आतंकियों को शरण देने के कारण पाकिस्तान को विश्व के सारे देश पहले ही शंकित नजरों से देखते हैं। उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी की तलवार लटक रही है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
(दीपक कौल)।मेरी दीवार गिरे तो गिरे पर पड़ौसी की बकरी जरूर दब कर मरनी चाहिए। भारत के विरूद्ध यह नीति अब पाकिस्तान पर भारी पड़ रही है। हर मामले में भारत से ईर्ष्या−द्वेष रखने वाला पाकिस्तान अपनी करनी का फल भुगत रहा है। पहले टिड्डी दल के आक्रमण और अब कोरोना वायरस ने पाकिस्तान की बुनियाद हिला कर रख दी है। कोरोना से पाकिस्तान में तीन मौतें हो चुकी हैं। वायरस से संक्रमितों संख्या करीब 900 के पार जा चुकी है। पाकिस्तान उन देशों में से है जहां की सत्ता में रही सरकारों ने कभी इतिहास से सबक नही सीखा। तीन युद्धों में भारत से करारी शिकस्त खाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी तरक्की पर ध्यान देने की बजाए भारत से दुश्मनी निकालने की फिराक में रहा।
आतंकवाद के जरिए और जम्मू−कश्मीर में भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने में पाकिस्तान ने अपनी सारी ताकत लगा रखी है। इसका ही परिणाम है कि जब टि्डडी दल ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया तब भारत को सूचना देने के बजाए वह इसे दबा गया। इससे भारत का तो ज्यादा कुछ बिगड़ा नहीं किन्तु पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था चौपट हो गई। पाकिस्तान ने भारत का नुकसान चाहने के कारण जानबूझ कर टिड्डी दलों की सूचना दबाए रखी। भारत को पाकिस्तान की नीयत का पहले से ही अंदाजा था। भारत ने अपने नेटवर्क को पहले ही अलर्ट कर रखा था। यही वजह रही राजस्थान सीमा के रास्ते से पाकिस्तान से प्रवेश करने वाले टिड्डी दल भारत का कोई बड़ा नुकसान नहीं कर पाए।
राजस्थान में प्रवेश से पहले ही हरियाणा और पंजाब ने टिड्डी से निपटने के लिए इंतजाम कर रखे थे। इसके विपरीत यह सोचते हुए कि टिड्डी दल सिर्फ पाकिस्तान से भारत चला जाएगा पर नुकसान नहीं करेगा, यह भ्रम पाकिस्तान को ले डूबा। टिड्डी दल ने पाकिस्तान की मक्का, गेंहू, कपास की फसलों और सब्जियों को चट कर दिया। पाकिस्तान सरकार ने माना कि पिछले दो दशक में टिडिड्यों का यह सबसे बड़ा हमला था। यदि पाकिस्तान भारत से सामान्य संबंध रखता तो दोनों देश इस समस्या का मिलजुल कर सामना और समाधान कर सकते थे। इसके विपरीत ईष्यालु पाकिस्तान ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया।
आतंकियों को शरण देने के कारण पाकिस्तान को विश्व के सारे देश पहले ही शंकित नजरों से देखते हैं। उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी की तलवार लटक रही है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। पाकिस्तान यह भूल गया कि जो जहर वह उगल रहा है, वह उसके प्रभाव वह खुद भी नहीं बच सकेगा। यही हुआ, अपने देश के विकास पर ध्यान की बजाए भारत से दुश्मनी निकालने के चक्कर में पाकिस्तान की हालत भिखारी जैसी हो गई। आतंकियों के बाद टिड्डी दलों के हमलों ने रही−सही कसर पूरी कर दी। इसने कृषि व्यवस्था को लगभग चौपट कर दिया। टिड्डी दलों से भारत का नुकसान चाहने के चक्कर में पाकिस्तान के हालात इतने बिगड़ गए कि इमरान सरकार को आपातकाल की घोषणा करने पर मजबूर होना पड़ा। यदि भारत से सहयोग लिया होता तो यह नौबत नहीं आती। पाकिस्तान तब नींद से जागा जब सब कुछ तबाह हो गया।
कोरोना वायरस को लेकर भी पाकिस्तान की भारत विरोधी नीति रही। पाकिस्तान की सोच के दिवालियापन की हद यह हो गई कि भारत के सावचेत किए जाने के बावजूद पाकिस्तान कोरोना वायरस के हमले को लेकर सोता रहा। भारत ने सार्क देशों से इस वायरस से निपटने के सामूहिक उपाय करने की पहल की। पाकिस्तान यह बर्दाश्त नहीं कर सका कि भारत किसी भी मुद्दे पर सार्क देशों की पहले करें। पाकिस्तान की मानसिक हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रधानमंत्री इमरान खान ने शिरकत करने के बजाए अपने स्वास्थ्य सलाहकार को भेज दिया। स्वास्थ्य सलाहकार ने भी कोरोना से निपटने के उपायों पर चर्चा करने के बजाए कश्मीर का रोना शुरू कर दिया। जबकि अन्य सार्क देशों के प्रमुखों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संवाद किया। कोरोना से निपटने के सामूहिक प्रयासों और सहयोग पर व्यापक चर्चा कर रणनीति तय की।
पाकिस्तान यह भूल गया कि कोरोना वायरस भी टिड्डी दलों की तरह देषों की सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है। यह बात दीगर है कि इमरान खान में इतना माद्दा नहीं है कि सार्क देशों की पहल कर सके। इसका परिणाम यह रहा कि पाकिस्तान ने भारत की तरह पूर्व तैयारी के बजाए कोरोना को हल्के में लिया। अब यह जानलेवा वायरस पाकिस्तान में बेकाबू हो चला है। हर मामले में सेना को नागरिकों के मामले में बुलाने के आदी रहे पाकिस्तान ने इससे निपटने के लिए भी सेना को उतार दिया। जबकि देश के आंतरिक मामलों में सेना के इस्तेमाल से ही कई सेनाध्यक्ष चुनी हुई सरकारों का सत्ता पलट चुके हैं। पाकिस्तान की अवाम इसका खामियाजा आज तक भुगत रही है। बार−बार हस्तक्षेप करने से सेना के मुंह खून लग गया है। देश की सीमा की सुरक्षा के बजाए सेनाध्यक्ष सरकार के आंतरिक मामलों में टांग अड़ाने से बाज नहीं आते हैं।
पाकिस्तान में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 900 को पार कर चुकी है। यह वायरस अभी भी पाकिस्तान में तेजी से फैल रहा है। पाकिस्तान के पास इस वायरस से निपटने के लिए न तो मजबूत इच्छा शक्ति है और न ही पर्याप्त संसाधन हैं। आतंकियों के कारण अंतरराष्ट्रीय पाबंदी, टिड्डी दल के हमलों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पहले ही कोमा में ले रखा है, रही−सही कसर कोरोना पूरी कर रहा है। पाकिस्तान यह भूल गया कि भारत हर लिहाज से उससे कई गुना शक्तिशाली है। भारत लॉकडाउन की स्थिति से उभर जाएगा किन्तु पाकिस्तान के लिए यह इतना आसान नहीं है।
आतंकियों और कानून−व्यवस्था की खराब हालत ने पाकिस्तान की कमरतोड़ रखी। अमेरिका और चीन का पिछलग्गु होने के कारण पाकिस्तान ने कभी घरेलू उत्पादन और विकास पर ध्यान नहीं दिया। अब कोरोना ने चीन की आर्थिक हालत भी पतली कर दी है। ऐसे में चीन या किसी भी दूसरे मुल्क से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद करना पाकिस्तान के लिए ख्वाब देखने जैसा होगा। हालांकि चीन ने कोरोना पर लगभग काबू पा लिया है किन्तु यह पाकिस्तान के लिए इतना आसान नहीं है। पाकिस्तान का भारत के प्रति भ्रम बेशक नहीं टूटे किन्तु पाक अवाम की जिंदगी जरूर दांव पर लगी हुई है। भारत ने जितनी जल्दी कोरोना से निपटने की पहल की है, उसके विपरीत पाकिस्तान जगाने के बावजूद नींद से नहीं जागा। अब पाकिस्तान की अवाम ही वहां के हुक्मरानों की नींद तोड़ेगी।
-दीपक कौल