नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा से बंपर वोटों के साथ मंजूरी दिलाने के बाद मोदी सरकार बिल को राज्यसभा में भी पास कराने में सफल रही। बिल के पक्ष में 125 वोट डाले गए। विपक्ष में 105 वोट डाले गए। नागरिकता संशोधन विधेयक आज दोपहर 12 बजे राज्यसभा में इस बिल को गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया था। सदन में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बिल को लेकर तीखी बहस हुई। अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जहां उनके हस्ताक्षर के बाद ये विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा।
इससे पहले नागरिकता संशोधन बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का विपक्ष का प्रस्ताव गिरा। बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 98 वोट पड़े वहीं खिलाफ में 124 वोट डाले गए। सदन में 206 सदस्य मौजद रहे। बिल में संशोधन के लिए 14 प्रस्ताव दिए गए थे। डेरेक ओ ब्रायन का भी प्रस्ताव राज्यसभा में गिर गया। वहीं राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल वोटिंग के दौरान शिवसेना ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद सदन की कार्यवाही को गुरुवार 12 दिसंबर दोपहर 11 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया और जिसके बाद सदन में काफी हंगामा देखने को मिला। इस पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को इस बिल में नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इस बिल में इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है।
इससे पहले विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, कुछ सदस्यों ने बिल को असंवैधानिक बताया। मैं सभी का जवाब दूंगा। अगर इस देश का बंटवारा नहीं होता तो ये बिल नहीं लाना पड़ता। बंटवारे के बाद पैदा हुए हालात के कारण ये बिल लाना पड़ा है। हमारे पास 5 साल के लिए बहुमत है, हम भी चाहते तो बाकी की सरकारों की तरह काम कर लेते, लेकिन मोदी सरकार देश की स्थिति को सुधारने के लिए आई है। हम देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए सत्ता में आए हैं। लाखों लोग आज चीत्कार-चीत्कार कर कहते हैं। मेरे साथ अन्याय हुआ है।