बस्ती । रुधौली सरकार किसानो की समस्याओं को नगण्य करने के लिए योजनाओं पर योजनाओं की भरमार करती आ रही हैं पर शासन के उस ऊँचे स्तम्भ से लेकर किसानों के विकास के जमीनी स्तर पर कुछ और ही चल रहा हैं.
जी हाँ हम बात कर रहे हैं किसानो की जो भारत देश के नेता यह कहने से बिलकुल नहीं कतराते कि यह देश कृषि प्रधान देश हैं और अगर मेरी सरकार आएगी तो किसानो को विकास की मूसलाधार बारिश से खुशहाल हर देंगें,पर ऐसा कुछ होता नहीं हैं.
आज रुधौली के अठदमा बजाज हिन्दुस्तान चीनी मिल पर अपनी समस्याओं से आज़िज़ होकर किसानो ने धरना दिया. धरने के प्रमुख बिंदु किसानो के गन्ना मूल्य का भुगतान को लेकर था. उनका कहना हैं कि लगभग दो वर्ष से हमारे गन्ने मूल्य का भुगतान हमे नहीं किया गया हैं. किसी के हजार रूपये बाकि हो तो लोग रोज तगादे करने घर पर आ जाते हैं पर हम क्या करें जो 2 वर्ष से अपने हजारों रुपयों को पाने के लिए मिल प्रशासन से तगादे करते करते हार गए हैं. ऐसे में मिल गेट पर विवश होकर धरने पर मजबूर होना पड़ा.
जिले से संस्तुति के बाद एस डी एम रुधौली की स्वीकृति भी आवश्यक हैं जो अभी तक नहीं मिली, जैसे ही एसडीएम रुधौली द्वारा चीनी क्रय की स्वीकृति मिलेगी तुरंत किसानों को बकाया भुगतान उनके खातों में कर दिया जायेगा.
पेराई सत्र 2019-20 के लिए शासन ने किसानों को गन्ने की तौल के बाद 15 दिन के अंदर भुगतान करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी जिन किसानों ने गन्ना डाला है उनको भुगतान नहीं किया गया है। इससे आक्रोशित किसान सिस्टम पर ही सवाल उठने लगे हैं। वजह है कि यदु शुगर मिल से शासन या प्रशासन किसानों का बकाया नहीं दिला सका। इससे आहत किसान किसी भी सूरत में यदु शुगर मिल को गन्ना देना नहीं चाहते हैं। किसानों ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दे दी कि वह किसी भी दबाव में आकर यदु शुगर मिल को गन्ना नहीं देंगे। किसान बिचौलिया और माफिया को गन्ना देने की बात कह रहे हैं। इससे यदु शुगर मिल पर गन्ना नहीं पहुंच पा रहा है।