इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इस सप्ताह का भारत दौरा काफी सार्थक रहा क्योंकि इस दौरान जिन रक्षा सौदों पर सहमति बनी और जिन व्यापारिक मुद्दों पर बात आगे बढ़ी वह दोनों देशों के प्रगाढ़ होते संबंधों को दर्शाते हैं।
लेख । दंगे तो अब थम गये हैं लेकिन कई जख्म छोड़ गये हैं जिन्हें भरने में बरसों लग जाएंगे। दंगे कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर गये हैं और राजनेताओं का आचरण भी सवालों के घेरे में है। दंगों पर किस तरह राजनीति होती है यह भी दिल्ली ने एक बार फिर देखा।
इस सप्ताह दिल्ली सिर्फ देशी ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियों में रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने राजधानी दिल्ली को जलाने की कोशिश की। दंगाइयों ने मानवता को तार-तार कर दिया, लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी, घर-दुकानों में आग लगा कर लोगों की जीवन भर की संपत्ति बर्बाद कर दी। दंगे तो अब थम गये हैं लेकिन कई जख्म छोड़ गये हैं जिन्हें भरने में बरसों लग जाएंगे। यह दंगे कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े कर गये हैं और राजनेताओं का आचरण भी सवालों के घेरे में है। दंगों पर किस तरह राजनीति होती है यह भी दिल्ली ने एक बार फिर देखा।
इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इस सप्ताह का भारत दौरा काफी सार्थक रहा क्योंकि इस दौरान जिन रक्षा सौदों पर सहमति बनी और जिन व्यापारिक मुद्दों पर बात आगे बढ़ी वह दोनों देशों के प्रगाढ़ होते संबंधों को दर्शाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति का जिस तरह पहले अहमदाबाद में फिर आगरा में और फिर दिल्ली में भव्य स्वागत और आवभगत की गयी उसने भारत की अतिथि देवो परम्परा को एक बार फिर दुनिया के सामने रखा। यकीनन इससे भारत के पर्यटन को चार चाँद लगने वाले हैं।
इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह एक बयान में सरकारी बैंकों को नसीहत दी। यह नसीहत यह थी कि सरकारी बैंकों के कर्मचारी ग्राहकों से अच्छे संबंध नहीं बना कर रखते और उन्हें सरकार की लाभकारी योजनाओं की भी जानकारी नहीं देते। वाकई यह बयान बिलकुल सही है क्योंकि आप निजी बैकों में देखिये किस तरह ग्राहक अधिकतर पूर्ण संतुष्टि लेकर लौटता है जबकि सरकारी बैंक में उसे भीड़ वाली लाइन में लगने के बावजूद अकसर काम ना हो पाने की शिकायत रहती है। आइए करते हैं इन सभी घटनाओं का विश्लेषण और जानते हैं इस पर जनता की राय।
-,दीपक कौल