डिजिटल डेंजरस लव
"'आधुनिक चहल -पहल और साथ में 'डिजिटल इंडिया 'का क्रांतिकारी संदेश!जिसने हर हाथ स्मार्टफ़ोन होने की वकालत की उद्देश्य यह था कि लोगों के समय की बचत के साथ घर बैठे शॉपिंग, बैंक का लेन -देन, रसोई जैसे काम चंद मिनटों में हो सकें! और लोग देश दुनियाँ की खबरों से रूबरू होते रहें !
'जियो 'नेटवर्क ने मुश्किलें आसान की ,प्रभाव यह हुआ अन्य मोबाइल नेटवर्क कम्पनियाँ आकर्षक ऑफर लेकर अपने ग्राहकों को रिझानें लगीं..
सोशल मीडिया का प्रयोग पहले से कहीं अधिक होने लगा! तमाम फायदों के साथ अनदेखे नुकसान भी हुए... रिझाने के नाम पर,,,आजकल लड़के लड़कियों में भी बहुत कम्पटीशन है कि किसके कितने फ्रेंड हैं..
कम्पनी के ऑफरों ने मानों आजादी दे दी हो.. घंटों बात फिर कई -कई घंटों शायद कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता!
हाँ सैकड़ो में कोई विरला ही होता है जो इन चकाचौंधों में नहीं पड़ता!
सारा दिन चैट, कॉल, वीडियो कॉल में जहाँ युवाओं ने समय वर्बाद किया वहीं कैरियर के साथ खिलवाड़ भी किया!
समाचार पत्रों की मानें तो लड़के और लड़कियाँ दोंनों ही सोशल मीडिया से आर्थिक, मानसिक, शारीरिक शोषण के शिकार हुए ..
लेकिन सर्वाधिक नुकसान लड़कियों को उठाना पड़ा!
जैसा कि सभी जानते हैं चरित्र को लेकर हमारे समाज में युवा लड़कियों को शक की निगाह से देखा जाता रहा है ...
जरा सी असावधानी उनके जीवन को नर्क बना देती है!
सोशल मीडिया एप्स फेसबुक, वाट्स एप ट्वीटर, इंस्टाग्राम, पर रहने वाली लड़कियों के लिये स्मार्टफोन एक एेसी खतरे की घंटी रहा है जो असमय जाने कब बज जाये !
सोशल मीडिया पर निम्न सोच वाले लड़के भी सक्रिय रहते हैं जो वेल एजूकेटेड होने के साथ आकर्षक भी हो सकते हैं इनका पहला शिकार वह लड़कियाँ हैं जो मासूम व संवेदना से युक्त हो!
सोशल मीडिया पर लड़कियों से बातचीत फिर दोस्ती उसके बाद प्यार का नाटक शुरू होता है!
मीठी -मीठी बातें, फिर विश्वास जीतते हैं.. लड़की धार्मिक हुई तो चालाकी से उनके प्रिय भगवान के विषय में जान लेते हैं और कहते हैं वह भी उन्हीं को मानते हैं! जब लड़की को लगने लगता है कि कितना अच्छा लड़का है एेसे तो बहुत ही कम होते हैं वह चाहने लगती है..
तब शुरू होता है असली खेल
गुड मॉर्निंग से लेकर ऑफ्टर नून, गुड नाइट तक हर समय लड़की के मैसेंजर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना नहीं भूलते !
व्यस्तता भरे इस युग में माता -पिता जहाँ अपने बच्चों को समय व प्यार नहीं दे पाते वहीं यह लड़के प्यार ही प्यार देने का वादा करते हैं!
फिर हल्का -हल्का रूठना मनाना भी चलता है!
लड़के सही अवसर पाकर जब लड़की दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रही होती है!
उसी वक्त कुछ एेसा लिखते हैं जिसे पढ़कर लड़की मुस्करा देती है! और यही संकेत पाकर लड़की पर दवाब बनता है वह भी उसको लिखे जो उसने लिखा!
लड़की संकोच करती है तो प्यार का हवाला दिया जाता है तमाम साम भेद अपनायें जाते हैं और अंतत:लड़की लिख देती है!
फिर शुरू होती है खेल की पहली स्टेज..
जिसमें लड़का जीतता है यानि वह खुद के मैसेज डिलीट करके एेसे सेट कर देता है कि लगे लड़की पूर्ण दोषी है!
फिर लड़की की स्क्रीनशॉट लेकर उसे ब्लैकमेल करने के लिये संभाल कर रखता है!
दूसरी स्टेज का खेल कुछ महीनों बाद शुरू होता है! लड़का अचानक पूरे दिन बात नहीं करता है ताकि लड़की परेशान हो...
जब लगता है लड़की परेशान हो गयी तो एक मैसेज करता है मोबाइल गिर गया या हजारों का नुकसान हो गया! या एडमिशन नहीं हो पा रहा!
तमाम और भी प्रचलित है! कुछ भी कह सकते हैं!
फिर कुछ घंटे बाद बात करते हैं...
परेशान होने का नाटक भी करते हैं!
इसके दूसरे दिन कहते हैं कि क्या तुम मेरी मदद करोगे कुछ रूपयों का इंतजाम हो गया है!
जैसा कि लड़की के स्वभाव की जाँच पहले ही कर ली जाती है सो पूरे-पूरे रूपये मिलने की गुंजाइश होती है!
अक्सर लड़कियाँ उसके अच्छे स्वभाव को भाँपकर रूपये दे देती हैं लेकिन यह नहीं पता होता है वह रूपये लेना ही तो लड़के का लक्ष्य था!
इसके बाद भी लड़की से छोटे -मोटे फायदे लेते रहते ...
लेकिन जब लड़की रूपये वापिस माँगती है तब उसका असली चहरा देखकर उसे अपनी गलती का एहसास होता है!
पहले टाल -मटोल तमाम बहाने चलते हैं जिससे कई बार लड़के का झूठ पकड़ा जाता है लड़की सख्ती से पेश आती है तो उसे वही स्क्रीन शॉट दिखाकर कहा जाता है माँगना बंद करो वरना बदनाम करूँगा!
ब्लैकमेल करने के लिये सोशल मीडिया का एक और रूप चलन में है कि दो मोबाइल का इस्तेमाल करके एक मोबाइल में नाम व फोटो जिसे बदनाम करना होता है लगा देते हैं दोंनों मोबाइल से खुद ही चैट कर स्क्रीन शॉट लेकर बदनाम करने की धमकी देते हैं!
ये था आर्थिक व मानसिक शोषण...
अब जानते हैं शारिरिक शोषण ?
इसके लिए लड़कों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती बस जहाँ रूपये माँगने वाली अवस्था है वहाँ इनकी ऩियत पैसे पर न होकर शरीर पर होती है ...
कभी -कभी लड़कियाँ आर्थिक, मानसिक, शारिरिक तीनों की शिकार हो जाती हैं एेसी स्थिति में वह बेहद टूट जाती हैं
उन्हें डॉक्टर की उचित देखरेख और प्यार की आवश्यकता होती है न कि डाँट फटकार की!
अभी कुछ सालों में कानपुर देहात पुखरायां में, लखनऊ में, राजस्थान,मुम्बई में एेसी घटनाएँ हुई जहाँ लड़के ने बुलाकर लड़की का गैंगरेप किया और मारकर लाश हाइवे पर झाड़ियों में फेंक दी !
समय बदल रहा है ईमानदारी प्यार के मायने बदल रहे हैं समाज में दूषित लोग अच्छे लोंगो का लबादा ओढ़कर घिनौने कामों को अंजाम दे रहे हैं!
एक तरफ उच्च मानसिकता के संस्कारी सच्चे युवक है किंतु गिने चुने...
इसलिए सोशल मीडिया का उपयोग बहुत संभल कर करें!
केवल जरूरी महत्वपूर्ण बातें करें!दूसरों के अनुभवों से लाभ उठायें क्योंकि स्वंय ही अनुभव होने तक बहुत कुछ खो चुके होते हैं! जिन्दगी कम पड़ जाती है!
इसलिए सोशल मीडिया पर सतर्क रहें, सावधान रहें !
[
जब व्यक्ति सोशल मीडिया पर पहला कदम रखता है तो उसे यह प्लेटफॉर्म अभिव्यक्ति की आजादी का बेहद सटीक व सुन्दर माध्यम लगता है जहाँ अपने मनपसंद विचार रखकर लोगों के द्वारा उसे पढे़ जाने पर,व लाइक,कमेंट,शेयर किये जाने पर असीमित खुशी
का आभास करता है !
उपयोगकर्ता आरम्भ में एक -एक लाइक,कमेंट पर नजर रखता है किसी के द्वारा तनिक की गई झूठी प्रशंसात्मक टिप्पणी से भी उसका मन फूला नहीं समाता है !
हर दो-तीन मिनट में एप्लीकेशन को खोलना,, जाँचना कि टिप्पणी में किसने क्या कहा... ! आदत में शुमार होने लगता है आगे चलकर यही लत बन जाती है!
अपेक्षाकृत कम लाइक मिलने पर कुंठा के शिकार होने की संभावना बनी रहती हैं!
शुरूआत में सोशल मीडिया के एप्स की ज्यादा जानकारी न होने के कारण कुछ लोंगो को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि टाइमलाइन पर अन्य लोगों द्वारा टैग करके बेहूदा पोस्ट डालना... एेसी पोस्ट अनचाही व अश्लील भी हो सकती है!
इसलिए सबसे पहले सोशल मीडिया के किसी एप का इस्तेमाल करने से पूर्व उसकी सैटिंग में जाकर उसे ठीक करें!
कई बार तो लड़के लड़कियों के नाम से आई.डी बनाकर बात करने की कोशिश करते हैं !
क्योंकि यहाँ किसी का किसी प्रकार का वैरिफिकेशन नहीं होता है !जिससे प्रमाणित हो कि यह आई. डी असली व्यक्ति की है!
एेसी स्थिति में जिसे न जानते हों उससे ज्यादा घुलमिल कर बात करने से बचना चाहिए!
सोशल मीडिया पर किसी के भौतिक आकर्षण में कभी नहीं फँसना चाहिये... क्योंकि आजकल तमाम ब्यूटी एप्स फोटो को मॉडल जैसा सुन्दर बना देते हैं! जबकि असलियत कुछ और होती है!
जो बच्चे किशोरावस्था से युवावस्था की तरफ बढ़ रहे हैं विशेषतौर पर उन्हें अधिक ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि यह उम्र कैरियर तय करती है !
एेसे समय में सोशल मीडिया पर अधिक रहना घातक सिद्ध हो सकता है!
आजकल जहाँ सोशल मीडिया के माध्यम से अपरचितों से दोस्ती करने का चलन बढा़ है उसी तेजी से चैट से होने वाले मानसिक शोषण, मिलना मिलाना, घिनौने कृत्य, हत्या या आत्महत्या जैसे अपराधों का ग्राफ बढा़ है!
याद रखें किसी एप पर आई डी बनाने के बाद उसे यूँ ही न छोड़ दें क्योंकि कोई भी सक्रिय हैकर की नजर आपकी आई डी पर पड़ सकती है और वह इसे मनमाने ढ़ग से इस्तेमाल कर सकता है!
ज्यादतर किशोरावस्था के अपरिपक्व प्रेमी ज्यादा अपराध कर बैठते हैं..
पहले तो प्रेम के आगोश में बह जाते हैं फिर मिली असफलता को पचा नहीं पाते और फेक आई डी द्वारा बेवफाई का बदला लेने की कोशिश में साइबर क्राइम के हाथ लग जाते हैं!
माना यह सोशल प्लेटफार्म है लेकिन दिल के साथ दिमाग की आँखें खोले रखना भी जरूरी है!
कुछ लोग मित्रवत भाई बहिन बनकर भी चैट करते हैं वह यदि अपरिचित हैं तो बात उतनी ही करें जितनी की आवश्यक है!
अन्यथा हानि यहाँ भी हो सकती है!
सोशल मीडिया के एप किस तरह आपके लिए लाभप्रद भी सिद्ध हो सकते हैं इसके लिए आपको यह करना होगा कि खुद जिस फील्ड से हों अधिकतर उसी फील्ड के मित्रों से मित्रता करनी चाहिए...
ताकि वह आपके विचारों व कार्यों को भलीभाँति समझ सकें !इस तरह बहस या कुतर्कों से भी काफी हद तक बचा जा सकता है!
अश्लील चैट या अन्य असामान्य सामग्री डालकर कोई परेशान कर रहा है तो उसकी जानकारी साइबर क्राइम ब्रांच को दें....
या स्वंय जाकर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं!मोबाइल पर कॉल करके परेशान करने वाले व्यक्ति की शिकायत 1090पर कर सकते हैं शिकायत करने वाले की पहचान गुप्त रखी जाती है! अब यह हर राज्य में लागू हो रहा है उसके पहले निजात पाने के लिए सैटिंग में जाकर
ब्लॉक करने का ऑप्शन पर तुरंत ब्लॉक करें!
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आधुनिक कम्प्यूटर युग में तरक्की से किस मनुष्य को लाभ प्राप्त नहीं हुआ,,किंतु यही लाभ यदि आदर्शवादी सज्जन व्यक्तियों के लिए मानसिक,आर्थिक शोषण का कारण बने तो उनके साथ हुए दुष्कृत्यों का परिणाम समाज व देश को भी भुगतना पड़ता है।
जब तक लोभ और लालच की पूर्ति मनुष्य के जीवन में प्रमुख लक्ष्य रहेगी,तब तक चाहें राज्य तंत्र हो,या लोकतंत्र समाज को भटके व बिखरे हुए व्यक्तित्व मिलते रहेंगे,,,आदर्शों की बात सिसक कर रह जायेगी क्यों कि अच्छा व आदर्शवादी व्यक्ति षड़यंत्र व छल का शिकार हो जायेगा।
आज के युग में जल्दी प्रगति कर लेने की चाह में दुर्भावनाएँ और अनीतियाँ पाँव पसार रही हैं लोगों के अन्त:करण पहले की भाँति शुद्ध व सात्विक आचरण करने वाले नहीं रह गये हैं
पहले के लोगों में उच्च चिंतन के साथ कथनी करनी में फर्क नहीं था।आदर्शों का पुट पग-पग पर परिलक्षित होता था,,एेसे व्यक्तियों के स्वभाव में शालीनता,चरित्र में सज्जनता व व्यवहार में उदारता देखने को मिलती थी!
किंतु आज बढ़ती आकांक्षाएँ और विचार आदर्शों से विपरीत दिशा में उद्दंड अंधड़ की भाँति बह रहे हैं,,जिनमें अनगढ़ ही नहीं,सुशिक्षित,सभ्य कहे जाने वाले लोग भी शामिल हैं
भौतिक क्षेत्र में सुख-सुविधाओं का होना अनुचित नहीं हैं किन्तु अनुचित तब है जब कुछ कुटिल चालाक मनुष्यों द्वारा टेक्नोंलॉजी का गलत इस्तेमाल होता है और हम सब देखकर अनदेखा करते हैं तब यह अनुचित है जब लोगों को इसकी जानकारी होते हुए भी नहीं बाँटते हैं।
छोटी-छोटी मदद के रूप में ली जाने वाली राशि कहाँ पहुँचती है क्या कभी सोचा आपने?
ऱिचार्ज कराना,बीमारी के नाम पर मदद,एडमीशन के नाम पर,यात्रा के दौरान अचानक रूपये गिर गये ,,,जैसे बहाने बनाकर मदद की राशि का उपयोग गलत अपराधिक संगठनों द्वारा भी होता है,,,यह भी एक गिरोह है जो स्लीपरसेल्स की तरह काम करता है ,,,,
पिछले दिनों मीडिया में इस तरह की कई घटनाएँ हुई जिससे यह इंकार नहीं किया जा सकता कि आपके मदद स्वरूप दिये गये रूपयों से भी गलत कार्यों के लिये इस्तेमाल हो सकता है
।
दूसरी तरफ निजी स्वार्थ हेतु भी कुछ लोगों का यही धंधा है,,,,
सबको मालुम है कि मनुष्य का विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण रहता है और आर्थिक शोषण करने वाले कुटिल व्यक्ति इसे हथियार के रूप में बखूबी इस्तेमाल भी करते हैं,,,,
वह सोशल मीडिया पर मित्रता करते हैं और धीरे-धीरे उस मित्र का पूरा भूगोल,जैसे सामाजिक,आर्थिक,पारिवारिक स्थिति जान लेते हैं,,,
अनुकूल समय देखकर सार्थक व एक दो अच्छे काम करके विश्वास जीतने का प्रयास करते हैं।
व सामने आदर्शवादी बातें करके उन्हें पूरा विश्वास दिलाने का नाटक करते हैं कि वह सामाजिक नेक व्यक्तियों में से एक हैं।
वह मित्र की निर्णय क्षमता व शक्तियों को जानने का प्रयास करते हैं साथ ही नोटिस करते रहते हैं कि व्यक्ति की असहाय व निर्धनों की मदद करने में क्या रूचि है ।इस तरह लम्बे समय में वह अपने मित्र का विश्वास जीतने में सफल हो जाते हैं और तब फिर कॉल व चैट पर तमाम वार्ता करते हैं,,,
वार्ताओं के मध्य कई एेसी वार्ताएँ हो जाना स्वभाविक है जो बाद में परेशानी का सबब बन सकती हैं क्योंकि मनुष्य के साथ हर समय एक जैसी मन:स्थिति नहीं होती,,,किंतु चालाक व्यक्ति तो इसी फिराक में रहते हैं कि अगले से गलती हो और वह उसका स्क्रीनशॉट लेकर उसे क्षति दे सकें
कई बार तो यह चालाक कुटिल व्यक्ति इस हद तक गिर जाते हैं कि टेक्नोंलॉजी का इस्तेमाल करके अपने मित्र का फोटो लगाकर खुद से चैट कर लेते हैं और स्क्रीनशॉट लेकर साथी को ब्लैकमेल करते हैं।
एेसी घटनाओं के अंजाम सुसाइड,मर्डर,तक हो सकते हैं
कई मामलों में अच्छे होने का दिखावा करते-करते कुटिल व्यक्ति अपने साथी से अचानक आर्थिक मदद के लिये गुहार करते हैं विश्वास में लेने के लिये ब्याज भरने तक की बात कहते हैं लौटाने की समयावधि कम रखते हैं ताकि देने वाला अधिक न सोचे और मदद करने में संकोच न करे!
और मित्र उसको आपसी मित्र समझ कर मदद कर देता है किंतु समयावधि पूरी होने पर जब कुटिल व्यक्ति द्वारा बहानेबाजी की जाने लगती है तो मदद करने वाला सकते में आ जाता है उसे समझ आने लगता है उसके साथ फ्रॉड हुआ है,,,
थोडी़ ज्यादा सख्ती दिखाने पर कुटिल व्यक्ति अपने असली रूप में आ जाता है और तब तमाम धमकियों से डराने का प्रयास करता है!कुछ डरकर चुप बैठ जाते हैं और एेसे ही कुटिल धूर्त व्यक्तियों का धंधा फलता फूलता रहता है
समाज का बेहद सुन्दर रूप कहा जाने वाला उसका आईना "साहित्य" भी कुटिल व्यक्तियों की गिरफ्त में आ चुका है जहाँ कई प्रकार से रचनाकारों का आये दिन आर्थिक शोषण होता है!आज जहाँ इंटरनेट आ जाने से साहित्यकारों की संख्या में इजाफा हुआ है वही सबको मंच मिलना,व पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिलना सरल नहीं रह गया है।
इसका फायदा कुछ कुटिल चालाक मंच संयोजकों व सम्पादकों ने भलीभॉति उठाया है!कभी नई प्रतिभा के नाम पर मंच दिलाकर,कभी साझा संकलन के नाम पर धनराशि लेकर,,,कई रचनाकारों को तो धनराशि लेने के बाद यह फरेबी ब्लाक मारकर सम्पर्क ही तोड़ लेते हैं पत्रिका में रचना या साक्षात्कार को प्रभावी ढंग से स्थान देने के नाम पर सम्पादक मोटी रकम बसूलते हैं !अभी हाल में ही लखनऊ ,कानपुर,कोलकाता की रचनाकारा आर्थिक शोषण की शिकार हुईं,,
एक साहित्यिक पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक ने कई रचनाकारों से इस तरह जालसाजी की,,व महिला रचनाकारों से अश्लील संवाद स्थापित करने की कोशिश की साथ ही विरोध करने पर फर्जी स्क्रीनशॉट से बदनाम करने की धमकी भी दी,,,।
जिसपर कुछ महिला रचनाकारों ने हिम्मत करके अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर लिखा।
यदि आपको भी कोई एेसा मैसेज मिलता है जिसमें मदद की गुहार की गई हो तो स्वविवेक से जाँच लें फिर मदद करें क्यों कि गलत व्यक्ति को की गई मदद आपको आर्थिक नुकसान से साथ मानसिक परेशानी का सबब बनते हुए आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा को हानि पहुँचा सकती है!
तो आइये जानते हैं शारीरिक शोषण और सोशल मीडिया 'विषय पर ---
सोशल मीडिया से शुरू हुई बातचीत शारीरिक शोषण तक कैसे पहुँचती है।
इसकी जडे़ बहुत गहराई में हैं,जिन बातों को अक्सर हम लोग नजरअंदाज कर देते हैं।
वह बाद में विकराल समस्या बनकर खडी़ हो जाती हैं।
और हम फिर भी दूसरों को ही दोष देते रहते हैं ।उसकी जड़ तक नहीं जाते जिस कारण समस्या पनपती है।
आज की पीढी़ का सबसे बडा़ फैशन है दिखावा।
वह दिखावा करते-करते आंतरिक चीजों की सुंदरता भूल बैठती है।
इसी उम्र में उमड़ता है प्रेम का सैलाब,प्रेम एक एेसा भाव है जिसके बिना दुनिया की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
प्रेम ही परस्पर सभी को जोड़ता है।किंतु सोशल मीडिया पर प्रेम के पीछे वासना का खेल भी छुपा हो सकता है ,,,जिसे खेलने के लिये कुछ कामांध सदैव इन एप्स पर विचरण करते रहते हैं।
एेसे लोग प्राय:अच्छे वर्ग के साथ मिलकर अपनी इमेज बनाते हैं।
अपने पार्टनर को अच्छे-अच्छे स्टेटस डालकर रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
कभी-कभी पवित्र तीर्थों पर दान करते फोटो भी चस्पा कर देते हैं।
सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेने जैसी फोटो तो इनके लिये रामवाण होती हैं।
आखिर पार्टनर को लगना चाहिये कि व्यक्ति सामाजिक है।
यह एक साथ कईयों पर डोरे डालते हैं कोई न कोई तो हाँ कहेगा।जब इन्हें पार्टनर मिल जाता है तो फिर उसका सबसे ज्यादा ख्याल रखना इनके बेहद महत्वपूर्ण कामों में एक होता है।
सुबह-सुबह गुड मॉर्निंग,हाउ आर यू,स्वीटी, वीटी,जान, जानू ,बाबू कुछ प्रचलित नामों से प्रेम प्रदर्शित किया जाता है।
सबसे ज्यादा तो पार्टनर ने खाना खाया या नहीं,,,इनकी पहली चिंता होती है।
और फिक्र तो इतनी कि रात में सुला देने के बाद सोते हैं
और फिर शुरू होता है दूसरा पार्ट जिसमें मिलने की गुजारिश की जाती है,,,कुछ दिन तो प्लानिंग ही चलती है कैसे मिला जाये,,कहाँ मिला जाये।
फिर एक विशेष जगह का नाम सुझा कर 'कोई प्रोबलेम नहीं'कह कर बुला लिया जाता है।
फिर तो पाँचों अँगुली घी में,,,,,
यहीं से शुरू होता है अपराध का वह खेल जिसमें अगला फँसता और फँसता फँसता ही चला जाता है।
यह जितने अपराध ब्लैकमेंलिग,सुसाइड,मर्डर,रेप,की घटनाएँ पढ़ते हैं देखते हैं कि फलाँ जगह ट्रेन के पास युवती का शव,या हाइवे के पास,या झाड़ियों में,,,यही सब है।पिछले दिनों इन मामलों के वाराणसी,लखनऊ,नोयडा,के केस बहुत चर्चित रहे।
लड़के/लड़कियों की तस्करी जैसे कई अपराध जरा सी चूक का नतीजा है।माना हम सोशल मीडिया का उपयोग करना बंद कर दें तो क्या अपराध नहीं होंगे।यह सोचकर सोशल मीडिया को बंद न करें बस सतर्कता रखें,ताकि अपराध पर नियंत्रण रह सके।अपराधियों को जानबूझकर मौका क्यूँ दें।
यहाँ कौन कितना बडा़ कामांध दानव बनकर घूम रहा आप सोशल मीडिया की चंद दिनों की मुलाकात से कैसे पता लगा सकते हैं।
हाँ यह सही है सोशल मीडिया अकेले रहने वाले लोगों का बहुत बडा़ सहारा है लोग दोस्त बनाकर अपने दुख दर्द शेयर करते हैं।
लेकिन यहाँ किसी का वेरीफिकेशन तो है नहीं ,कौन कैसा,,असली नकली।
कुछ लोगों का काम ही यही है कि दोस्त बनाकर 'आई लव यू'कहेंगे।
सामने वाले से कहेंगे आप भी कहिये।आजकल तो कुछ नहीं होता हम लोग तो अपने मम्मी पापा भाई बहिनों से भी कहते हैं।
अब अगर आपने बोल दिया ।
तो वह अपनी चैट हटाकर आपकी चैट की स्क्रीनशॉट निकाल कर आपको ब्लैकमेल कर सकता है।
एेसी बहुत सी बाते हैं जिनसे न जाने कितने सीधे साधे लोग शिकार हो गये हैं।
बहुत अधिक चैट करने में अक्सर कुछ लोग अपने मित्र को जीवन का पूरा भूगोल बता देते हैं ।
यह नहीं करना चाहिये नहीं तो मित्रता खराब होते ही वह सभी से आपकी कमजोरी का बखान करके मजाक उडा़ सकता है।
हाँ मित्रता पडो़सी से कीजिये शाम को उससे मिलिये चाय पर बुलाइये।
रिश्ते अच्छे रहेंगे कुछ देर सोशल मीडिया से दूरी रहेगी।
अवसाद चिढ़चिढा़पन आ ऱहा हो तो बाग बगीचे या जहाँ आपने पेड़-पौधे लगाये हैं वहाँ बैठिये।
मन को सुकून मिलेगा।
अच्छे विचार आयेंगे।
अपने बेटे-बेटियों से मित्रवत रहकर उनकी समस्याएँ जानियें।
उन्हें प्यार दीजिये।
पूछिये कि कहीं कोई उन्हें ब्लैकमेल तो नहीं कर रहा,,,
सोशल मीडिया पर बच्चे अधिक समय बिताते हैं तो इसके हानि लाभ बताइये।
एक सुखद जीवन के लिये निर्मल विचारों का होना अति आवश्यक है इससे मन व आत्मा तो खुश रहती ही है आप सामने वाले पर अच्छी छाप भी छोड़ सकते हैं।
किन्तु अच्छे होने का आवरण सिर्फ आपको क्लेश ही देगा।
सोशल मीडिया पर तमाम लोग दिखावा करते हैं तमाम फोटो प्रसिद्ध लोंगो के साथ खड़े होकर खिंचवाते हैं इससे इनके साफ व्यक्तित्व का अंदाजा मत लगाइये।
मनुष्य में अच्छी और बुरी दो तरह की प्रवृत्तियाँ होती हैं इस संसार में जो भी है उसका विपरीत भी उपस्थित है जैसे दिन का रात ठंडा का गरम,, विपरीत से मनुष्य प्रभावित हुये बिना नहीं रह सकता ।
हमारे धार्मिक ग्रन्थों में लिखा है कि जो करोगे पलट कर उल्टा आपको मिलेगा "जैसी करनी वैसी भरनी"अंग्रेजी में "टिट फॉर टेट "तो वहीं विज्ञान में न्यूटन के गति के तृतीय नियम -"प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है ।"कहा गया।
जो अच्छी सद् वृत्तियों वाले मनुष्य हैं वह चाह कर अच्छे कर्म नहीं छोड़ पाते वहीं बुरी प्रवृत्ति वाले बुरे कर्म नहीं छोड़ पाते जो एक आध विरले होते हैं वही पश्चाताप करते हैं वरना सभी अपनी -अपनी प्रवृत्तियों में गोते लगाते रहते हैं एेसे लोग सोशल साइटों पर भी होते हैं जिसे कहते हैं अलग विचारधारा वाले लोग,, जबकि इनके भी दो पैर दो दो हाथ दो आँख वैसी ही है बस संस्कार और वातावरण से पनपे विचार अलग हैं।
अब बात आती है इन सब बातों का सोशल नेटवर्किंग से क्या सम्बन्ध है तो आजकल आदमी धरती पर कम मोबाइल में ज्यादा रहने लगा है सोशल मीडिया वह प्लेटफार्म है जिसमें किसी को न जानते न पहचानते हुये भी लोग इस कदर से जुड़े हुये हैं कि कोई सगी बहिन से बढ़कर किसी को मान दे रहा है तो कोई पिता से बढ़कर किसी को मान दे रहा है चाहें स्वंय के पिता वृद्धाश्रम में पुत्र मोह में मरे जा रहे हों कोई-कोई तो यहाँ शत्रुता भी बड़ी शिद्दत से कर रहा होता है इतनी शिद्दत यदि पढ़ाई में की होती तो नाम के आगे डॉ लगा होता,, खैर कोई बात नहीं कुछ तो शिद्दत से हो ही रहा।
कोई तो एकतरफा प्रेम में पड़कर दिनरात प्रिय की पोस्ट पर नाइस, अवेसम, झंकास, गुड लुकिंग, वाव, लवली इत्यादि "शर्मा जी के सोफे जैसा"लांगलाइम फेवीकॉल कमेंट चिपका रहा होता है।
किसी के तो प्रेम की शुरूआत ही सोशल साइट से शुरू हुई होती है वह मन ही मन मार्क जुकरवर्ग, जेम कॉम, ब्रायन एक्टन, जैक डार्सी, नोह ग्लास बिज स्टोन, इवान विलियम्स वह नाम (जो कि उसने गूगल से सर्च किये हैं) सोशल साइट के संस्थापकों को यथोचित धन्यवाद दे रहा होता है,,
किसी -किसी का ब्रेकअप भी सोशल साइट की बजह से हुआ होता है कि फलाँ आदमी ज्यादा लाइक क्यूँ किया या प्रशंसा कैसे किया अन्य कारण भी हो सकते हैं ब्रेकअप वाला व्यक्ति सोशल साइट को कोसे बिना कवि /शायर बनकर फायदा उठाते भी देखा गया है एेसे लोग चरैवेति का सिद्धांत अपनाते हुये किसी नये को रिझाने का पुनर्प्रयास भी करते देखे गये हैं ।कुछ अपवाद हैं।
कुल मिलाकर सोशल साइटों की बल्ले -बल्ले है ।
इधर सोशल साइट्स की बजह से मोबाइल इस कदर मन और तन में बस गया है कि पत्नि प्रेमिका दोनों ही मोबाइल को सौतन मानकर ईर्ष्या करने लगी हैं कि कब यह हाथ से हटे और वह चेक करें कि दिनभर कहाँ अँगुलियाँ फिरायीं जाती हैं।
दिन भर मोबाइल पर चलकर थकने वालीं अँगुलियाँ अब पत्नि व प्रेमिकाओं के बालों को नहीं सहलातीं बदले में पत्नि व प्रेयसी जो कि सेल्फी ले लेकर मुँह लगभग टेढ़ा कर चुकी हैं मुस्कराती भी है तो लगती है मुँह चिढ़ा रही है एेसे में डिजिटल तारिकाएँ मन मोहक लगती हैं।
इधर कवि शायरों की तो मानों सोशल साइट पर बाढ़ सी आ गयी है और रचनाकारों को भ्रम है यदि साहित्यकार न हों तो फेसबुक वाट्स ट्विटर को कोई पूछे भी न,, आजकल कवि/शायरों की लाइनों के बिना न संसद सत्र में बहस सम्पन्न होती है न कथा प्रवचन और तो और अब तो न्यूज वाले भी बड़े चाव पाकिस्तान पर वीर रस के कवियों की कविता चेंप देते हैं
वैसे कविता तो हमारे पीएम महोदय भी करते हैं और पीएम महोदय जिन्हें आदर्श मानते थे उनको तो कवि का टैग भी लगा था लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उनका दिल टूटा था,, अरे कविताएँ भी तरह-तरह के रसों में होती हैं कभी संतरे जैसी खट्टी मीठी तो कभी अनानास जैसी हृदय को मजबूत करती कभी लाल -लाल अनार जैसी क्रोध में लाल कभी सब आपस में मिक्स,,,,
आजकल तो कोई -कोई प्रेमिका के 'इग्नोराय मंत्र'से प्रभावित होकर किसी मौलिक रचनाकार की दुख भरी या धमकी भरी शायरी अपने नाम से चेंप देता है प्रेमिका देखे न देखे किंतु स्वंय को तसल्ली देने का बढ़िया तरीका है।
मौलिक रचनाकार को जब पता चलता है तो तुरंत स्क्रीनशॉट डालकर क्रोध भरे किंतु प्रसिद्धि से प्रशन्न मन लेकर पोस्ट करके कहता है "भाई नाम तो न हटाया कर ',,,
अब चोर महाशय नाम कैसे डाल देते ब्रेकअप तो उनका हुआ न,, आपका थोड़े न ।
शे'र ओ शायरी में टाइम बहुत लगता सो आपकी चिपका दी।
वैसे किसी से सुना था ब्रेकअप का अपना आनन्द है इस समय बनने वाली रचनाएँ हृदय से निकलती हैं मैने पूछा और बाकी की रचनाओं का निकलने स्थान और भी है क्या? नितान्त सन्नाटा
।
कुछ देर में बोले कि ब्रेकअप होने से कुछ दर्दभरे गीत और शायरी सुनाकर अधेड़ उम्र के लोगों को फिर से जवानी के दिन उनकी प्रेयसी की याद दिलाकर अपने दुख में सम्मिलित किया जा सकता है इससे उनकी दुखभरी कहानी और अनुभव पता चलता है साथ ही यह पता चलता है कि ब्रेकअप एक तरह का कटु सत्य है जिसका राम नाम सत्य होना तय है
कुछ प्रेमिकाओं की याद में बड़े महान लेखक हो गये कुल मिलाकर एक कवि सम्मेलन में सुना था दिल्ली की एक महान कवयित्री ने कहा था -कि एक सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है फिर चाहे वह दूसरे की हो।
यह सार्वभौमिक सत्य है।
कि प्रेयसी की बात का असर माँ बाप की बात से अधिक होता है।
सफलता के पीछे और भी तमाम लम्बे-लम्बे हाथ होते हैं जिनका जिक्र न पुस्तक न मंच पर किया जा सकता है वह अजानुबाहु पीछे से ही हाथ लगाकर सहारा देते हैं।
ब्रेकअप के फायदे पढ़कर दो -तीन लोग ब्रेकअप करें कि इसके पहले यह बताना जरूरी है कि डिजिटल युग में नुकसान भी बहुत हैं दिन -रात प्रेम की पींगे बढ़ाने वाले जब रिश्ते तोड़ते हैं तो सामने वाला बद्चलन व स्वार्थी हुआ तो मोब से स्क्रीनशॉट दागता है व तमाम भूली-बिसरी वोमेंटिग करता है हाँलाकि निपटने के कई तरीके भी हैं यदि आपकी गलती नहीं है,,,
सोशल साइट पर तमाम खबरों में फोटोशॉप का बड़ा खेल हो रहा यह किसी को बदनाम करने का सस्ता लोकप्रिय तरीका है जिसको कम पढ़े -लिखे लोग सच मानकर एक कप चाय चुस्की के साथ पोस्ट की चुटकी लेते हुये बहसबाजी में हिस्सा लेते हैं
अब टिप्पणीबाज भी मनुष्यों होने के साथ भिन्न-भिन्न प्रजाति के प्राणी होते हैं ।
कुछ बगुला समान दोनों पक्षों को लताड़ लगाकर मौका मिलते ही मछली दबा लेते हैं,, कुछ काले कौवे की तरह 'तन काला मन काला'टाइप टिप्पणी करते हैं।
तो कुछ "अंगूर खट्टे टाइप"होते हैं।
कुछ गिद्ध की सी दृष्टि गढ़ाये रहते हैं (फर्जी आईडी) यह अचानक आते हैं अचानक लुप्त हो जाते हैं।
कुछ गुर्राकर बाकी काम शेरनी पर छोड़ जाते हैं,, कुछ गीदड़ टाइप किसी के कहने पर डरकर टिप्पणी डिलीट मार देते हैं।
कुछ बंदर की तरह कभी इस पोस्ट कभी उस पोस्ट पर ताका झाँकी करते हैं कुछ तो बिल में घुसे रहते हैं और मौका पाकर डस लेते हैं सोशल साइट का जंगल इस तरह सभी जानवरों से भरा पड़ा है जहाँ मनुष्य कभी-कभी विचरण करता है।
लाभ की बात पर सब आगे और संकट में पीछे सिमटते हैं "नेट"एक एेसा जाल हैं जहाँ आकर मनुष्य रूपी पक्षी फँस गया है कब किसका भर्ता बनेगा यह किसी को नहीं पता।
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लता दीदी की आवाज में इंदीवर का लिखा फिल्म "सरस्वतीचंद्र"का( 1968) का गीत "फूल तुम्हें भेजा है खत में"उस समय बुलंदी पर था कि हर आशिक के लिखे प्रेम पत्र की पंक्तियों में कहीं न कहीं जिक्र जरूर होता था और पढ़ने वाले की चाहत सिर चढ़कर बोलती थी आप में से भी कई लोगों के साथ यह वाक्या रहा होगा और आप स्मृति ताजा कर धीरे -धीरे मुस्करा भी रहे होगें,,,
मलिकज़ादा जावेद साहब का शे'र है -"उठाओ कैमरा तस्वीर खींच लो इनकी, उदास लोग कहाँ रोज मुस्कराते हैं"सटीक है आज के दौर में,,समय की गति के साथ चिट्ठी -पत्री का दौर गुजरा तो टेक्स्ट मैसेज जमाना आया ईमेल बड़े-बड़े लोगों को सुलभ था। मैसेज कार्ड कुछ रूपये में सैकड़ों मैसेज के ऑफर के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ।कम खर्च असर ज्यादा।
फिर एंड्राइड फोन आ गये तो नेट पैक की मारा मारी ऊपर से टूजी, का स्लो नेटवर्क,, लेकिन वाट्स एप एक बार बस डाउनलोड भर हो जाये फिर तो "भागते भूत की लंगोटी भली''यानि मैसेज तो पहुँच ही जायेगा इधर युवा डिजिटल इंडिया का मतलब मोबाइल पर वाट्स एप, फेसबुक डाउनलोड करना मानते थे "मतलब पक्षी के बच्चों का घोंसला ही उसकी दुनिया है"लेकिन कब तक? आखिर
जियो अंकल की जियो बूटी मिली और लोग थ्रीजी से फोर जी में यूट्यूब व तमाम एप्प पर बैठकर तेजी से निकल पड़े,, लोगों की अंगुलियों ने टाईपिंग स्पीड का एक्सीलेटर दबाया और पलक झपकते जा पहुँचे सात समुंदर पार। सोशल साइट पर ज्ञान की नदियों का सूखता पानी अचानक बाढ़ में तब्दील हो गया ।इधर यूपी में चुनाव की घोषणा के साथ लैपटॉप वितरण की घोषणा पर युवाओं ने एक युवा को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठा दिया तब जाकर मुख्यमंत्री बने उस युवा को 'डिजिटल 'होने का मतलब समझ आया! हाँलाकि लैपटॉप एक साल बाँटकर योजना यह कहकर ठप्प कर दी गयी कि घोषणापत्र में हर साल बाँटने का नहीं लिखा था।
उधर "डिजिटल इंडिया ''पर तगड़ी बहस ने युवाओं को बहुत आकर्षित किया अब तक भारत के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री साहब 'डिजिटल'के मतलब को जान चुके थे ।
दोनों ने विकास को जन्म दिया! एक का विकास दिखा एक का नजर लगने के डर से बाहर नहीं निकला!
फिर लैपटॉप न मिलने के कारण चार साल से गुस्सा पी रहे युवा छात्रों ने 18वर्ष का होने का भरपूर फायदा उठाया,, पहले वाले को हटाया! और गद्दी पर बिठाया जिसे "डिजिटल "से कोई मतलब ही न था ! इस बार फिर युवा मात खा गये "बाबा जी का ठुल्लू"हाथ लगा।
और उनकी अपनी तो नौकरी लगी नहीं अपने पप्पा की भी नौकरी गँवा बैठे!
कुल मिलाकर डिजिटल पहले भी डेंजरस रह चुका है उन लोगों के लिए जिन्होंने इसे हवा में लिया,, इतनी देर से यही बताने की कोशिश की जा रही है।
पूरा दिन सोशल नेटवर्किंग साइट पर टहलते युवाओं ने झूठ बोलने की कला में महारत हासिल की ।वैसे काबलियत की कमी नहीं है युवाओं में लेकिन न जाने क्यूँ वह पीछे है "अपना टाइम आयेगा "जैसी सकारात्मक सोच उन्होनें फिल्म देखकर बनाई है ।पिछले दिनों टीवी पर पुलिस ने कुछ चोरों को पकड़ रखा था उसमें से चोरों के मुखिया ने 'अपना टाइम आयेगा' टीशर्ट पहन रखी थी अगल-बगल खड़े छुटके चोर प्रेस के फोटोग्राफर से निगाह चुराकर लगभग अपने चोर मुखिया को घूरे जा रहे थे मानों कह रहे हों -ले आ गया तेरा टाइम,, तेरे साथ मेरा टाइम।
टाइम तो सबका आता है अब कैसा आता है यह आप पर निर्भर है सोशल मीडिया पर सतर्कता न रखी तो मुखिया (सहयोगी) के साथ-साथ आपका भी कैसा-कैसा टाइम आयेगा ये तो यहाँ वर्णन नहीं किया जा सकता।
कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर किसी से प्रभावित होकर उसे सज्जन समझने की भूल कदापि न करें जैसे कि कोई नेता मंत्री सेलिब्रिटी के साथ पिक पोस्ट कर रहा या फल वितरण पौधारोपण स्वच्छ भारत के लिये झाडू समाजसेवा का दिखावा भी हो सकता है जो फोटो क्लिक तक चलता है जो असल में करते हैं उनका अपना निर्मल चरित्र है पर अच्छे लोगों की संख्या बहुत ही कम है और एेसे अच्छे लोग जरूरी नहीं राजनीति के क्षेत्र में आने की चाह से कर रहे हों या सोशल मीडिया पर ढिंढोरा पीटें।
किसी ने भगवा वस्त्र पहन लिया तो वह संत हृदय नहीं हो जाता पहचानों कि जितने भी बुरे काम हैं वह अच्छाइयों का सहारा होतेे हैं इनसे सतर्क रहें
! कई बार प्रभावशाली लोगों के साथ पिक पोस्ट करने वाले लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को आर्थिक हानियाँ पहुँचायीं हैं।
आभासी दुनिया में किसी की कोई आर्थिक मदद करने की आवश्यकता नहीं है अपने आस-पास कोई पीड़ित है उसकी सहायता कीजिये बदले में वह कभी आपके काम आयेगा बल्कि पैसा भी लौटायेगा।
लोगों के प्रभाव में आने से बचिये सब अपने को अपने से ज्यादा दिखाने के फिराक में रहते हैं यह सोशल मीडिया है बस पोस्ट देखिये सही लगे लाइक कमेंट करिये उस व्यक्ति से प्रभावित होकर नजदीकियाँ बढ़ाकर स्वंय का नुकसान न करें खासकर लड़कियाँ जो फेसबुक पर दिन -रात तरह-तरह के एंगल में फोटो पोस्ट करती हैं फोटो पोस्ट करना ही है तो ठीक से करें देह प्रदर्शन और भारी मेकअप वाली फोटो "हाय आप मुझसे बात करेंगे मै अकेली हूँ "पर जाती है आपको पता भी नहीं चलता ।
सही फोटो डालिये फिर भी कोई बत्तमीजी कर रहा है तो उस पोस्ट का लिंक तुरंत सेव करें ।स्क्रीनशॉट लें ।हर जनपद में साइबर अपराध नियंत्रण केन्द्र होते हैं वहाँ शिकायत करें या अपने जिले के एसपी सीओ को प्रार्थना पत्र दें"
यूपी महिलाओं के लिये महिला वूमेन हेल्पलाइन वाट्सएप नम्बर है-9454458212बाकी लोग यूपी कॉप एप डाउनलोड कर सकते हैं ।
सतर्क रहें जागरूक रहें अच्छा लगे शेयर करें!
--डॉ रत्नामणि त्रिपाठी