बस्ती । जनपद बस्ती के महोत्सव समिति के गठन में किसी भी जन प्रतिनिधि को नही रखा गया है। जन प्रतिनिधियों को आयोजन समिति में न रखने के पीछे जिला प्रशासन की मंसा दूषित लगती है। यदि जन प्रतिनिधि बस्ती महोत्सव के आयोजन समिति में होते तो जिला प्रशासन मनमानी तरीके से चन्दे के नाम पर कर्मचारियों, व्यापारियों तथा विभिन्न विभागो के लाइसेन्सियों से जिस तरह से चन्दो के नाम पर शोषण हो रहा है शायद न होता।
क्या शासन द्वारा बस्ती महोत्सव के आयोजन हेतु अलग से कोई बजट निर्धारित किया गया है। यदि नही तो दिनांक 28 जनवरी 2020 से 1 फरवरी 2020 तक महोत्सव मेें होने वाले व्यय का भार कौन निर्वहन कर रहा है।
जहा तक मुझे जानकारी दी गयी उस हिसाब से विभिन्न विभागो से निम्न प्रकार की वसूली करायी जा रही है।
1. जनपद के सरकारी शराब की दुकानो से 25 से 30 लाख रूपये। 2. जनपद के सभी 1365 कोटेदारो से लगभग 1000 से 1500 रूपये। 3. सभी ब्लाको के एसएमआई से लगभग 20 हजार रूपये प्रति गोदाम।
4. जनपद के सभी पेट्रोल पम्पो से लगभग 10 हजार रूपये। 5. जनपद के सभी ड्रग्स लाइसेन्सी (मेडिकल स्टोरो) से लगभग 1000 रूपये। 6. सभी नगर पंचायतो से एक लाख रूपये। 7. सभी भट्ठा व्यवसाइयों से लगभग 10 से 15 हजार रूपये। 8. जनपद के सभी नर्सिंग होमो से लगभग 25 से 30 हजार रूपये। 9. जनपद के सभी सीएचसी सेन्टरो से लगभग 20 हजार रूपये। 10. बैंको से तीन लाख रूपये। 11. राईश मिल एसोसिएशन से लगभग 15 लाख रूपये। 12. जनपद के 1249 के अधिकांश ग्राम पंचायतो से लगभग 5 हजार रूपये प्रति ग्राम पंचायत की वसूली की शिकायते निरन्तर प्राप्त हो रही है।
इसी प्रकार जनपद के सभी विभागो के कर्मचारियों इंसपेक्टर राज के अन्तर्गत आने वाले सभी व्यवसाईयों/ लाइसेन्सधारियों से जबरन वसूली का कार्य चल रहा है। जनपद के प्रशासनिक अधिकारी एक तरफ बस्ती महोत्सव में मस्त है वही दूसरी तरफ जनपद का गन्ना किसान पिछले वर्ष से ही गन्ने के भुगतान के लिए तरस रहा है। जनपद के फेनिल शुगर ग्रुप की मिल वाल्टरगंज (गोविन्दनगर) का 42 करोड़ एवं बजाज हिन्दुस्थान शुगर मिल लि. अठदमा का लगभग 105 करोड़ किसानो का गन्ना मूल्य बकाया है, जिसकी चिन्ता जिला प्रशासन को बिल्कुल नही है।
टोल प्लाजा बस्ती के कर्मचारियों द्वारा साईड के रोडो पर जबरन गैर कानूनी ढंग से बिना पर्ची के वसूली की जा रही है, जिससे जनपद का करोड़ो रूपये का राजस्व नुकसान हो रहा है। जिला प्रशासन इस अवैध व सूली पर मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि टोलप्लाजा बस्ती में अभी तक लगभग 70 करोड़ रूपये का बकाया है। जिसके लिए जिला प्रशासन ने वसूली हेतु मात्र दो दिन का समय दिया था, परन्तु एक पखवारा बीत जाने के बावजूद जिला प्रशासन कोई कार्यवाही नही कर रहा है।
वहीं दूसरी तरफ जनपद के सम्मानित राजस्व के बकायेदारो पर जिला प्रशासन इस कदर उत्पीड़न कर रहा है कि उनके समस्त सम्पत्तियों की कुर्की नीलामी की कार्यवाही कराकर उसे समाचार पत्रो में प्रकाशित कर विभिन्न विभाग के राजस्व बकायेदारो का सामाजिक तथा मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा कमजोरो पर कार्यवाही तथा बड़े राजस्व बकायेदारो को सहूलियत दी जा रही है। जिला प्रशासन के दोहरे नीति से प्रदेश सरकार की छवि खराब हो रही है।
बस्ती जनपद की धरोहर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का बस्ती महोत्सव में न कहीं नाम है और न ही स्थान है। ऐसी महान विभूति की मूर्ति वर्षो से उखाड़कर फेक दी गयी है जो अभी तक खेत में पड़ी है। मै पिछले कई वर्षो से उस मूर्ति को बड़ेवन चैराहे पर स्थापित करवाने की मांग कर रहा हूं, परन्तु जिला प्रशासन द्वारा इस पर कोई अमल नही किया जा रहा है।
इन्ही कारणो से मैने पिछली बार भी अपने आपको बस्ती महोत्सव से अलग किया था और इस बार भी मै अपने आपको महोत्सव से अलग रखता हूँ। इस बार मेरी यह भी मांग है कि जिला प्रशासन श्वेत पत्र जारी करे कि बस्ती महोत्सव कराये जाने हेतु उन्हे कितनी- कितनी धनराशि कहां कहां से प्राप्त हुई। जबतक मेरे गन्ना किसानो का समस्त बकाया भुगतान तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की उपेक्षित मूर्ति का अनावरण बड़ेबन चैराहे पर नही होता तबतक मै महोत्सव से अलग ही रहूंगा।