लखनऊ। उन्नाव रेप केस में दोषी बांगरमऊ से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई है। कुलदीप सिंह सेंगर पर यह कार्रवाई उन्नाव रेप केस में सजा होने के बाद हुई है। प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुबातिक, सजा के ऐलान के दिन से ही उनकी सदस्यता खत्म मानी जाएगी। जिसके बाद बांगरमऊ विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। इस सीट पर अब उपचुनाव होगा, लेकिन इसकी तिथि का ऐलान अभी होना बाकी है।
उन्नाव के चर्चित किडनैपिंग और गैंगरेप केस में 20 दिसंबर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने विधायक पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से 10 लाख पीड़िता को बतौर मुआवजा देने होंगे, जबकि 15 लाख रुपए अभियोजन पक्ष को मिलेंगे। वहीं, बीजेपी ने 1 अगस्त 2019 को ही कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया गया था। अब सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द हो गई है।
उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में लड़की को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इसी साल जुलाई में पीड़ित की कार की ट्रक से भिड़ंत हो गई थी। हादसे में पीड़ित की चाची और मौसी की मौत हो गई थी। पीड़ित लड़की और उसके वकील तभी से दिल्ली एम्स में भर्ती हैं। सेंगर फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।
सामूहिक दुष्कर्म के 2 साल पुराने मामले में दोषी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (53) को दिल्ली के कोर्ट ने 20 दिसंबर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि उसे मृत्यु तक जेल में रखा जाए। इस फैसले के बाद उनकी विधायकी तुरंत खत्म हो गई थी, लेकिन इस बाबत अधिसूचना अब जारी की गई है। इतना ही नहीं, सजायफ्ता होने के बाद सेंगर अब कभी चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया था कि अगर कोई विधायक, सांसद या विधान परिषद सदस्य किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है तो और इसके चलते उसे कम से कम दो साल की सजा होती है तो वह तुरंत अयोग्य हो जाएगा यानी जनप्रतिनिधि नहीं रहेगा। अब कुलदीप सिंह सेंगर को चूंकि अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, लिहाजा उनकी विधायकी तुरंत प्रभाव से चली जाएगी, बल्कि उम्रकैद के कारण वो कभी चुनाव लड़ भी नहीं सकेंगे।