गोरखपुर। वाणिज्य कर विभाग में एडिशनल कमिश्नर पद पर काम कर रहे बीएन द्विवेदी कथा व्यास बनकर राम कथा और भागवत कथा लोगों को सुनाते हैं। वे स्वामी अखंडानंद के नाम से भी जाने जाते हैं। कथा सुनाने के लिए वे सरकारी कामकाज से छुट्टी लेते हैं। गोरखपुर के बैंक रोड स्थित परिणय स्थली में 16 से 22 दिसंबर तक उनके कथा का कार्यक्रम है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में शुरू से ही अध्यात्म का माहौल रहा और नौकरी में आने के बाद भी उन्होंने धर्मग्रंथ पढ़ना जारी रखा और फिर कथा वाचक बनने की उनकी यात्रा 2012 में शुरू हुई जब वे सहारनपुर में ज्वाइंट कमिश्नर पद पर थे।
सहारनपुर में पोस्टिंग के दौरान बीएन द्विवेदी हर सप्ताह हरिद्वार जाते थे। वह वहां सत्संग में भी जाते। इसी दौरान उनको एक बार कथा में जाने का अवसर मिला और वहां उनको मंच पर जाने की इच्छा हुई। उनको मंच पर 15 मिनट का समय मिला और उन्होंने पहली कथा कही। इसके बाद दूसरे दिन भी उनको बुलाया गया और आधे घंटे का समय दिया गया। तीसरे दिन उनको एक घंटे का समय कथा सुनाने को मिला। इसके बाद उनको स्वामी अखंडानंद नाम दिया गया। तबसे वह कथा सुनाते आ रहे हैं।
बीएन द्विवेदी ने बताया कि वाराणसी में जब उन्होंने 2016 में कथा कही तो उनको चढ़ावा भी बहुत आया लेकिन उन्होंने फिर तय किया कि वे इसका उपयोग जरूरतमंदों की सेवा में करेंगे। कथा कहने के लिए स्वामी अखंडानंद बने बीएन द्विवेदी पैसे नहीं लेते। कथा के दौरान वे व्यास पीठ के धर्म का पालन करते हैं। जब तक कथा चलती है, वे फलाहार करते हैं। उनका कहना है कि वो कथा के दौरान बहुत उर्जावान रहते हैं।
गोरखपुर में प्रयागराज की दाल-भात संस्था के संरक्षक और कथा के आयोजक यशपाल जी ने बताया कि उनका संकल्प भूख और भयमुक्त भारत का निर्माण करना है। उनकी संस्था इसी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रही है। प्रयागराज और वाराणसी के बाद बाबा गोरखनाथ की धरती पर कथा का आयोजन किया गया है।