बनकटी बस्ती।जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से परिषदीय स्कूलों की दशा व दिशा दिन प्रति दिन बद्तर हो रही है। जिसके कारण निजी स्कूल परिषदीय स्कूलों पर अब भारी पड रहे हैं। जिससे परिषदीय स्कूलों से आम जनता का विश्वास समाप्त होता जा रहा है।
परिषदीय स्कूलों के बच्चों को मिड् डे मील,पाठ्य पुस्तकें,ड्रेस,बैग,जूता,मोजा,स्वेटर पौष्टिक आहार के रूप में फल व दूध,टीकाकरण,आदि की निःशुल्क व्यवस्था के अलावा पर्याप्त बेतन पाने वाले प्रशिक्षित शिक्षकों की तैनाती की गयी है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के औचक निरीक्षण के अभाव में शिक्षक बेलगाम और कर्तव्य विमुख होकर समय से स्कूल पहुँचने व बच्चों को पढ़ाने की बजाय बच्चों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को स्वार्थ के वशीभूत होकर हड़पने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
बनकटी ब्लाक के परिषदीय प्रा.स्कूल कठैचा इँगलिश मीडियम हेतु चयनित है। जहाँ विगत् सत्र के सापेक्ष बच्चों की संख्या कम है।जिसे अधिकतम दर्शाने का षडयन्त्र कर उनके हक हकूक के अनुदान तक को विभागीय साजिश से हड़पने का खेल जारी है।कुल मिलाकर बच्चों को फल और दूध तक नसीब नहीं हो रहा है। प्रधानाध्यापक अनीता और सहायक शिक्षिका मंजीता की विधि विरुद्ध तैनाती से दोनों सगी बहनें व्यवस्था की ऐसी तैसी कर देर से स्कूल आना,शिक्षण में निरन्तर अरुचि रखना,बगैर छुट्टी के गायब रहना इनकी आदत में सुमार है। लेकिन खन्ड शिक्षाधिकारी सब कुछ जानते हुये भी इनके सभी खामियों पर पर्देदारी करने में पीछे नहीं हैं।
पूर्व मा.स्कूल अमरडोभा में तैनात प्रधानाध्यापक तो बेतन सरकार से लेते हैंं लेकिन अधिकरियों को मैनेज कर अपने निजी स्कूलोंं की ही देख रेख में लगे रहते हैंं। फिर भी जिम्मेदार मूक दर्शंक की मुद्रा में हैं। जब कि उनकी तैनाती उनके निजी स्कूल के सन्निकट किया गया है। इसके पहले उक्त शिक्षक प्रा.स्कूल सिकरा खुर्द में तैनात होकर अपनी मनमानियों को अन्जाम दे चुके हैंं। यदि कोई इस मामले शिकायत करे तो अधिकरी मामले की जाँच करने की बजाय लीपापोती कर अपने फर्ज से गद्दारी करने से नहीं चूकते। पिछले माह 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के दिन प्रा.स्कूल मोहनाखोर के प्रधानाध्यापक ने झन्डारोहण करने में हीलाहवाली करने का नाकाम प्रयास तक किया था लेकिन बी.एस.ए.ने मामले मेंं कार्यवाही तक नहीं किया।
आरोप है कि कुदरहा ब्लाक के प्रा.स्कूल बानपुर में तैनात सहायक शिक्षक राहुल सिंह सप्ताह में एक दिन एकाध घन्टे के लिये तैनाती स्थल पर पहुँचकर गैरहाजिर वाले भी दिनों की हाजिरी लगाकर वापस चले जाते हैं।बताया जाता है कि वे जब स्कूल आते हैं तो पर्याप्त मात्रा में बच्चों को फल टाफी बिस्कुट चाकलेट खिलाकर उनका मुँह बन्द करने के साथ अन्य शिक्षकों के अलावा अधिकारियों का भी मुँह बन्द करने में विशेष निपुण माने जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर अनेक शिक्षकों का कहना है राहुल सिंह भी जिला मुख्यालय पर अपने निजी स्कूल की देखरेख में ही रहते हैं।
सिसईंं पंडित गांव के तमाम लोग बताते हैं कि इसके पहले राहुल गाँव के प्रा.स्कूल में भी तैनात थे।जहाँ एक बेरोजगार युवक से वर्षों तक शिक्षण कार्य करा रहे थे। लेकिन किसी अधिकारी ने मामले में कार्यवाही नहीं किया। जो चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। जिसके चलते भ्रष्टअधिकारियों और बेलगाम व कामचोर शिक्षकों की जुगलबन्दी से लाचार बेवस और विपन्नों को छोड़कर परिषदीय स्कूलों से आम जनता का विश्वास जहाँ उठ रहा है वहीं निजी स्कूलों के पौ बारह हैं।
प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि अपने निजी स्वार्थों के बशीभूत अधिकारियों और शिक्षकों की जुगलबन्दी से शासन प्रेरणा एप को लागू करने में नाकाम है।
खन्ड शिक्षाधिकारी बनकटी अनीता त्रिपाठी और जिला बेसिक शिक्षाधिकारी अरुण कुमार से उनका पक्ष जानने के लिये अनेक बार प्रयास किया गया लेकिन फोन रिसीब नहीं हुआ।