प्रयागराज। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर उत्तर प्रदेश में मचे बवाल के चलते कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बाधित कर दी गई है। इंटरनेट सेवाएं बाधित करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है। बता दें कि इस मामले में कोर्ट तीन जनवरी को फिर से सुनवाई करेगी। हालांकि अदालत ने प्रभावित जगहों पर इंटरनेट सेवाएं फौरन बहाल किए जाने का कोई आदेश नहीं दिया है।
मीडिया के खबरों के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविंद माथुर कर रहे है। बता दें कि चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 'इंटरनेट आम लोगों की जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है और इसकी सेवाएं बंद होने से न सिर्फ कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हुई हैं, बल्कि आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। अदालत ने इस मामले में कहा है कि इंटरनेट जैसी सेवाएं बेहद विपरीत परिस्थितियों में ही बंद होनी चाहिए।
खबर के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय और सीनियर एडवोकेट रवि किरण जैन समेत कई दूसरे वकीलों ने चीफ जस्टिस के कोर्ट में उपस्थित होकर उन्हें इंटरनेट सेवाएं बंद होने की जानकारी दी। साथ ही इससे लोगों को हो रही परेशानियों के बारे में बताया। अदालत ने इस पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब-तलब किया।
वहीं, एडिशनल एडवोकेट जनरल एके गोयल ने कोर्ट में पेश होकर कहा कि कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा होने की वजह से यह कदम उठाना पड़ा। फिलहाल पाबंदी सिर्फ शनिवार तक के लिए है। फिलहाल कोर्ट ने यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 10 दिन का वक्त दिया गया है। अदालत इस मामले में तीन जनवरी को फिर से सुनवाई करेगी।