भोपाल। मध्यप्रदेश के चंबल के बिहडो से डाकूओं को निकालकर आत्मसमर्पण करवाने वाले पूर्व आईपीएस राजेन्द्र चतुर्वेदी को भ्रष्ट्राचार के एक मामले में कोर्ट ने पाँच साल कैद की सज़ा सुनाई है। इस मामले में 17 साल बाद फैसला आया। कोर्ट ने चतुर्वेदी पर जुर्माना भी लगाया है। राजेन्द्र चतुर्वेदी पूर्व एडीजी जेल रह चुके है। 1980 के दसक में जब प्रदेश की चंबल घाटी में फूलन देवी, पान सिंह तोमर, मलखान सिंह डाकूओं का आतंक था उस समय भिण्ड जिले के पुलिस अधीक्षक एसपी रहते हुए राजेन्द्र चतुर्वेदी ने दस्यु सुंदरी के नाम से प्रख्यात फूलन देवी का आत्मसमर्पण करवाया था। उन्होनें फूलन देवी के आलावा डाकू मलखान सिंह को भी आत्मसमर्पण करवाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा था।
पूर्व एडीजी जेल राजेंद्र चतुर्वेदी पर आरोप था कि उन्होनें जेल कर्मियों की भर्ती में भ्रष्ट्राचार किया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ(ईओडब्ल्यू) में इसको लेकर शिकायत की गई थी। दरआसल मामला सन 2003 का है जब राजेन्द्र चतुर्वेदी एडीजी जेल थे। तब उन पर जेल प्रहरी और लिपिक भर्ती में भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे थे। उन पर आरोप था कि उन्होनें 16 आवेदकों से 13 लाख रूपए लिए थे। जिसकी जाँच में ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट पेश की जिसके आधार पर पूर्व एडीजी राजेन्द्र चतुर्वेदी को 5 साल की सज़ा सुनाई गई। उन पर 8.7 लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया गया। कोर्ट के सजा सुनाने के बाद आरोपी राजेन्द्र चतुर्वेदी को भोपाल सेट्रल जेल भेज दिया गया।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ(ईओडब्ल्यू) की जांच में सामने आया कि चतुर्वेदी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी नौकरी देने के नाम पर लोगों से लाखों रुपए लिए थे। उनके खिलाफ तमाम सबूत जुटाने के बाद 2006 में ईओडब्ल्यू (EOW) ने एफआईआर दर्ज की थी। बताया जा रहा है कि जब चतुर्वेदी इस भ्रष्टाचार के मामले में फंसे तो उन्होंने कई लोगों को चेक के जरिए पैसे वापस भी किए। जिसे सबूत के तौर पर ईओडब्ल्यू ने महत्वपूर्ण रहा। जेल अदालत में पेश किया। जेल विभाग में कई लोगों को बिना मार्किंग और बिना योग्यता के भर्ती दे दी गई थी।