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तिरुवनंतपुरम। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ कर्नाटक में भी विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान कर्नाटक के मंगलुरु में पुलिस ने केरल के कुछ पत्रकारों को हिरासत में ले लिया। इन्हें करीब 7 घंटे तक हिरासत में रखा गया और बाद में केरल-कर्नाटक सीमा पर पुलिस को सौंप दिया गया। इन सात पत्रकारों को शुक्रवार की शाम केरल के थलापैडी में छोड़ा गया।
पत्रकार प्रदर्शन के दौरान रिपोर्टिंग कर रहे थे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार सुबह मुख्य मलयालम चैनल के पत्रकार मंगलुरु में हो रहे प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग करने पहुंचे थे। ये पत्रकार उस अस्पताल के बाहर रिपोर्टिंग कर रहे थे, जहां प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए दो लोगों का पोस्टमार्टम हुआ है। इन्हें शुरु में तो अस्पताल के परिसर से वापस जाने को कहा गया लेकिन बाद में हिरासत में ले लिया गया।
हिरासत में लिए गए एक पत्रकार ने बताया, 'मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता कि हमें क्यों हिरासत में लिया गया। जब अफसरों ने मुझे आईडी कार्ड दिखाने के लिए कहा तो मैंने अपने ऑफिस का आईडी दिखा दिया और फिर उन्होंने कहा कि वह मेरे आईडी कार्ड को सत्यापित करना चाहते हैं और हमें पुलिस के वाहन में जाने को कहा। जैसे ही हम वाहन में गए हमारे फोन और कैमरे जब्त कर लिए गए। हमें करीब 4 घंटे तक बस में बैठने को मजबूर किया गया और अन्य तीन घंटों तक पुलिस स्टेशन में बिठाए रखा।'
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एक अन्य पत्रकार ने बताया, 'हम अस्पताल के बाहर रिपोर्टिंग कर रहे थे तभी मंगलुरु के पुलिस कमिश्नर आए और हमें वहां से जाने को कहा। हमने उनकी बात मानी और परिसर से बाहर आ गए। फिर वो दोबारा हमारे पास आए और आईडी कार्ड दिखने को कहा। हमारे आईडी कार्ड देखने के बाद उन्होंने हमारी लाइव रिपोर्टिंग बाधित की। उन्होंने माइक को दूर करने की कोशिश की। इसके बाद हम चले गए और गाड़ी में बैठ गए, कुछ मिनटों बाद कुछ पुलिसकर्मी हमारी गाड़ी तक आए, हमें गाड़ी से बाहर निकाला और पुलिस बस में बैठने को मजबूर किया। वहां सीट थीं फिर भी हमें बस के फ्लोर पर बैठने को मजबूर किया। हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया।'
एक तीसरे पत्रकार ने कहा, 'हमें बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया। हमें ठीक से स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। हमें बिना किसी कारण के सात घंटों तक हिरासत में रखा। हमें पूरे दिन केवल पानी की एक बोतल दी गई। ये पूरी तरह से भेदभाव था। हम बस के अदंर बैठे थे, तब हम राष्ट्रीय और कन्नड़ चैनलों के पत्रकारों को बाहर रिपोर्टिंग करते हुए देख रहे थे।'