बस्ती । स्वाधीन भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद को उनकी 135 वीं जयंती पर याद किया गया। मंगलवार को सोशल क्लब के संयोजक अजय कुमार श्रीवास्तव के संयोजन में गांधी कला भवन स्थित बापू प्रतिमा के समक्ष डा.राजेन्द्र बाबू को नमन् करते हुये उनके योगदान पर चर्चा की गई।
अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि राजेंद्र बाबू भारतीय संस्कृति और सामान्य जनता के प्रतिनिधि थे, इसलिए वे सबके प्यारे थे। वे सरल जीवन और ऊँचे विचार के जीते जागते उदाहरण थे उन्होंने जीवन भर भारतीय पोशाक पहनी, विदेशी वस्त्र कभी नहीं पहना।सादगी और सचाई के वे अवतार थे। उनका अंदर और बाहर का जीवन एक समान था। वे गाँधीजी के अनुयायियों में प्रथम थे। सामाजिक कार्यकर्ता पं. सुनील कुमार भट्ट ने कहा कि महापुरुषों का जन्म अपने लिए नहीं हुआ करता। वे तो किसी बड़े काम को पूरा करके ही दम लेते है। सन् 1917 में जब गाँधीजी ने चंपारण में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठायी तभी राजेंद्र बाबू की भेंट गाँधीजी से हुई और वे बापूके शिष्य हो गये। उन्होंने चलती वकालत को छोड़ देश सेवा का व्रत लिया और आजीवन उसका निर्वहन किया।
प्रधानाचार्य उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि राजेंद्र प्रसादजी का जन्म 3 दिसम्बर 1884 ई० को सारण जिले के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। उनके बड़े भाई श्री महेंद्र प्रसाद ने अपने छोटे भाई राजेंद्र प्रसाद का लालन-पालन किया था और ऊँची शिक्षा पाने में उनकी मदद की थी। राजेंद्र बाबू ने पटना के टी० के० घोष एकेडमी में शिक्षा पाकर कलकत्ता विर्श्वविद्यालय से सन् 1900 में प्रथम श्रेणी में इंट्रेन्स परीक्षा पास की। इस परीक्षा में उन्हें सबसे अधिक अंक मिले। सारे देश में उनकी प्रशंसा हुई।
जयन्ती अवसर पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद को नमन करने वालों में बापू प्रतिमा के समक्ष मुख्य रूप से मनमोहन श्रीवास्तव 'काजू' अमर सोनी, अनिल कुमार पाण्डेय, रमेश गुप्ता, अजीत शुक्ल, जितेन्द्र मिश्र, लल्लू चौधरी, राहुल पटेल, गुड्डू पाण्डेय, अभिमन्यु, आलोक चौरसिया, लाखन सिंह, सूरज गुप्ता आदि शामिल रहे।
जयंती पर याद किये गये प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद
0
December 04, 2019
Tags