अंगदान हमारे देश मे महादान के रूप मे जाना जाता है|इससे जहँ| एक इन्सानी जिन्दगी पुनः पटरी पर लौटतीहै वही'दूसरी ओर एक पूरा परिवार मायूसी व गम के झंझावतो मे उलझने से पार पा लेता है | जीवन के अंतिम सफर से पहले कोई स्वस्थ मानव यदि स्वंय ही राजी-खुशी से अपने अंग दान की विधिक घोषणा अपनी मृत्युपरान्त कर देता है,तो निश्चित ही उसके द्वारा जीवन मे किये गये छोटे या जघन्य अपराध भी समाज व ईश्वर की नजर मे थोड़| छम्य वाली साबित हो सके'गी |
उक्त मनोदशा को आधार मानकर हमारे देश की एक प्रतिष्ठित एनजीओ रोड एन्टीकरप्शन आर्गेनाइजेशन (RACO) ने निर्भया गै'गरेप और हत्याका'ड मे 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी पर लटकाये जाने वाले चारो दोषियो पवन,अक्षय,मुकेश,और विनय से मिलकर अंगदान हेतु राजी करने केलिए ,संस्था ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट मे याचिका दाखिल की है |
एडवोकेट आर कपूर ने बताया कि हमने 19 दिसम्बर को तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियो से मिलने की बात कही तो उन्होने कोर्ट का आर्डर लाने को कहा था | पटियाला हाउस कोर्ट संस्था की अपील की सुनवाई के तैयार हो गया है | जिसका संस्था को इन्तजार है |
एनजीओ संस्था RACO कोर्ट मे दाखिल अपनी अर्जी मे कहा है कि यदि दोषी अंगदान के लिए राजी होते है तो इससे उनके परिवार वालो को मदद मिलेगी | इन सभी के परिवारजनो को इनके द्वारा किये जघन्य अपराध के नाते समाज मे शर्मिन्दगी और उपेक्ष| उठानी पड़ रही है | अंगदान ,सामाजिक उपेक्ष| और शर्म कुछ हद तक कम करने मे अवश्य मददगार साबित होगा |
संस्था ने अर्जी मे दोषियो से मिलकर अंगदान के लिए मोटिवेशन हेतु जाने वालो मे डाक्टर,आध्यात्मिक गुरु और एक्सपर्ट के शामिल होने की बात कही है |
आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि जिनके दिमागो ने मात्र कुछ देर के लिए हवस का आनन्द उठाने की एवज मे उन्हे कातिल बनाकर जल्लाद तक बुलाने को विवश कर दिया , क्या दुनिया से अलविदा होने से पूर्व अंगदान जैसे महानेक कार्य पर दिल-दिमाग को एकाग्रचित कर समाज व परिवार मे थोड़| सा अच्छा बनकर जाने की सोच बन सकेगी?
दीपक कौल