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रातों रात कश्मीर में रह रहें कश्मीरी पंडितों या कश्मीरी ब्राह्मणों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। हजारों को अपनी जान गवानी पड़ी इन कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी को फिल्म ''शिकारा: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित'' (Shikara: The Untold Story Of Kashmiri Pandit) में दिखाने की कोशिश की जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से ही कश्मीरी पंडितों के दर्द की बात बड़े स्तर पर की जानें लगी और कश्मीरी पंडितों के अंदर भी सरकार को लेकर उम्मीद जगी। पुराने आर्टिकल से लोगों ने जानने की कोशिश की कि आखिर कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था? कश्मीरी पंडितों के दर्द की कहानी लेकर आ रहे हैं फिल्म निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra), उन्होंने जनवरी 1990 में हुई उस घटना को बयां करने की कोशिश की है जिस घटना ने लाखों लोगों को बर्बाद कर दिया था। रातों रात कश्मीर में रह रहें कश्मीरी पंडितों या कश्मीरी ब्राह्मणों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। हजारों को अपनी जान गवानी पड़ी इन कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी को फिल्म 'शिकारा: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित' (Shikara: The Untold Story Of Kashmiri Pandit) में दिखाने की कोशिश की जाएगी। विधू विनोद चोपड़ा की 'शिकारा' के ट्रेलर को सोशल मीडिया पर काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, साथ ही लोग इस फिल्म को लेकर काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं। तरण आदर्श के साथ-साथ सुमित कदेल जैसे कई बॉलीवुड कलाकारों ने शिकारा के ट्रेलर की तारीफ की है।
फिल्म शिकारा का ट्रेलर
फिल्म शिकारा: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ कश्मीरी पंडित' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। जिसे देखकर आप रिलेट कर सकेंगे की कैसे एक पल में जिंदगी बदल जाती हैं। फिल्म के ट्रेलर मे दिखाया गया है कि नयी नवेली शादी करने वाला जोड़ा अपने प्यार को एक-दूसरे के साथ रख रहा होता हैं और साथ में कुछ हसीन पल बिता रहा होता हैं तभी आतंकियों ने उनके घर को जला दिया पूरी कोलॉनी में आग लगा दी। कश्मीरी पंडितों को गोलियों से भून दिया गया। उन्हें कश्मीर से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया गया। कश्मीरी पंडित अपने घर को छोड़ना नहीं चाहते थे जान बचाने के लिए उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था। कश्मीरी पंडियों के कश्मीर छोड़ से लेकर उनके कहीं और बसने तक के सफर को फिल्म में देखाया गया है।
फिल्म की कास्ट और रिलीज की तारीफ
फिल्म का निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा ने किया है और फिल्म का स्कोर ए.आर. रहमान और कुतुब-ए-कृपा द्वारा रचा गया है, जबकि गीत संध्या शांडिल्य और अभय सोपोरी द्वारा रचित हैं। फिल्म में सादिया (Sadia) और आदिल खान (Adil Khan) मुख्य भूमिका निभाते नजर आएंगे। फिल्म 7 फरवरी 2020 को रिलीज होगी।
क्या हुआ था कश्मीरी पंडितों के साथ
जनवरी 1990 में कश्मीर में इंसानियत की सरेआम हत्या हुई थी, लाखों लोगों की जिंदगी रातों रात बदल गयी थी। किसी मां को अपना लाल खोना पड़ा था, तो किसी पत्नी के माधे का सिंदूर हमेशा के लिए मिट गया था। किसी के भाई को सरेआम गोलियों से भून दिया गया था तो किसी के बाप को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया गया था। उस रात रूह को चीर देने वाली ऐसी आवाजें उठी थी जिसने शायद भगवान के सीने तक को चीर दिया होगा लेकिन कश्मीर के बेरहम आतंकियों को वो आवाजे नहीं सुनाई पड़ी क्योंकि उनके सिर पर सियासत का काला खून सवार था।
सदियों से कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों को 1990 में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की कारण से घाटी छोड़नी पड़ी और जिन्होंने जिद की तो उन्हें मार दिया गया या जबरन निकाल दिया गया। कश्मीरी पंडितों की आह को सियासी आड़ में कहीं छुपा दिया गया। अगर सरकार कश्मीरी पंडितों का दर्द सुनती तो उसे कश्मीर से हाथ धोना पड़ता। उस समय पाकिस्तान के आतंकी अलगावादियों के साथ कश्मीर की डोर संभाल रहे थे। कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की स्थिति भारत विभाजन के बाद से ही खराब चल रही थी जब पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर के एक तिहाई भू-भाग पर कब्जा कर लिया पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन के ऑर्डर सेना को भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल ने काफी देरी से दिए थे जिसकी वजह से पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर के हिंदूओं का कत्ल कर दिया था।
कश्मीरी पंडितों के साथ जो अत्याचार हुए वो छुपा दिए गये। कुछ अखबारों ने एजेंड़े से हट कर कश्मीरी पंडितों के दर्द को अखबार में छापा था। कश्मीरी पंडितों को इंसाफ आज तक नहीं मिल पाया हैं।