कन्नौज। उत्तर प्रदेश के कन्नौज में हुए भीषण बस हादसे के बाद कई लोगों का पता नहीं चल पाया है। बस में सिर्फ हड्डियां बची रह गईं जिनके डीएनए टेस्ट से मृतकों की संख्या की पुष्टि हो पाएगी। इस बस में कमालगंज के एक परिवार के पांच लोग सवार थे जिनका कुछ पता नहीं चल रहा। उनके गांव में मातम का माहौल है। इस हादसे की कुछ ऐसी दर्दनाक कहानियां हैं जो दिल को झकझोर देने वाली हैं।
कमालगंज थाना क्षेत्र के गांव उगरापुर के एक परिवार के पांच सदस्य बस हादसे के बाद लापता हैं। 48 साल के लईक जयपुर में रहकर काम करते थे और गांव आए हुए थे। शुक्रवार की शाम वे पत्नी शाहिदा बेगम, 13 साल की बेटी सादिया, 11 साल के बेटे शान और 9 साल के बेटे सैफ के साथ जयपुर जा रही विमल सर्विस की बस में सवार हुए। छिबरामऊ के पास ट्रक से टक्कर के बाद बस आग का गोला बन गई और इसके बाद से लईक और उसके परिवार का कुछ पता नहीं चल रहा।
उसी बस में उगरापुर निवासी छम्मी लाल भी 8 साल के बेटे सौरभ के साथ सवार थे। सौरभ ने बताया, 'बस में पापा ने कई बार शीशे पर हाथ मारा लेकिन नहीं टूटा फिर उन्होंने सिर से मारा जिससे शीशा टूट गया। पापा ने फिर मुझे खिड़की से बाहर निकाला और वो भी बाहर कूदे लेकिन तब तक आग लग गई।' बेटा सौरभ सकुशल है और पिता छम्मी लाल का तिर्वा में इलाज चल रहा है।
कोतवाली फर्रुखाबाद के नारायणपुर की महिला मायके गुरसहायगंज आई थी और बेटी के साथ बस में सवार थी। उन्होंने बताया, 'मैं अपनी बेटी के साथ जयपुर जा रही थी तभी बस और ट्रक की टक्कर से उसमें आग लग गई। आग लगते ही हम लोग बस के शीशे तोड़कर बाहर निकले। मैं तो बाहर निकल गई लेकिन बेटी को नहीं निकाल सकी। मेरी बेटी बस में भरे धुएं की वजह से बेहोश होकर गिर गई और वह बाहर नहीं निकल पाई।'