कवि सम्मेलन में डा. राकेश ऋषभ कृत 'इसरावत' डा. वी.के. वर्मा कृत काव्य संकलन 'भाव मंथन' का लोकार्पण
बस्ती । स्वस्थ समाज के लिये साहित्यक सरोकारों को समृद्ध करना होगा। साहित्यकार सदैव अपने समय के सत्य के साथ ही भविष्य का आकलन करने और मार्ग दर्शन की भूमिका निभाते हैं। यह विचार जिला पूर्ति अधिकारी रमन मिश्र ने व्यक्त किया। वे प्रेस क्लब में शव्द सुमन संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन मुशायरे को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि जब से समाज की नई पीढी साहित्य से दूर जा रही है उसका जीवन संकटग्रस्त होता जा रहा है। साहित्य हमें सुखद जीवन की ऊर्जा प्रदान करता है। वरिष्ठ कवि दिल्ली से पधारे डा. राधेश्याम बंधु ने कहा कि कवि सदैव समाज को आईना दिखाते आये हैं। अध्यक्षता वरिष्ठ शायर बद्र गोरखपुरी और संचालन वरिष्ठ कवि डॉ. रामकृष्ण लाल 'जगमग' ने किया।
इस अवसर पर अनेक पुस्तको के लेखक डा. राकेश ऋषभ की नई कृत 'इसरावत' काव्य संकलन और डा. वी.के. वर्मा कृत काव्य संकलन 'भाव मंथन' का लोकार्पण अतिथियों ने किया। डा. राकेश ऋषभ ने कहा कि 'इसरावत' जन्म देने वाली मां को समर्पित है। डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि व्यस्तताओं के बीच जो भाव आये वे कविता बनकर फूट पड़े जिससे 'भाव मन्थन' का जन्म हुआ। संस्था संरक्षक डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुये कहा कि जहां साहित्यकार, कवि, लेखक एकत्र होते हैं मनुष्यता को विचारों का नया आकाश मिलता है। संयोजक डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम, महात्मा बुद्ध, कबीर की त्रिवेणी में देश दुनियां के साहित्यकारों, कवियों की उपस्थिति से बस्ती का गौरव बढा है।
कवि सम्मेलन मुशायरे का आरम्भ डा. कमलेश पाण्डेय के सरस्वती वंदना से हुआ। बद्र गोरखपुरी का शेर 'गुलशन के सारे कांटे बगावत में लग गये, जब फूल खुशबुओं की तिजारत में लग गये' को सराहना मिली। डा. राधेश्याम बंधु की रचना ' परिन्दों के उड़ानों की हिफाजत भी जरूरी है, वतन के निगहबानों की शराफत भी जरूरी है' सुनाकर मंच को ऊंचाई प्रदान किया। डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी 'दीपक' के शेर 'छोडिये गुरू द्रोण की एकलव्य की, आइये बातें करें मनतब्य की' डा. रामकृष्ण लाल जगमग की रचना ' कभी नहीं वह बदलेगा, मौका पाकर निगलेगा, चाहे जितना दूध पिलाओं सांप जहर ही उगलेगा' को श्रोताओं की विशेष सराहना मिली। कवि सम्मेलन में ताजीर बस्तवी, आलोक सीतापुरी, बेधडक इटारसी, नदीम अब्बासी, शैलजा सतीश, सागर गोरखपुरी, पंकज सोनी, डा. अजीत राज, जगदम्बा प्रसाद भावुक, सत्येन्द्रनाथ 'मतवाला' रहमान अली रहमान, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद 'शाद' आदि कवियों ने वातावरण को काव्यमय बना दिया।
इसी क्रम में भारतीय सेवा संस्थान दिल्ली द्वारा सहायक सूचना निदेशक प्रभाकर त्रिपाठी, राजेन्द्रनाथ तिवारी, रमन मिश्र, बद्र गोरखपुरी और शव्द सुमन संस्था की ओर से सिने कलाकार मनोज सिंह टाइगर उर्फ 'बतासा चाचा' आलोक सीतापुरी, डा. ज्ञानेन्द्र द्विवेदी 'दीपक' डा. वी.के. वर्मा, डा. सत्यदेव त्रिपाठी, संध्या दीक्षित, डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, ताजीर बस्तवी, डा. अवध नारायण मिश्र, वृहस्पति पाण्डेय, डा. अजीत 'राज' रजनीश त्रिपाठी, वशिष्ठ पाण्डेय, राजेश पाण्डेय, विशाल पाण्डेय, हरि प्रसाद मिश्र, दिनेश कुमार श्रीवास्तव, अशोक कुमार शुक्ल, पंकज सोनी को उनके योगदान के लिये सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा. दशरथ प्रसाद यादव, अजमत अली सिद्दीकी, रामदत्त जोशी, साइमन फारूकी, सन्तोष कुमार भट्ट, प्रेमशंकर लाल श्रीवास्तव, त्रिभुवननाथ श्रीवास्तव, दिनेश सिंह, अशोक श्रीवास्तव, अजय कुमार गुप्ता, रामतौल शान्त, श्री प्रकाश गुप्ता के साथ ही बड़ी संख्या में सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोग मौजूद रहे।