नई दिल्ली । कोरोना वायरस सार्स से भी ज्यादा खतरनाक बनकर उभरा है, इससे भारत में अब तक 415 लोग संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 24 मरीज स्वस्थ भी हुए लेकिन अब तक 7 लोगों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी हैं। यहीं कारण हैं भारत के अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन कर दिया गया हैं। मालूम हो कि चीन जहां से ये महामारी पूरी दुनिया में फैली वहां कोरोना केस कम हो गए हैं, लेकिन वहां प्रतिबंध अभी भी जारी हैं। प्रतिबंध जारी होने के बावजूद वहां कल 39 नए मामले समाने आए और 9 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई हैं। ऐसे में आपको अंदाजा तो लग ही गया होगा ये कि कोई सामान्य वायरस नही है जिसे हल्के में लिया जाए।
क्या प्रतिबंध हटने के बाद भी हो सकती है वापसी
चाइना में जो हो रहा उससे ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या प्रतिबंध हटेंगे तब क्या होगा? क्या कोरोना वायरस की फिर वापसी हो जाएगी? चीन की तरह हमें इन्हीं प्रतिबंधों के साथ जीना पड़ेगा। फिलहाल इसका जवाब दुनिया के किसी वैज्ञानिक के पास नहीं है क्योंकि जो टीके बनाने का दावा किया जा रहा उसकीप्राणमिकता साबित होने में समय लगेगा इसके अलावा इसके लिए कोई दवा का भी इजाद नहीं हुआ है।
बता दें अन्य वायरसों की तरह कोरोना वायरस भी अमर है वो सक्रिय होने के साथ गुणात्मक रुप से संक्रमित हो रहा हैं। मालूम हो कि वायरस हजारों लाखों साल तक नहीं मरता। प्रकृति में कहीं सोया रहता है। इसकी कमजोरी है कि यह खुद प्रजनन नहीं कर सकता। लेकिन जैसे ही उसे कोई जिन्दा सेल या कोशिका मिलती है, ये उससे अपने साथ जोड़ लेता है। और तब प्रजनन करता है। यह जीवित हो उठता है और अपने वंश को आगे बढ़ाने लगता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस पिछली कई सदियों से कहीं सोया हुआ था लेकिन चीन के किसी जीव संभवतः चमगादड़ में इसे कोशिका मिल गई और ये फिर जिन्दा हो गया और वहीं से इंसानों में आ गया। अब तक दुनिया इससे अंजान थी इसलिए इसके अटैक करने के इतने दिनों बाद भी हम संभल नहीं पा रहे इससे पूरी दुनिया में त्राहिमान मच गया है। ये अन्य वायरसों में सबसे अधिक खतरनाक है। इसकी सबसे पहली और बड़ी वजह ये हैं कि अन्य वायरसों की तुलना में ये तेजी से संक्रमित करता है और ये सामान्य फ्लू यानी इन्फ्लूएन्जा से कहीं ज्यादा मारक है।
गौरतलतब है कि दुनिया भर में प्लेग, चेचक, एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा, पोलियो आदि वायरस हैं जिन्हें हम बीमारी कहते हैं। कोरोना की ही तरह दुनिया भर में चेचक के वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस का हमला हुआ था। यह दुनिया का सबसे पुराने वायरसों में एक था। इसका इलाज तो नहीं मिला लेकिन इंसानों से उसका टीका जरूर खोज लिया। एड्स के एचआईवी वायरस 80 से 90 के दशक में पहचाने गए जिसने तहलका मचा दिया क्योंकि ये सबसे खतरनाक बात यह है कि यह जानलेवा है और लाइलाज रोग है। इनमें अब एक नया नाम जुड़ गया है कोरोना का।
लेकिन ये कोरोना वायरस इसलिए सबसे खतरनाक वायरस हैं क्योंकि पहले के जितने भी वायरस हैं वो खून, शरीरिक द्रव्य या वीर्य के जरिए ही एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमित होता था इसलिए सतर्क और जागरूक रहकर ही इस वायरस से बचा जा सकता है लेकिन ये तो एक से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता हैं। संक्रमित व्यक्ति के छीकने खांसने से यह फैलता है और थर्ड स्टेज कम्युनिटी ट्रांसमिशन की होती हैं ।
दरअसल, यह इंसान पर यह बिलकुल वैसे हमला करता है जैसे इन्फ्लूएन्जा वायरस करता है जिसके अटैक से सर्दी जुकाम बुखार होता है। लेकिन कोरोना वायरस की तीव्रता इतनी ज्यादा है कि अगर रोगी कमजोर, बीमार या वृद्ध हो सांस लेने में दिक्कत पैदा करने के साथ वह उसके फेफड़े और किडनी को तबाह कर देता है। वह भी चन्द दिनों में। इसलिए वृद्धों की मृत्यु दर ज्यादा है। ये वायरस सेहतमंद शरीर में दाखिल होते ही उसे बीमार कर देता है क्योंकि वह तत्काल इंसान के सेल के मूल आरएनए और डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और इसके बाद संक्रमित सेल अपने जैसे संक्रमित सेल तैयार करने शुरू कर देते हैं।