आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो साल के दौरान भारत 17 हजार करोड़ रुपए के रक्षा साजो सामान का निर्यात कर चुका है जोकि अपने आप में बहुत बड़ी बात है। मोदी सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में इसे 35 हजार करोड़ रुपए तक करने का है।
लेख । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहा डिफेंस एक्सपो रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका दुनिया भर को दिखा रहा है। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा एक्सपो है जिसमें 1000 से ज्यादा रक्षा उत्पादन कंपनियां भाग ले रही हैं। डिफेंस एक्सपो मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा तो दे ही रहा है साथ ही इसने दुनिया को एक मंच प्रदान किया है जहां वह अत्याधुनिक रक्षा साजो सामान के उत्पादन के मामले में भारत के महत्वपूर्ण योगदान से रूबरू हो सके। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत ने हाल के वर्षों में जो तरक्की है यह उसी का परिणाम है कि भारत अपनी जरूरतों के लिए जिन शस्त्रों का निर्माण कर रहा है, दुनिया के विभिन्न देश उसे खरीद रहे हैं या खरीदने की इच्छा दर्शा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो साल के दौरान भारत 17 हजार करोड़ रुपए के रक्षा साजो सामान का निर्यात कर चुका है जोकि अपने आप में बहुत बड़ी बात है। मोदी सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल में इसे 35 हजार करोड़ रुपए तक करने का है। यदि भारत रक्षा साजो सामान निर्यात का यह लक्ष्य हासिल कर लेता है तो यह इस सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि पिछली सरकारों का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा रक्षा साजो सामान का आयात करने का रहा जबकि यह सरकार निर्यात पर भी जोर दे रही है।
खैर लखनवी तहजीब के लिए मशहूर लखनऊ में जब यह डिफेंस एक्सपो शुरू हुआ तो पूरी दुनिया की नजरें उत्तर प्रदेश पर टिक गयीं। दर्जनों देशों के रक्षा मंत्री, राजनयिक और वरिष्ठ अधिकारी उत्तर प्रदेश में डेरा डाल बैठे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तीनों सेनाओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन करते हुए साफ कहा कि भारत में रक्षा उत्पादन को और गति देने के लिए तथा विस्तार देने के लिए नए लक्ष्य तय किये गये हैं और सरकार का लक्ष्य रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में MSMEs की संख्या को अगले 5 वर्षों में 15 हजार के पार पहुंचाने का है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि सन् 2014 तक सिर्फ 217 रक्षा उत्पादन कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए थे, लेकिन हमारी सरकार आने के बाद ये संख्या 460 तक पहुंच गई है।
इस आयोजन की अन्य खासियतों पर गौर करें तो डीआरडीओ के तरकश से 7जोन पर फायर करने वाली पहली तोप निकली है। 1986 में हुए बोफोर्स तोप सौदे के बाद भारतीय सेना का तोपखाना शानदार तोप के लिए तरस रहा था। डीआरडीओ ने इस इच्छा को पूरा करते हुए 155 एमएम 52 कैलीबर की एडवांस टोड आर्टिलरी गन विकसित की जोकि परीक्षण में खरी उतरी। स्वचालित प्रणाली के सहारे यह 30 सेकेंड में 48 किलोमीटर दूर निशाने पर पांच गोले दागती है। विश्व में इस समय जितनी तोपें उपलब्ध हैं वह 6वें जोन तक फायर करती है, लेकिन डीआरडीओ की ओर से विकसित हमारी तोप 7वें जोन तक फायर करती है। इस तोप के परीक्षण के दौरान 200 गोले दागे गए। लक्ष्य भेदने की सटीकता के मामले में इस तोप का कोई जवाब नहीं है। यही नहीं स्वदेश में विकसित शारंग तोप भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस एक्सपो के दौरान आधिकारिक रूप से सेना को सौंपी। गौरतलब है कि 300 शारंग तोप सेना को चरणबद्ध तरीके से दी जानी हैं। शारंग तोप इजराइली सोल्टम तोप का आधुनिक संस्करण मानी जा रही है।
भारत अपने वायु रक्षा तंत्र को भी और मजबूत बनाने में लगा हुआ है जिसके तहत पिछले दिनों मेक इन इंडिया अभियान के तहत सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टीलरी गन के9-वज्र बनायी गयी थी और अब भारत ने तय किया है कि दक्षिण कोरियाई कंपनी हनहवा टेक विन की भागीदारी के साथ एयर डिफेंस गन और मिसाइल सिस्टम भी देश में तैयार करेगा। डिफेंस एक्सपो की थीम 'डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ डिफेंस' को देखते हुए दक्षिण कोरिया भारत को विभिन्न डिजिटल और इलेक्ट्रानिक उपकरण देना चाहता है।
अब लखनऊ में हो रहे इस आयोजन से उत्तर प्रदेश को होने वाले फायदों की बात करें तो दुनिया के सामने यह तथ्य उभर कर आया है कि भारत में जो दो बड़े डिफेंस कॉरिडोर बन रहे हैं उनमें से एक उत्तर प्रदेश और दूसरा तमिलनाडु में बन रहा है। उत्तर प्रदेश में तो डिफेंस कॉरिडोर के लिए 3000 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाएं लगाने पर बात हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहर चाहे वह अलीगढ़ हो या आगरा, झांसी, कानपुर या फिर अमेठी सभी जगह लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिल रहा है और भारत रक्षा उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर होने की ओर अपने कदम बढ़ा चला है। अब अमेठी को ही लीजिये यहां भारत और रूस मिलकर रायफल बनाने का काम कर रहे हैं। डिफेंस एक्सपो में जिन स्वदेशी कंपनियों ने अपने स्टाल लगाये हैं उनमें बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश की कंपनियों खासकर कानपुर की कंपनियों की भी है और इनको बाहर से ऑर्डर भी मिलने लगे हैं। अब कानपुर की कंपनी एमकेयू को ही लीजिये इसने एक खास नेटवर्क सेंट्रिक इंटीग्रेटेड कांबेट सिस्टम (निक्स) बनाया है जिसके जरिये युद्ध के समय या किसी आतंकवादी निरोधी ऑपरेशन के समय सैनिकों की मौजूदगी का पता सेटेलाइट के माध्यम से चल जायेगा और उन्हें कंट्रोल रूम से सीधे जरूरी संदेश भी दिये जा सकेंगे। यही नहीं यह कंपनी ऐसा हेलमेट भी लेकर आई है जिसमें बोल्ट का उपयोग नहीं हुआ है। दरअसल अफगानिस्तान में हेलमेट में लगे बोल्ट में गोली लगने से सैनिकों को नुकसान पहुँचने की खबर के बाद कंपनी ने बिना बोल्ट वाले हेलमेट का निर्माण किया। खास बात यह है कि इस हेलमेट में नाइट विजन और मल्टी एक्सेसरी कनेक्टर सिस्टम भी लगाया गया है। इसी प्रकार डिफेंस एक्सपो में एयरक्राफ्ट अरेस्टर बैरियर बनाने वाली, धनुष और सारंग जैसी गन के लिए मैटेरियल सप्लाई करने वाली, तोप के गोलों का ट्रांसपोर्टेशन करने वाली और ड्रोन बनाने वाली छोटी-बड़ी कंपनियों को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
डिफेंस एक्सपो जैसे बड़े आयोजन के जरिये जहां उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित किया जा रहा है वहीं इस आयोजन का लाभ प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को भी मिल रहा है और यहां की कला, संस्कृति और खानपान की प्रसिद्धि बढ़ रही है। डिफेंस एक्सपो को भव्य, ऐतिहासिक और यादगार बनाने में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों और उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और यही कारण है कि डिफेंस एक्सपो में भाग लेने वाला हर शख्स इस आयोजन से बेहद प्रभावित नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब तक प्रवासी भारतीय दिवस समारोह, भव्य और दिव्य महाकुम्भ मेले का आयोजन और अब डिफेंस एक्सपो का भव्य और सफल आयोजन कर देश में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है।
लखनऊ वासियों को वैसे तो समय-समय पर विभिन्न कला एवं संस्कृति के आयोजनों में भाग लेने का अवसर मिला है लेकिन यह पहली बार है जब रक्षा क्षेत्र से जुड़े किसी बड़े आयोजन में सीधे जनता को भी भागीदारी का मौका मिला है। अब तक के रक्षा क्षेत्र से जुड़े आयोजन दिल्ली, बैंगलुरु, चेन्नई या हैदराबाद जैसे शहरों में ही हुआ करते थे। गोमती नदी में नौसेना के जांबाज प्रदर्शनों ने लोगों को रोमांचित कर दिया है, वायु सेना व थल सेना की युद्धक क्षमता का प्रदर्शन देख सभी भौंचक रह गये। वायु सेना के रुद्र हेलीकाप्टरों की ओर से तीनों सेनाओं के झंडे लेकर फ्लाई पास्ट करना हो या फिर तेजस, सुखोई, सुखोई, किरन, जगुवार जैसे लड़ाकू विमान और चिनूक, ध्रुव हेलीकाप्टर तथा डोर्नियर विमान की ओर से फ्लाई पास्ट कर देश की सेना की ताकत का अहसास कराना हो, इस सबसे लोगों को भारत की तीनों सेनाओं के अदम्य साहस और शौर्य की एक झलक देखने को मिली। युद्ध के दौरान सैन्य कार्रवाई कैसे की जाती है इसका प्रदर्शन देख तो लोग आश्चर्यचकित रह गये, महज 20 मिनट की कार्रवाई में दुश्मन का ढेर हो जाना और अर्जुन, वज्र, भीष्म आदि टैंकों की ताकत देखकर सबने अपने दांतों तले अंगुली दबा ली। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश ऐसे ही सार्थक आयोजन करता रहेगा और यह डिफेंस एक्सपो रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत के निर्यात लक्ष्यों को समय से पहले पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
-नीरज कुमार दुबे