नई दिल्ली । दिल्ली के निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड में चार दोषियों को तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने की पूरी तैयारी हो चुकी हैं। फांसी की सजा पाए 4 दोषियों के पुतलों को फांसी देने की औपचारिकता भी पूरी कर ली गयी है। लेकिन निर्भया के हत्यारों के पास अभी भी एक मजबूत कानूनी दांव बचा हुआ हैं जिसके कारण माना जा रहा है कि एक बार फिर फांसी की तारीख को टालना पड़ सकता है।
बता दें दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले दिनों दूसरा डेथ वारंट जारी किया था। जिसके अनुसार निर्भया के दरिंदों को आगामी 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। लेकिन जानकारों के अनुसार मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी है लेकिन बाकी तीनों दया याचिका भेजकर एक बार फिर पेच फंसा सकते हैं जिसके कारण फांसी की तारीख टल सकती हैं।
निर्भया के चार दोषियों में मुकेश के अलावा अन्य तीन दोषी पवन, अक्षय और विनय में से किसी ने भी अगर फांसी देने की एक तारीख के ठीक एक दिन पहले यानी की 31 जनवरी को दोपहर 12 बजे तक राष्ट्रपति के नाम दया याचिका दे देते हैं तो नियमों के कारण फांसी एक बार फिर रुक सकती है। परंतु इन्होंने 31 जनवरी की समय सीमा को क्रास कर दिया तो इनका दया याचिका देने का कोई फायदा नहीं होगा। तो हर हाल में 1 फरवरी को तिहाड़ जेल में चारों को एक साथ फांसी के फंदे लटका दिया जाएगा। जिसकी संभावना बहुत ही कम नजर आ रही है।
60 घंटे पहले भेजी गयी दया याचिका होगी वैध
मालूम हो कि फांसी के 60 घंटे पहले तक ही दया याचिका भेजने पर ही वह वैध होगी। राष्ट्रपति को दया याचिका भेजकर दोषी अपनी फांसी की सजा को माफ कर उम्रकैद में तब्दील करने की अपील करता है। कानून के जानकारों के अनुसार 28-29 जनवरी की रात 12 बजे से 1 फरवरी की सुबह 6 बजे तक के समय को लगाएं तो इन्हें फांसी पर लटकाने के लिए अब 78 घंटे बचे हैं लेकिन दया याचिका दायर करने के लिए इनके पास 60 घंटे हैं। इसलिए तीन दोषियों के पास अभी भी दया याचिका दाखिल करने का विकल्प मौजूद हैं। जिसके आधार पर फांसी को एक बार भी टालने का पैतरा चल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई वाले मामले की सभी स्टेटस रिपोर्ट विगत सोमवार को तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से निचली अदालत को सौंप दी गई ताकि अगर निचली अदालत को फांसी पर होल्ड करना चाहे या फिर नई डेट के लिए ब्लैक वॉरंट जारी करना हो तो वह तिहाड़ प्रशासन को नया आदेश दे सके। हालांकि, जेल प्रशासन के अनुसार निर्भया के दोषियों को अगर अभी तक की तय डेट के हिसाब से 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाना है तो ऐसा नहीं है कि वह जब चाहे क्यूरेटिव या दया याचिका लगा सकते हैं।
गौरतलब है कि 6 दिसंबर, 2016 को दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दोपहर 12.30 पर सुनवाई करेगा। मुकेश ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है। साथ ही एक फरवरी के डेथ वारंट पर भी रोक लगाने की मांग की है। यह और बात है कि दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम माना जाता है, बावजूद इसके मुकेश ने फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से रहम की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है।