बस्ती। प्रायः हर सरकार का दावा होता है व हमारी कल्पना भी होती है कि नये साल में कुछ अच्छा होगा समस्यायें कम होगीं किन्तु प्रायः जैसा कि हम कहावत सुनते है कि हम किसी से उन्नीस नहीं बीस हैं उसी को चरितार्थ करती हुई समस्यायें निरन्तर किसी न किसी रूप में हमें चुनौती देती नजर आती है बीतते साल 2019में भी देश प्रदेश यहां तक कि जनपद बस्ती की समस्याएं कम नहीं हुईं अपितु उन्नीस की जगह बीस बनी रहीं जहां देश व प्रदेश में मंदी,बेरोजगारी, डालर के सापेक्ष रूपये में गिरावट, बढती मंहगाई, बिगडती कानून व्यवस्था, शिक्षा चिकित्सा की समस्यायें शासन सत्ता के लिए सवाल बनी रहीं वहीं 2019के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन भी विपक्ष के काम न आया नागरिकता संशोधन बिल पर तो विपक्ष ने 89,व92में किये गये मंदिर आन्दोलन से बडा हंगामा खडा कर दिया जहाँ विपक्ष सत्ता पाने में असफल रहा वहीं जनता को अच्छे दिनों का दर्शन नहीं हुआ हर मुद्दे पर कडा रुख अपनाने वाली मोदी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार की भांति एस.सी.एस.टी.एक्ट का पक्ष लिया व आरक्षण को बढाने का काम किया कर्मचारियों के पेंशन व नवयुवकों के रोजगार का टेंशन बना रह गया कृषि उत्पाद का मूल्य लागत का दोगुना पाने का किसानों का सपना चखनाचूर हो गया जोई पिण्डे सोई ब्राम्हाडे(जैसी एक पिण्ड की रचना है वैसे ही ब्राम्हाड की रचना है)के अनुरूप जनपद बस्ती में भी गन्ना मूल्य भुगतान, टूटे अमहट पुल से यातायात की बहाली, बाढ व कटान हेतु ठोकर व अपूर्ण बांध निर्माण अधर में ही लटका है गौशालाओं के नाम पर धन का बंदरबांट भले ही हो गया पर किसानों की फसलें आज भी छुट्टा जानवरों के चलते सुरक्षित नहीं हैं 100करोड रूपये से सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली पतित पावनी मनोरमा के सफाई का अभियान तो महज दिखावा ही साबित हुआ मखौडा को वैश्विक पर्यटन का दर्जा दिलाने की घोषणा गढ्ढामुक्त सडकों की भांति बिखर गया फलतः सडक के दोनों तरफ मंदिर निर्माण आज तक नहीं हो सका इतना ही नहीं भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय शायद आवश्यक धन अवमुक्त कराने में विफल रहा क्योंकि अब स्थानीय विधायक खुद पवित्र मखभूमि मखौडा में दिव्य भव्य मंदिर निर्माण हेतु सार्वजनिक तौर पर जनता से स्वैच्छिक सहयोग की अपील कर रहे हैं दो दो टोल भरने के बाद जहां जनपद की यातायात व्यवस्था बदहाल है वहीं प्रमुख चौराहे अण्डरपास के अभाव में आज भी दुर्घटना को दावत दे रहे हैं शिक्षामंत्री तक शिकायत के बाद भी जनपद में लम्बित निजी विद्यालयों के मान्यता की पत्रावली तिल भर भी आगे न बढ सकी जो कि विभागीय अधिकारियों संग मंत्री महोदय के कार्यशैली पर सवाल खडा करता है हर साल निजी विद्यालयों को नोटिस सिर्फ सेंटिंग के लिए पकडाया जाता है ना मान्यता दी जाती है उन्हें बंद कराया जाता है अपितु अबैध संचालन जारी रखने हेतु धन उगाही का खेल होता है शतप्रतिशत विद्युतीकरण व जनपद को खुले में शौचमुक्त किये जाने का दावा भी कागजों में सिमट कर रह गया है और तो और सांसद आदर्शग्राम अमोढा के सर्वांगीण विकास की बात तो दूर अमोढा में स्थापित भगवान चतुर्भुज मंदिर को जाने वाला सकरावल चतुर्भुज मार्ग जो कि क्षेत्र के सैकड़ों गांवों को जोडता है अपनी बदहाली के साथ साथ जनपद के विकास की गाथा सुना रहा है जनपद में घटित एक के बाद एक हत्या दुराचार धार्मिक उन्माद व बैंक लूट की घटना ने कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी जबकि जनपद की इन तमाम समस्याओं के समाधान हेतु समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामाजी के द्वारा कई बार भागीरथी प्रयास के क्रम में न केवल धरना प्रदर्शन के जरिए उक्त समस्याओं के समाधान हेतु आवाज बुलंद किया गया अपितु दर्जनों बार सांसद आवास,जिलाधिकारी कार्यालय व जनपद आगमन पर सूबे के मंत्रियों का घेराव व आमरण अनशन करने के साथ साथ समाधान न होने से खिन्न होकर जल सत्याग्रह, जलसमाधि हेतु घाघरा में छलांग लगाने के साथ साथ आत्मदाह करने का भी प्रयास किया जा चुका है
देश प्रदेश व जनपद की समस्यायें 2019में भी नहीं हुईं उन्नीस
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December 30, 2019
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