जानिए कहां है निर्भया का छठां हत्यारा, जिसने सबसे ज्यादा ढाया था निर्भया पर जुल्म
नई दिल्ली। देश की राजधानी में आज ही के दिन निर्भया 6 दरिंदों की हैवानियत का शिकार हुई थी। पूरे सात साल बीतने के बाद भी इन दरिंदों में से चार को अभी फांसी के फंदे तक नहीं लटकया जा सका हैं। कहने को बेटियों को तत्काल न्याय दिलाने के लिए सख्त कानून भी बन गया लेकिन देशभर की निर्भयाओं को न्याय मिल पाना आज भी असंभव कार्य जैसा बना हुआ है। अधिकतर पीड़िताओं की चीखें तो थानों की देहरी पर ही दम तोड़ देती हैं। अदालत तक पहुंची लड़ाई भी कानूनी दांव-पेचों में उलझकर लंबे संघर्ष में बदल जाती है। इसके लिए निर्भया केस से बड़ा उदाहण क्या हो सकता हैं।
निर्भया के साथ छह लोगों ने 16 दिसंबर 2012, रविवार की रात बसंत विहार में चलती बस में हैवानियत की थी। उनमें निर्भया के साथ जिस शख्स ने सबसे ज्यादा बर्बरता की थी, वो नाबालिग होने के नाते तीन साल पहले ही सबसे कम सजा पाकर छूट चुका है। निर्भया केस के सात वर्षों बाद अब चार दोषियों की फांसी जल्द दी जा रही है। वर्तमान समय सामने खड़ी मौत के सांये में ये चारों अपनी जिंदगी के आखिरी दिन गिन रहे हैं। वहीं जेहन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि सुधार गृह से रिहा होने के बाद वो छठां नाबालिग दोषी कहां है, जो इस वक्त अपने साथियों की मौत को सामने देखकर निश्चिततौर पर सिहर रहा होगा?
दिल्ली गैंगरेप केस का छठा नाबालिग दोषी सिर्फ तीन साल की सजा काटने के बाद 20 दिसंबर 2016 को रिहा हो गया था। उसकी रिहाई के समय देश के इंसाफ पसंद लोग दुखी थे। वहीं निर्भया की मां और पिता की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह बार-बार ये ही कर रहे थे कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ। 17 साल 6 महीने की उम्र में 16 दिसंबर, 2012 की उस काली रात निर्भया के साथ इसी सख्स ने सबसे ज्यादा बर्बरता की थी जो सबसे कम सजा पाकर छूट गया। निर्भया पर सबसे अधिक इसी ने जुल्म ढाए इतना ही नही पुलिस जांच में यह पुष्टि हुई थी निर्भया का सबसे बड़ा जिम्मेदार ये दोषी ही है।
पुलिस के अनुसार इस छठे नाबालिग दोषी ने ही निर्भया को आवाज देकर बस में बुलाया था। इतना ही नही बस में निर्भया के बैठने के बाद सबसे कम उम्र के इसी लड़के ने बाकी पांच लोगों को गैंगपेर के लिए न सिर्फ उकसाया बल्कि इस पूरी घटना का सूत्रधार भी बना। इसी लड़के की वहशियाना हरकतों की वजह से ही निर्भया की आंते तक बाहर आ गई थी।
जंग लगी लोहे की रॉड से निर्भया का टॉचर करने वालों में ये भी शामिल था। एक जल्लाद या कसाई भी किसी के साथ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है जो बाकी दोषियों के साथ मिलकर इस छठें आरोपी ने किया था। निर्भया को पीटा-बलात्कार किया, शरीर में लोहे का सरिया घुसा दिया। फिर, मरा हुआ जानकार निर्वस्त्र ही चलती बस से बाहर फेंक दिया था।
नाबालिग होने के कारण भेजा गया था सुधार गृह
घटना के कुछ दिन बाद पुलिस ने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। हैवानियत करने वालों में से चार मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को फांसी की सजा सुनाई थी। 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने भी 5 मई 2017 को चारों को हुई फांसी की सजा बरकरार रखी।
जिसमें एक (राम सिंह) ने तो जेल में आत्महत्या कर ली। लेकिन किशोर नामक दोषी नाबालिग होने के आधार पर यह दरिंदा बच गया। कुछ महीने बाद ही 18 साल का हो जाता, लेकिन कानूनी रूप से घटना के वक्त नाबालिग होने के कारण कोर्ट ने मौजूदा कानून के आधार पर उसे सजा देने की बजाए सुधार गृह में भेजने का फैसला सुनाया था।
निर्भया का यह हत्यारा वर्तमान समय में 24 साल का हो गया हैं। सुधार गृह में कुछ वर्षों तक रखने के बाद उसे 20 दिसंबर 2016 को रिहा कर दिया गया था। अपने इस कुकर्म के कारण वह यहां वहां अपनी पहचान छिपा कर जीवन के एक एक दिन काट रहा है। हर पल वो इसी खौफ में जीवन बिता रहा है कि उसके अपराध का राज कही खुल न जाएं। इसी कारण उसने अपना नया नाम रख लिया है। फिलहाल वर्तमान समय में यह आरोपी साउथ इंडिया के किसी प्रान्त में होटल में कुकिंग का काम कर रहा हैं। उसने दिल्ली प्रेक्षागृह में ही कुकिंग सीखी थी।
दिल्ली प्रेक्षागृह से रिहाई के बाद से ही उसे गुप्त स्थान पर गैर सरकारी संगठन की देखरेख में रखा गया हैं। जो एनजीओ इस पर निगरानी कर रही है उसका कहना है कि वयस्क हो चुके किशोर नामक इस दोषी के बारे में कही से भी अगर पता चल गया तो जनता उसे छोड़केगी नहीं। प्रेक्षागृह से रिहाई के बाद इससे पूछा गया था कि क्या वो बदायूं स्थित अपने घर जाना चाहेगा या एनजीओ की देखरेख में रहना चहेगा तो उसने सुरक्षा कारणों से एनजीओ के साथ जाने पर हामी भरी थी।
असली पहचान और पुरानी जिंदगी की असलियत को छिपाने के लिए उसे दिल्ली से इतना दूर भेज दिया गया, जिससे लोग उसका पता न लगा सकें और वह एक नई जिंदगी शुरू कर सके। जहां वह काम करता है वहां भी लोगों को उसके वास्तविक नाम के बारे में नहीं पता और न ही कोई उसकी पिछली जिंदगी के बारे में कोई कुछ नही जानता है।
11 वर्ष की उम्र में घर से भागकर आया था दिल्ली
11 वर्ष की उम्र में घर से भागकर आया था दिल्ली
बदांयू का मूल निवासी यह आरोपी महज 11 वर्ष की उम्र में अपने घर से भागकर दिल्ली आ गया था और यहां राम सिंह जिनने निर्भया कांड के बाद तिहाड़ जिले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसके लिए काम करता था। घर से भाग कर दिल्ली आते ही सबसे पहले उसकी मुलाकात राम सिंह से हुई थी।
इसके बाद बस की सफाई के लिए रामसिंह ने उसे रख लिया था। रिपोर्ट के अनुसार चालक रामसिंह के पास किशोर नामक युवक के 8000 रुपये बकाया थे। जिसे मांगने वो बार-बार रामसिंह के पास जाता रहता था। वारदात की रात भी वह राम सिंह से अपने पैसे लेने के लिए गया था और इस कुमर्म को अपने साथियों के साथ अंजाम दिया।
गौरतलब है कि इस केस से पहले मई 2005 में लखनऊ के आशियाना क्षेत्र में घरेलू काम कर लौट रही 13 साल की लड़की को कुछ रईसजादों ने अगवा कर लिया। चलती कार में दुष्कर्म किया और बाद में कुछ और दोस्तों को बुला लिया। कुल छह लड़कों ने दुष्कर्म के साथ पीड़िता को यातनाएं भी दीं। आखिर उसे एक सुनसान इलाके में फेंक दिया। मामला दर्ज हुआ और सामाजिक संगठनों व प्रेस का दबाव बढ़ा तो पुलिस ने कुछ निर्दोष लड़कों को पकड़ कर आरोपी बना दिया।भारी प्रदर्शन के बाद गिरफ्तारी हुई।
प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा घेरा, पुलिस पर चौतरफा दबाव पड़ा तो असली आरोपी धरे गए। इनमें गौरव शुक्ला मुख्य आरोपी, भारतेंद्र मिश्रा, अमन बख्शी व मोहम्मद फैजान और दो नाबालिग शामिल थे। नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा गया, जहां से लौटने के बाद उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई। वहीं भारतेंदु व अमन को 2007 में 10-10 साल की सजा सुनाई। फैजान को 2013 में उम्र कैद की सजा दी।दुष्कर्मी ने शादी की, परिवार बनाया मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला ने खुद को नाबालिग बताया। किशोर न्याय बोर्ड और निचली अदालत में करीब 10 वर्ष बाद उसे बालिग करार दिया गया। इस दौरान उसकी शादी हुई और परिवार भी बना। बाद में 2016 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 साल की सजा दी।