नई दिल्ली- दिल्ली के निर्भया केस में एक गुनहगार मुकेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में सनसनीखेज आरोप लगाकर फांसी से पहले मामले को नया मोड़ देने की कोशिश की है। दोषी ने अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि तिहाड़ जेल में उसका यौन शोषण किया गया, लेकिन राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते वक्त उसके साथ हुई कथित ज्यादतियों को नजरअंदाज कर दिया। अब सवाल उठता है कि फांसी से महज चार दिन पहले इस तरह के सनसनीखेज दावे क्यों किए जा रहे हैं? क्या ये फांसी की सजा को और टालने की कोई नई चाल है। क्योंकि, मुकेश की ओर से अब तक उसे मिले सभी कानूनी उपचारों का इस्तेमाल कर लिया गया है, जिसके बाद ही राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज की है। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या 1 फरवरी को तय समय पर निर्भया के गुनहगारों को उनकी गुनाह की सजा मिल पाएगी या फिर आएगी कोई और नई तारीख?
निर्भया केस में दोषी ठहराए जा चुके मुकेश सिंह की वकील अंजना प्रकाश ने राष्ट्रपति की ओर से अपने मुवक्किल की दया याचिका खारिज किए जाने को लेकर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में दावा किया कि मुकेश का तिहाड़ जेल में यौन शोषण हुआ था। वकील ने तिहाड़ के अंदर की कई परिस्थिजनक स्थितियों का हवाला देते हुए मुकेश की ओर से ये दलील दी कि 'कोर्ट ने मुझे सिर्फ मौत की सजा सुनाई है। क्या मुझे मेरे साथ हुए रेप की सजा दी गई?' दोषी वकील ने दावा किया कि दया याचिका खारिज करते वक्त जेल में उसके क्लाइंट को नियमों के विरुद्ध अकेले में रखने और उसके साथ हुए कथित यौन शोषण के आरोपों को नजरअंदाज किया गया।
मुकेश की वकील ने यहां तक दावा किया कि 2012 के निर्भया कांड के एक और आरोपी राम सिंह ने मार्च, 2013 में जेल में खुदकुशी नहीं की थी, बल्कि उसकी हत्या को आत्महत्या ठहरा दिया गया था। गौरतलब है कि राम सिंह ने अपने सेल में ही फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वकील ने मुकेश की ओर से कोर्ट में कहा, 'मैं 5 वर्षों से सो नहीं पा रहा हूं। जब भी मैं किसी तरह सोता हूं, सपने में मौत और पिटाई देखता हूं।' मुकेश की वकील की ओर से यह दलील दी गई है कि दोषी को तभी एकांत में रखा जाता है, जब दया याचिका खारिज हो जाती है, जबकि उसके क्लाइंट को पहले से ही ऐसे सेल में रखा जा रहा है। मुकेश की वकील ने ये भी आरोप लगाया कि राष्ट्रपति को दया याचिका के साथ उसके केस से जुड़े सारे तथ्य नहीं दिए गए।
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निर्भया के गुनहगार के दावों को नकारते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि उसके तमाम दावे और आरोप उसकी गुनाहों पर दया दिखाने की वजह नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि, 'अगर मैं मान भी लूं कि उसके साथ ज्यादतियां हुईं तो भी उस पर दया नहीं दिखाई जा सकती। यह सुविधा का न्याय नहीं है कि मैं यदि जघन्य अपराध का दोषी भी हूं तो भी मुझ पर इसलिए दया दिखाई जानी चाहिए, क्योंकि मेरे साथ ज्यादतियां हुईं।' वरिष्ठ वकील ने ये भी कहा कि 'आप ये कैसे कह सकते हैं कि ये तथ्य राष्ट्रपति के सामने नहीं रखे गए? आप ये कैसे कह सकते हैं राष्ट्रपति ने इन सब के बारे में विचार नहीं किया।' गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने पिछले 17 जनवरी को मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी थी।
दरअसल, दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने निर्भया केस के चारों दोषियों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को फांसी देने के लिए ब्लैक वारंट जारी किया है। इसके तहत चारों दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ के जेल नंबर 3 में बनी फांसी कोठी में फांसी का वक्त मुकर्रर है। अदालत में मुकेश की वकील और सॉलिसिटर जनरल की दलीलों से जाहिर है कि मुकेश की ओर से तमाम कानूनी पेचीदगियों का इस्तेमाल करने और दया याचिका खारिज होने के बावजूद सजा पर तामील को और टालने के लिए नए-नए कानूनी तिकड़मों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब देखने वाली बात है कि इस बार निर्भया को इंसाफ मिल पाता है या फिर उसके दोषियों के वकील नए हथकंडों का इस्तेमाल कर उसे टालने में कामयाब हो जाते हैं?