का चश्मा उतार कर हकीकत समझने को ही तैयार नहीं हैं। सत्ता के रसूख में बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आजम ने जो कृत्य किया था, उसकी भनक तब के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव को नहीं लगी होगी, ऐसा हो नहीं सकता है। आजम द्वारा बेटे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तो उनके तमाम भ्रष्टचार की बानगी भर है। जल निगम में भर्ती घोटाले, 2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा और रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय के लिए अनाप−शनाप और लोगों को धमका कर उनकी जमीन विवि के लिए जुटाने के चलते भी आजम का दामन दागदार है।
सच्चाई यह है कि सत्ता में रहते अखिलेश यादव अपने इस बड़बोले मंत्री के बारे में किसी से कुछ सुनते ही नहीं थे। क्योंकि उन्हें लगता था कि आजम खान सपा को मुस्लिम वोट दिलाने वाली 'मशीन' हैं। आजम और उनकी पत्नी−बेटे के जेल जाने के पीछे आम जनता को भले सभी तमाम कानूनी पहलू नजर आ रहे हों, परंतु अखिलेश तो इसमें भी सियासत तलाश रहे हैं। वैसे कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि आजम के जेल जाने से अखिलेश बिना वजह परेशान नहीं हैं। दरअसल वह जानते हैं कि अगर आजम ने अपना मुंह खोल दिया तो पूर्व मुख्यमंत्री भी दिक्कत में पड़ सकते हैं। शायद इसी डर के चलते अखिलेश को सीतापुर जेल जाकर आजम से मिलना पड़ गया होगा। हो सकता है कि अखिलेश कांटे से कांटा निकालने की तर्ज पर आजम मामले में योगी सरकार पर ज्यादा से ज्यादा हमलावर होकर अपना दामन पाक साफ दिखाना चाहते हों, इसीलिए आजम से मिलने के लिए अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि जब से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है, तब से ही आजम खान के खिलाफ राजनीतिक साजिश हो रही थी। एक राजनीतिक साजिश के तहत बीजेपी आजम खान को निशाना बना रही है। अखिलेश ने कहा कि आजम साहब की पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है और बेटे के सिर में भी चोट लगी है। मैं उम्मीद करता हूं कि जेल प्रशासन उन्हें जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएगा।
अखिलेश ने आजम परिवार के जेल जाने को योगी सरकार की बदले की राजनीति बताया तो बीजेपी ने उनसे ही सवाल पूछने शुरू कर दिए। बदले की राजनीति वाले अखिलेश यादव के बयान पर केंद्रीय कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मोदी−योगी के युग में कानून का राज चल रहा है। अखिलेश यादव बताएं कि आजम खान से किसने कहा था जन्मतिथि से संबंधित दो प्रमाण पत्र बनवाने को। भाजपा बदले की भावना से काम नहीं कर रही। यह फर्जी सर्टिफिकेट और अदालत का मामला है। अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के एक कार्यक्रम में भाग लेने वाराणसी पहुंचे डॉ. पांडेय ने लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आजम खान से जुड़े मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा का नेता भी एक नागरिक है। कोई भी शिकायत कर सकता है, अगर शिकायत का संज्ञान अदालत ने लिया है। अदालत ने आजम खान को नोटिस दिया लेकिन उसका सम्मान नहीं किया गया। कानून को महत्व नहीं दिया गया तो उस पर अदालत के कदम उठे हैं। इसके बीच में न कहीं भाजपा है और न कहीं से सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। गौरतलब है कि रामपुर के भाजपा नेता और 2017 में विधान सभा चुनाव लड़ने वाले आकाश सक्सेना ने आजम के बेटे अब्दुल्ला का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पैन कार्ड बनाने और चुनाव लड़ने की शिकायत की थी। अब्दुल्ला फर्जी जन्मतिथि के आधार पर चुनाव जीते थे, जबकि उनकी उम्र चुनाव लड़ने के लिए कम थी। इसी फर्जीवाड़े के चलते अब्दुल्ला की विधायकी भी खत्म कर दी गई है।
बहरहाल, आजम जैसे बड़े नेता का शिखर से शून्य तक जाने का हश्र प्रत्येक पार्टी के छोटे−बड़े नेता−कार्यकर्ता के लिए एक सबक हैं। ज्ञातव्य हो कि समाजवादी सरकार के समय में आजम की आक्रामकता और कार्यशैली ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। जब मुलायम मुख्यमंत्री थे तब और उसके बाद अखिलेश के सीएम बनने पर भी आजम के रूतबे में कभी कोई कमी नहीं आई। यह जगजाहिर है। सत्ता में रहते आजम ने जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना और तमाम अन्य मामलों में हर नियम−नैतिकता को ताख पर रखकर मनमाने फैसले लिए थे। जब तक समाजवादी पार्टी का शासन रहा, वह मर्जी के मुताबिक कार्य करते रहे, पर सत्ता बदलते ही उनके लिए समय भी बदल गया। उनसे पीड़ित लोग सहायता की गुहार लेकर शासन−प्रशासन के पास पहुंचने लगे और उन पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। अभी वह अपने बेटे का गलत जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के प्रकरण में पत्नी−बेटे के साथ जेल गए हैं। आजम के रसूख को ध्यान में रखते हुए उन्हें परिवार सहित रामपुर से सीतापुर जेल भेज दिया गया है।
जानकार कहते हैं अभी तो शुरूआत है। आगे भी उन्हें उन सारे मामलों में कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा जो रामपुर के किसानों और प्रशासन ने दर्ज करवा रखे हैं। लब्बोलुआब यह है कि राजनीति में प्रवेश करने वाले किसी भी नेता को कभी भी खासकर सत्ता के मद में चूर होकर नियम−कायदों को धता बताने की हिमाकत नहीं करना चाहिए, वर्ना उसका हश्र वैसे ही होता है जैसा आजम खान परिवार का हुआ है। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में लोक की इच्छा नजरअंदाज करके सत्ता को निजी शक्ति मानकर लाभ के लिए इस्तेमाल करना घोर अनैतिक होता है। आजम खां से शायद यही चूक हुई कि वह सत्ता को व्यक्तिगत स्थायी शक्ति मान बैठे। उनके जैसे वरिष्ठ नेता से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह कानून के समक्ष गलतियां स्वीकार करेंगे और न्यायालय जो भी सजा सुनाए, उसे भोगकर प्रायश्चित करेंगे। इसके साथ ही अखिलेश को भी समझना होगा कि आजम के मामले में उतनी सियासत नहीं हो रही है जितना वह योगी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। बस फर्क इतना है कि अखिलेश ने सत्ता में रहते आजम के खिलाफ खड़े लोगों को मुंह नहीं खोलने दिया तो योगी सरकार ने ऐसे लोगों को सच सामने लाने की पूरी छूठ प्रदान की।