बस्ती । गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में जनपद में अनेक आयोजन किये गये। इसी कड़ी में बस्ती क्लब में कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि जिला पूर्ति अधिकारी रमन मिश्र ने कहा कि देश के आजादी और नव निर्माण में कवियों, साहित्यकारों का विशेष योगदान रहा है। वंदे मातरम् से लेकर ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ जैसी रचनाओं ने क्रांति का उद्घोष किया। अध्यक्षता संयुक्त कृषि निदेशक बदरे आलम उर्फ बद्र गोरखपुरी और संचालन राष्ट्रीय कवि डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने किया।
जगदम्बा प्रसाद ‘भावुक’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना ‘ श्वेत वस्त्र धारण किये, कर में वेद वीणा सोहे, सुन्दर कमल आसन पर माता विराजती’ से आरम्भ कवि सम्मेलन में डा. वी.के. वर्मा की रचना ‘ ‘देश के लिये जिए मरेंगे, हर सपना साकार करेंगे’ को सराहना मिली। विनोद उपाध्याय ने कुछ यूं कहा किसी ने भीड़ में हमको गिरा दिया लेकिन, उसी हुजूम से हमको उठा रहा है कोई‘ ने मंच को नई ऊंचाई दी। अध्यक्षता कर रहे बदरे आलम उर्फ बद्र गोरखपुरी के शेर ‘दर्द में डूबी हुई तन्हाईयां खामोश हैं, मेरी हालत पर मेरी परछाईयां खामोश हैं’ सुनाकर वाहवाही लूटी। संचालन कर रहे डा. रामकृष्ण लाल जगमग की रचना ‘ नहीं कभी वह बदलेगा, मौका पाकर निगलेगा, चाहे जितना दूध पिलाओ, सांप जहर ही उगलेगा’ उनका दुमदार दोहा ‘भले करो उपवास तुम, भले सहो अपमान, लेकिन बोलो जोर से, भारत वर्ष महान, आज गणतंत्र दिवस है’ ने कई सवाल खड़े किये। प्रसिद्ध कवि डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक के शेर ‘ टुकडे, टुकडे, टुकडे, टुकडे, जितने तन मन उतने टुकडे, टुकडों से ही पूंछ रहा हूं, मेरा हिन्दुस्तान कहां है’ ने आज के सत्य को सामने रखा। दीपक सिंह प्रेमी की रचना ‘लग न जाये कहीं तुम को खुद की नजर, आईना इस तरह न निहारा करो’, कवियत्री रूचि द्विवेदी की रचना ‘ अभी भी उसकी कहानी में मेल ईगो है, है इक वजीर पियादे की चाल चलता है’ डा. अफजल हुसेन अफजल के शेर ‘ आपके छूने से यह जख्म हरा ही होगा, आप मरहम मेरे दिल पे लगाया कीजै’ को सराहा गया। इसी क्रम में सत्येन्द्रनाथ मतवाला, रामचन्द्र राजा, अजय श्रीवास्तव अश्क, शाद अहमद ‘शाद’ सागर गोरखपुरी, विशाल पाण्डेय आदि की कविताओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
स्वतंत्रता आन्दोलन में साहित्यकारों, कवियों का महत्वपूर्ण योगदान-रमन मिश्र
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January 29, 2020
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