भोपाल। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाह में देश की सबसे बड़ी हीरा खदान एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह) को 50 साल की लीज़ पर मिल गई है। बक्सवाह में 362 हेक्टेयर में फैली बंदर हीरा खदान को देश में सबसे बडी हीरा खदान माना जाता है यहाँ 3.50 करोड़ कैरेट हीरे होने का अनुमान है। एक दिन पहले मंगलवार को 8 घंटे तक चली बिडिंग में चेंदीपदा कालरी (अडाणी समूह) और एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह) के बीच कड़ी टक्कर थी। खदान की ऑफसेट प्राइस 55 हजार करोड़ रुपए थी, जिसमें 41.55 प्रतिशत ज्यादा यानी करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक रॉयल्टी की बोली लगी। अडाणी समूह ने हीरा खदान आधा प्रतिशत से छोड़ दी। वहीं बिडिंग में बिड़ला समूह ने 30.05% की बोली लगाकर खदान अपने नाम कर ली। इस खदान से सरकार को 50 साल में रॉयल्टी के 22,852 करोड़ रुपए मिलेंगे यानी हर साल 457 करोड़ रुपए की रॉयल्टी मिलेगी।
साल 2007 में दक्षिण अफ्रीका की कंपनी रियो टिंटो को हीरा खदान के सर्वे का काम मिला था। तब सरकार ने ये शर्त रखी थी कि कंपनी खदान से निकलने वाले हीरे का निर्यात नहीं करेगी। हीरे कटिंग और पॉलिशिंग भी प्रदेश में ही करना होगी। ये शर्त रियो टिंटो को मंज़ूर नहीं थी इसलिए उसने प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए थे और 55 हजार करोड़ की यह खदान रियो टिंटो कंपनी ने 2015-16 में छोड़ दी थी।
देश की सबसे बड़ी खदानी के लिए नीलामी में भाग लेने के लिए भारत सरकार के नियमानुसार लगभग 56 करोड़ रुपए की सुरक्षा निधि जमा कराई जानी थी। इसके लिए आवेदन कंपनी की नेटवर्थ कम से कम 1100 करोड़ रुपए होना आवश्यक था। छतरपुर की बंदर हीरा खदान के लिए 5 बड़ी कंपनियों ने 13 नवंबर को खुली प्रथम चरण की निविदा में बिड जमा कर दावा प्रस्तुत किया था। इनमें भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी, एस्सेल माइनिंग (बिड़ला समूह), रूंगटा माइन्स लि., चेंदीपदा कालरी (अडानी ग्रुप) तथा वेदांता कंपनी शामिल थी। मंगलवार शाम को जारी बिड में अडानी और बिड़ला समूह ही बचे हैं। उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले में लगभग 3.50 करोड़ कैरेट हीरे का भंडार अनुमानित है, जिसका मूल्य 55 हजार करोड़ रुपए है।
प्रदेश में सत्ता बदलने के बाद हीरा खदान की नये सिरे से नीलामी की गई है। इससे पहले सरकार ने 36 जिलों में रेत खदानों की नीलामी कर दी है। इससे सरकारी ख़जाने में इस बार 1234 करोड़ रुपए आए जो बीते सालों की कमाई के मुकाबले करीब पांच गुना ज्यादा हैं। अब सरकार सात और जिलों में रेत की नीलामी करने की तैयारी में हैं।
मध्यप्रदेश के खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल की माने तो बीडिंग में बिड़ला ग्रुप ने तीस फीसदी ज्यादा बोली लगाकर खदान हासिल की है। इससे सरकार को हर साल 41 फीसदी राशि मिलेगी। रेत खदान की नीलामी से भी सरकार को चौदह सौ करोड़ की आय होने की उम्मीद है। जबकि सरकार ने पहले रेत खदानों की नीलामी की और अब हीरा खदानों की नीलामी हो रही है। आर्थिक मोर्चे पर कमजोर राज्य की कमलनाथ सरकार को इससे बडी आय होने की आशा है। जिससे सरकार की माली हालत सुधरेगी। आने वाले समय में हीरा और रेत खदानों के बाद अब कमलनाथ सरकार उन सभी खनिज खदानों को भी नीलाम करने की तैयारी में है जो सरकार के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।